अमृतकाल में शान से फहराएं तिरंगा
- प्रभुनाथ शुक्ल
राष्ट्रीय ध्वज हमारे गौरव और स्वाभिमान का प्रतीक है। दुनिया का कोई भी देश अपने राष्ट्रीय ध्वज को जान से भी अधिक सम्मान देता है। राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लाखों लोग बलिदान हो चुके हैं। भारत में राष्ट्रीय ध्वज विशेष अवसरों पर फहराया जाता है। बचपन में जब हम स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे उस दौरान स्वाधीनता और गणतंत्र दिवस पर प्रभातफेरी निकाली जाती थी। उस दौरान स्कूली बच्चे हाथों में तिरंगा लेकर यह गीत गाया करते थे ‘विजयी विश्व तिरंगा, प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा’। राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना सबसे पहले पिंगली वेंकैया ने की थी। यह आजादी का अमृतकाल है। देश के हर व्यक्ति को गौरव के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहिए। ऐसा करने अपने भीतर अपना देश, अपनी माटी की अकल्पनीय अनुभूति होती है और राष्ट्रीय भावना और मजबूत होती है।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से बना है। सबसे ऊपर केसरिया...