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हिमालय में गंभीर होता पर्यावरणीय संकट

अवर्गीकृत
- कुलभूषण उपमन्यु इस साल की बरसात पूरे देश के लिए तबाही ले कर आई है। किन्तु हिमालयी क्षेत्रों में जैसी तबाही हुई है, वह अभूतपूर्व हैं। हिमाचल प्रदेश में शिमला-सिरमौर से लेकर चंबा तक तबाही का आलम पसर गया है। सड़कें बंद हैं। चक्की का रेल पुल बह गया है। बहुमूल्य जन-धन की क्षति हुई है। सिहुंता घाटी में 135 लोगों को घरों से निकाल कर जनजातीय भवन में आश्रय दिया गया है। मंडी में 22 लोग काल का ग्रास बन गए। प्रदेश में कई लोग अभी लापता हैं। 18 अगस्त से 20 अगस्त की दोपहर तक बारिश की भयावहता से लोग कांप गए। 48 घंटे में ही धर्मशाला से सिहुंता घाटी तक 500 मिलीमीटर बारिश हो गई। पूरे प्रदेश में अगस्त में इस क्षेत्र में औसत 349 मिलीमीटर से 600 मिलीमीटर बारिश होती है। कुल्लू जिला की स्थिति भी बहुत ही खराब हुई है। चारों ओर बादल फटे हैं। यह वैश्विकस्तर पर जलवायु परिवर्तन का परिणाम तो है ही किन्तु हिमालय में त...