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राष्ट्रीय युवा दिवस: युवाओं को सदैव प्रेरित करते रहेंगे स्वामी विवेकानंद के विचार

राष्ट्रीय युवा दिवस: युवाओं को सदैव प्रेरित करते रहेंगे स्वामी विवेकानंद के विचार

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- योगेश कुमार गोयल युवा वर्ग सही मार्ग से न भटके, इसके लिए युवा शक्ति को जागृत कर उसे देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराते हुए सही दिशा में प्रेरित एवं प्रोत्साहित करना और उचित मार्गदर्शन बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में राष्ट्रीय युवा दिवस की प्रासंगिकता बहुत बढ़ जाती है, जो प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर 12 जनवरी को मनाया जाता है। हमें भूलना नहीं चाहिए कि देश की आजादी की लड़ाई में अपना सब कुछ बलिदान कर क्रांति का बीजारोपण करने वाले अधिकांश युवा ही थे। स्वामी विवेकानंद, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि देश के अनेक युवाओं ने देश की आन-बान और शान के लिए अपने निजी जीवन के समस्त सुखों का त्याग कर दिया और अपना समस्त जीवन देश के लिए न्यौछावर कर दिया था। आधुनिक युग में हम स्वार्थी बनकर ऐसे क्रांतिकारी युवाओं की जीवन गाथाओं को भूल रहे हैं और हम सब धीरे-धीरे भ्रष्ट...
दुनिया में गूंज रहा है स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण

दुनिया में गूंज रहा है स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण

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- योगेश कुमार गोयल युवाओं के प्रेरणास्रोत तथा आदर्श व्यक्तित्व के धनी स्वामी विवेकानंद को उनके ओजस्वी विचारों और आदर्शों के कारण ही जाना जाता है। सही मायनों में वे आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि थे। विशेषकर भारतीय युवाओं के लिए तो भारतीय नवजागरण का अग्रदूत उनसे बढ़कर अन्य कोई नेता नहीं हो सकता। कोलकाता में 12 जनवरी 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद अपने 39 वर्ष के छोटे से जीवनकाल में समूचे विश्व को अपने अलौकिक विचारों की ऐसी बेशकीमती पूंजी सौंप गए, जो आने वाली अनेक शताब्दियों तक समस्त मानव जाति का मार्गदर्शन करती रहेगी। वे एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे, जिनकी ओजस्वी वाणी सदैव युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत बनी रही। उन्होंने देश को सुदृढ़ बनाने और विकास पथ पर अग्रसर करने के लिए सदैव युवा शक्ति पर भरोसा किया। दरअसल युवा वर्ग से उन्हें बहुत उम्मीदें थी। स्वामी विवेकानंद ने 11 सितम्बर 1893 को शिकागो क...

ज्ञान चक्षु खोलने में समर्थ है शिकागो व्याख्यान

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- डॉ. वंदना सेन अमेरिका के शिकागो में 11 सितंबर, 1893 को धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के दिए गए व्याख्यान में दुनिया के ज्ञान चक्षु खोलने की सार्म्थय है। एकाग्रचित्त होकर श्रवण किया गया स्वामी विवेकानंद का यह संबोधन एक ऐसे मार्ग का दर्शन कराता है, जो व्यक्ति और राष्ट्र को सकारात्मक बोध कराने वाला है। इस व्याख्यान के दर्शन में भारत के वसुधैव कुटुंबकम का भाव समाहित है। स्वामी विवेकानंद ने अपने संबोधन की शुरुआत- मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों से कर सबको आत्मीयता का बोध कराया। यह बोध वहां उपस्थित मनीषियों के लिए एक नई बात थी। उन्होंने इस प्रकार की कल्पना भी नहीं की थी और न उनके दर्शन में ऐसा था। विवेकानंद की वाणी ने सबके हृदय को छुआ। पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो गया। इन तालियों में ही स्वामी विवेकानंद को जितना समय दिया गया था, वह निकल गया। प्रबुद्ध वर्ग ने स्वामी विवेकानंद...