Thursday, November 21"खबर जो असर करे"

Tag: Supreme Court

Nepal : ॐ शब्द हटाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया

Nepal : ॐ शब्द हटाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया

विदेश
काठमांडू (Kathmandu)। नेपाल सरकार (Nepal Government) के तरफ से शब्दकोश (dictionary) से ॐ शब्द को हटाने (remove word Om ) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रद्द कर (Canceled decision) दिया है। कोर्ट ने ॐ के साथ ही कोई भी संयुक्ताक्षर को शब्दकोष से हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया है। सन् 2012 में शिक्षा मंत्रालय के अन्तर्गत रहे पाठ्यक्रम विकास केन्द्र ने एक निर्णय करते हुए शब्दकोश से ॐ शब्द को हटाने का निर्णय किया था। केन्द्र के इस फैसले को सही ठहराते हुए तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीनानाथ शर्मा ने सभी पाठ्य पुस्तक से ॐ शब्द को हटाने का लिखित निर्देश दिया था। शिक्षा मंत्री के इसी फैसले के खिलाफ में सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर किया गया था। 09 अगस्त 2012 को शिक्षा मंत्री के द्वारा दिए गए निर्देश पर 13 अगस्त 2012 को रिट दायर की गई था। करीब 12 साल के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फ...
जन स्वास्थ्य का अधिकार और चुनावी शोरगुल

जन स्वास्थ्य का अधिकार और चुनावी शोरगुल

अवर्गीकृत
- डॉ. अजय खेमरिया सुप्रीम कोर्ट इस साल दो बार निजी अस्पतालों द्वारा आमजनता से उपचार के नाम पर की जा रही देशव्यापी लूट को लेकर सख्त टिप्पणी कर चुका है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पिछले महीने कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें निजी अस्पतालों में एकरूपता के साथ उपचार की दरें तय नही कर पाती हैं तो कोर्ट खुद सीजीएचएस यानी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए निर्धारित दरों को देश भर में लागू करने के आदेश दे देगा। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि देश में हर साल 6.3करोड़ लोग महंगे इलाज के चलते गरीबी के दलदल में फंस जाते है लेकिन देश के आम चुनावों में यह मुद्दा कहीं भी सुनाई नहीं दे रहा है। आरक्षण,संविधान बदलने औऱ धार्मिक तुष्टिकरण,जातिगत जनगणना जैसे मुद्दे इस लोकसभा चुनाव में विमर्श का केंद्रीय बिषय बने हुए है जबकि जनसरोकार की राजनीति के लिए यह जरूरी था कि पक्ष -विपक्ष जन स्वा...
वैवाहिक जीवन की विसंगति है ‘मैरिटल रेप’

वैवाहिक जीवन की विसंगति है ‘मैरिटल रेप’

अवर्गीकृत
- प्रभुनाथ शुक्ल देश का सर्वोच्च न्यायालय 'मैरिटल रेप’ यानी वैवाहिक बलात्कार पर आगामी 09 मई को अपनी सुनवाई करेगा। स्त्री-पुरुष के वैवाहिक संबंधों को लेकर यह मामला बेहद संवेदनशील है। सवाल उठता है कि क्या शादीशुदा जीवन में 'बलात शब्द' का कोई स्थान होना चाहिए। विवाह एक आपसी और जीवनपर्यन्त चलने वाला रिश्ता है। दैहिक संतुष्टि स्त्री-पुरुष संबंधों की एक जरूरत है। यह जीवन की नैसर्गिक आवश्यकता है। लेकिन आधुनिक सभ्यता में ‘मैरिटल रेप’ अब सिर्फ एक शब्द नहीं, हाल के दिनों में स्त्री अधिकार और उसके विमर्श का केंद्र बन गया है। भारत जैसे उदार देश में एक तरफ तीन तलाक और हलाला जैसी कुप्रथाएं पुरुष के एकाधिकार को साबित करती हैं। वहीं ‘मैरिटल रेप’ यानी वैवाहिक बलात्कार भी स्त्री अधिकारों का दमन है। ‘मैरिटल रेप' सामाजिक विद्रूपता और कुरूपता है। इसके पीछे पुरुष एकाधिकार की गंध आती है। महिलाओं को सिर्फ समर्प...
समाज के लिए कैंसर है भ्रष्टाचार

समाज के लिए कैंसर है भ्रष्टाचार

अवर्गीकृत
- लालजी जायसवाल देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई बहुत समय से चली आ रही है। यह परिणाम तक कब पहुंचेगी कह पाना कठिन है। पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसे की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह पनपने में मदद की है। बहरहाल, यह टिप्पणी कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च अदालत के फैसले को रद्द करते हुए की है। अदालत ने कहा कि संविधान के तहत स्थापित अदालतों का देश के लोगों के प्रति कर्तव्य है कि वे दिखाएं कि भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। साथ ही वे अपराध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करें। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ उच्च अदालत ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में राज्य के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज प्राथम...
चुनाव आयोग का फैसला अनपेक्षित, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे : उद्धव ठाकरे

चुनाव आयोग का फैसला अनपेक्षित, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे : उद्धव ठाकरे

देश
मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि शुक्रवार को चुनाव आयोग ने जो फैसला दिया है, वह पूरी तरह से अनपेक्षित है। वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग को अगर जनप्रतिनिधियों की संख्या के आधार पर ही निर्णय देना था, तो इसके लिए इतनी देरी करने की क्या जरुरत थी। बहुत पहले ही इस तरह का फैसला चुनाव आयोग दे सकता था। चुनाव आयोग ने उनसे सदस्यों का प्रतिज्ञा पत्र मंगवाया, प्रतिनिधि सभा का प्रतिज्ञा पत्र मंगवाया, पार्टी की कार्यपद्धति भी मांगी। जब इसके हिसाब से निर्णय ही नहीं देना था, तो इसे मंगवाने की जरुरत क्या थी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग ने जिस तरह से चुने हुए जनप्रतिनिधियों के नाम पर पक्ष का आकलन किया है, यह गलत है। अगर ऐसा होगा तो कोई भी अमीर व्यक्ति विधायकों को खरीदकर मुख्यमंत्री और सांसदों को खरीदकर प्रधानमंत्र...
यह दाता और पाता, दोनों का अपमान

यह दाता और पाता, दोनों का अपमान

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त करने पर विपक्ष हंगामा कर रहा है। उसका कहना है कि जजों को फुसलाने का यह सबसे अच्छा तरीका है। पहले उनसे अपने पक्ष में फैसला करवाओ और फिर पुरस्कार स्वरूप उन्हें राज्यपाल, राजदूत या राज्यसभा का सदस्य बनवा दो। जो विपक्ष सरकार पर यह आरोप लगा रहा है, क्या उसने अपने पिछले कारनामों पर नजर डाली है? इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जमाने के कई राज्यपालों, राजदूतों और सांसदों से मेरा परिचय रहा है, जो पहले या तो जज या नौकरशाह या संपादक रहे हैं। उन्होंने जज या संपादक या नौकरशाह के तौर पर सरकार को उपकृत किया तो सरकार ने उन्हें उक्त पद देकर पुरस्कृत किया । वे लोग समझते रहे हैं कि पुरस्कार पाकर वे सम्मानित हुए हैं लेकिन उनके अपमान का इससे बड़ा प्रमाण-पत्र क्या हो सकता है? यदि उन्होंने अदालत में बिल्कुल...
नफरती बयानों पर तुरंत रोक लगे

नफरती बयानों पर तुरंत रोक लगे

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय का सरकार से यह आग्रह बिल्कुल उचित है कि नफरती बयानों पर रोक लगाने के लिए वह तुरंत कानून बनाए। यह कानून कैसा हो और उसे कैसे लागू किया जाए, इन मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संसद, सारे जज और न्यायविद् और देश के सारे बुद्धिजीवी मिलकर विचार करें। यह मामला इतना पेचीदा है कि इस पर आनन-फानन कोई कानून नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि देश के बड़े से बड़े नेता, नामी-गिरामी बुद्धिजीवी, कई धर्मध्वजी और टीवी पर जुबान चलानेवाले दंगलबाज- सभी अपने बेलगाम बोलों के लिए जाने जाते हैं। कभी वे दो टूक शब्दों में दूसरे धर्मों, जातियों, पार्टियों और लोगों पर हमला बोल देते हैं और कभी इतनी घुमा-फिराकर अपनी बात कहते हैं कि उसके कई अर्थ निकाले जा सकते हैं। वैसे अखबार तो इस मामले में जरा सावधानी बरतते हैं। यदि वे स्वयं सीमा लांघें तो उन्हें पकड़ना आसान होता है लेकिन टीवी चै...
नेताओं की बदजुबानी कैसे रुके?

नेताओं की बदजुबानी कैसे रुके?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया है कि कोई मंत्री यदि आपत्तिजनक बयान दे तो क्या उसके लिए उसकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? यह मुद्दा इसलिए उठा था कि 2016 में आजम खान नामक उ.प्र. के मंत्री ने बलात्कार के एक मामले में काफी आपत्तिजनक बयान दे दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों में से चार की राय थी कि हर मंत्री अपने बयान के लिए खुद जिम्मेदार है। उसके लिए उसकी सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस राय से अलग हटकर न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न का कहना था कि यदि उस मंत्री का बयान किसी सरकारी नीति के मामले में हो तो उसकी जिम्मेदारी सरकार पर डाली जानी चाहिए। शेष चारों जजों का कहना था कि संविधान कहता है कि देश में सबको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इस स्वतंत्रता का जो भी दुरुपयोग करेगा, उसे सजा मिलेगी। ऐसी स्थिति में अलग से कोई कानून थोपना तो अभिव्...
भ्रष्टाचारियों से कैसे निपटें?

भ्रष्टाचारियों से कैसे निपटें?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वतखोर सरकारी नौकरों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। अब उनका अपराध सिद्ध करने के लिए ऐसे प्रमाणों की जरूरत नहीं होगी कि रिश्वत देनेवाला और लेनेवाला खुद स्वीकार करे कि मैंने रिश्वत दी है और मैंने रिश्वत ली है। यदि वे खुद स्वीकार न करें या अपने कथन से पलट जाएं या उनमें से कोई मर जाए तो भी अदालत को न्याय जरूर करना होगा। अदालतों को चाहिए कि वे दूसरे प्रमाणों की खोज भी करें। जैसे गवाहों से पूछें, बैंक के खाते तलाशें, रिश्वतखोरों की चल अचल-संपत्तियों का ब्योरा इकट्ठा करवाएं, उनके परिवारों के रहन-सहन और खर्चों का कच्चा चिट्ठा तैयार करवाएं, सरकारी कागजातों को खंगलवाएं आदि कई प्रमाणों के आधार पर रिश्वत के लेन-देन को पकड़ा जा सकता है। अब तक रिश्वत के कई मामले रास्ते में ही बिखर जाते रहे हैं, लेकिन रिश्वत विरोधी कानून की इस नई व्याख्या के कारण अब ज्यादा मामले...