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कोडाइकनाल सौर वेधशाला में सूर्य के अध्ययन के 125 वर्ष पूरे

कोडाइकनाल सौर वेधशाला में सूर्य के अध्ययन के 125 वर्ष पूरे

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- मुकुंद कोडाइकनाल सौर वेधशाला ने सूर्य के अध्ययन के 125 वर्ष पूरे कर लिए। इसका उत्सव (वर्षगांठ) पहली अप्रैल को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने मनाया। इस दौरान कोडाइकनाल सौर वेधशाला के इतिहास का स्मरण किया गया। वैज्ञानिकों का अभिनंदन कर इसकी विरासत का सम्मान किया गया। कोडाइकनाल सौर वेधशाला देश में खगोल विज्ञान के लिए प्रमुख और बड़ी उपलब्धि है। इस वेधशाला में 20वीं सदी की शुरुआत से हर दिन रिकॉर्ड की जाने वाली 1.2 लाख डिजिटल सौर छवियों और सूर्य की हजारों अन्य छवियों का एक डिजिटल भंडार उपलब्ध है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की अधिशासी परिषद के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने कोडाइकनाल सौर वेधशाला की 125वीं वर्षगांठ के प्रतीक चिह्न का अनावरण और एक पुस्तिका का विमोचन भी किया। इस वेधशाला की स्थापना ...
संसार को गति, प्रेरणा और प्रकाश देते हैं सूर्य

संसार को गति, प्रेरणा और प्रकाश देते हैं सूर्य

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- हृदयनारायण दीक्षित भारतीय चिंतन में सूर्य ब्रह्माण्ड की आत्मा हैं। सूर्य सभी राशियों पर संचरण करते प्रतीत होते हैं। वस्तुतः पृथ्वी ही सूर्य की परिक्रमा करती है। आर्य भट्ट ने आर्यभट्टीयम में लिखा है, ‘‘जिस तरह नाव में बैठा व्यक्ति नदी को चलता हुआ अनुभव करता है, उसी प्रकार पृथ्वी से सूर्य गतिशील दिखाई पड़ता है।‘‘ सूर्य धनु राशि के बाद मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रान्ति कहा जाता है। सूर्य का मकर राशि पर होना उपासना के लिए सुन्दर मुहूर्त माना जाता है। वराहमिहिर ने बृहत संहिता में बताया है, ‘‘मकर राशि के आदि से उत्तरायण प्रारम्भ होता है।‘‘ गीता (8-24) में कहते हैं, ‘‘अग्नि ज्योति के प्रकाश में शुक्ल पक्ष सूर्य के उत्तरायण रहने वाले 6 माहों में शरीर त्याग कर के ब्रह्म को प्राप्त करते हैं।‘‘ उत्तरायण शुभ काल है। इस अवधि में यज्ञ, उपासना, अनुष्ठान और धर्म दर्शन से जुड़े साहित्य का...
ब्रिटेन में भारत का सूरज और अमृत की बूंदें

ब्रिटेन में भारत का सूरज और अमृत की बूंदें

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- मुकुंद 'इतिहास खुद को दोहराता है।' जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार और राजनीतिक सिद्धांतकार कार्ल्स मार्क्स का यह 'कथन' आज बिलकुल सच हो गया है। कार्ल्स मार्क्स ने कहा था-'इतिहास खुद को दोहराता है। पहले एक त्रासदी की तरह। दूसरा एक मजाक की तरह।' 1947 में अंग्रेजों से भारत की आजादी पर ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टल चर्चिल को शायद यह कथन' याद होता तो शायद वह यह टिप्पणी नहीं करते। उन्होंने तीखी टिप्पणी की थी। चर्चिल ने कहा था- 'भारत के नेता कम क्षमता वाले होंगे।' इतिहास का चक्र देखिए। भारत की आजादी के 75वें साल के अमृतकाल में आज चर्चिल के ब्रिटेन की बागड़ोर भारतीय मूल के ऋषि सुनक संभालने जा रहे हैं। चर्चिल यह देखने के लिए तो मौजूद नहीं हैं पर भारतीय इतिहास का सूरज उनकी टिप्पणी को गलत साबित करने का साक्षी बनने को तैयार है। 10 डाउनिंग स्ट्रीट भारतवंशी के स्वागत के लिए पलक-पांवड़े...