Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: suicide

आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं

आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं

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-योगेश कुमार गोयल दुनियाभर में तेजी से बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए प्रतिवर्ष 10 सितम्बर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन’(आईएएसपी) द्वारा 2003 में की गई थी। इन दिन पीले रंग के रिबन को प्रतीक के रूप में पहना जाता है, जिसका यह संदेश है कि आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जन जागरुकता से लोगों की जान बचाई जा सकती है। इस दिवस का उद्देश्य आत्महत्या की मनोवृत्ति पर शोध करना, जागरुकता फैलाना और डेटा एकत्रित करना है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक प्रतिवर्ष दुनियाभर में करीब आठ लाख लोग आत्महत्या के जरिये जीवनलीला खत्म कर डालते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में आत्महत्या के मामले 15 से 29 वर्ष के लोगों में होते हैं। जबकि आत्महत्या का प्रयास करने वालों का आंकड़ा इससे बहुत ज्य...
युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति और गलाकाट प्रतिस्पर्धा

युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति और गलाकाट प्रतिस्पर्धा

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- योगेश कुमार गोयल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को लेकर अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण देश के प्रमुख कोचिंग हब बने राजस्थान के कोटा में तो अक्सर छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आती ही रहती हैं। अब नामी-गिरामी इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में भी छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के बढ़ते मामले समाज को झकझोरने लगे हैं। छात्रों में आत्महत्या की यह बढ़ती प्रवृत्ति अब सरकार के साथ-साथ समाज को भी गंभीर चिंतन-मनन के लिए विवश करने हेतु पर्याप्त है। कुछ मामलों में परीक्षाओं के दौरान प्रश्नपत्र सही से हल नहीं कर पाने और कई बार परीक्षा की समुचित तैयारी नहीं होने पर भी छात्र हताश होकर जान देने लगे हैं। पिछले कुछ वर्षों से ऐसी दुखद घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। देश के युवा वर्ग और खासकर 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में आत्महत्या की बढ़ती यह प्रवृत्ति बेहद चिंताजनक है। शिक्षा तथा कैरियर में...
भोपालः दवा का ओवरडोज लेकर महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या

भोपालः दवा का ओवरडोज लेकर महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज (Gandhi Medical College) में अध्ययनरत एक जूनियर महिला डॉक्टर (Junior female doctor committed suicide) ने बुधवार को आत्महत्या कर ली। शाम को सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घटनास्थल से सीरिंज और इंजेक्शन बरामद कर लिया है। पुलिस को आशंका है कि आकांक्षा ने दवा का ओवरडोज लेकर आत्महत्या की है। पुलिस के अनुसार मृतक का नाम आकांक्षा माहेश्वरी उम्र 24 वर्ष है। वह गांधी मेडिकल कालेज के पीडियाट्रिक विभाग में पीजी की पढ़ाई कर रही थी। पुलिस को सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखा है कि वह इतनी मजबूत नहीं है और इतना स्ट्रेस नहीं झेल पा रही है। आकांक्षा ने सुसाइड नोट में अपने माता-पिता और दोस्तो से भी माफी मांगी है। उसने लिखा है कि अपनी निजी कारणों से वह जान दे रही है। पुलिस के अनुसार आकांक्षा ग्वालियर की रहने वाली थी। पुलिस अभी उसकी साथियों के बयान ल...
कोचिंग डिप्रेशन में युवा पकड़ रहे आत्महत्या की राह

कोचिंग डिप्रेशन में युवा पकड़ रहे आत्महत्या की राह

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा कोचिंग के दबाव में युवा, डिप्रेशन के इस कदर शिकार हो रहे हैं कि आत्महत्या की राह पकड़ रहे हैं। डिप्रेशन में युवा यह भी भूलने लगे हैं कि जीवन अनमोल है। किसी प्रतियोगिता में विफल होने पर जीवन से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। दुर्भाग्यजनक तथ्य यह है कि पेरेंट्स की अतिमहत्वाकांक्षा युवाओं को मानसिक तनाव की ओर ले जा रही है। उद्योग नगरी से शिक्षा नगरी में बदली कोटा में प्रतिमाह हादसों का दौर जारी है। एक मोटे अनुमान के अनुसार हजारों करोड़ से अधिक सालाना कारोबार वाली शिक्षा नगरी कोटा को लगता है नजर लग गई है। देशभर में विख्यात कोटा में उज्ज्वल भविष्य का सपना संजोए आने वाले युवाओं द्वारा खुदकुशी करने का अंतहीन सिलसिला जारी है। इसी साल के ही आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो एक दर्जन से अधिक युवाओं ने सपनीले भविष्य के स्थान पर मौत को गले लगाने में किसी तरह का संकोच नहीं किया। यह कोई ...
अवसादग्रस्त लोगों को दिखानी होगी सही राह

अवसादग्रस्त लोगों को दिखानी होगी सही राह

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- योगेश कुमार गोयल लोगों में अवसाद निरन्तर बढ़ रहा है, जिसके चलते ऐसे कुछ व्यक्ति आत्महत्या जैसा हृदयविदारक कदम उठा बैठते हैं। जीवन से निराश होकर आत्महत्या की बढ़ती दुष्प्रवृत्ति गंभीर चिंता का सबब बन रही है। कोरोना काल में लोगों में हताशा और निराशा ज्यादा बढ़ी है, जिससे आत्महत्याओं का प्रतिशत भी लगातार बढ़ रहा है। खासकर युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति सरकार के साथ-साथ समाज को भी गंभीर चिंतन-मनन के लिए विवश करने हेतु पर्याप्त है। राजस्थान के कोटा में एक ही दिन एक कोचिंग संस्थान के तीन छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की घटना तो स्तब्ध करने वाली है। शुरुआती जांच में सामने आया कि तीनों छात्र पढ़ाई के दबाव के कारण डिप्रेशन में थे और कुछ दिनों से कोचिंग कक्षाएं भी नहीं ले रहे थे। वैसे, कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने का यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि एक वर्ष के भीतर यहां करीब 20 छ...
बंद करो बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाना

बंद करो बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाना

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- आर.के. सिन्हा राजस्थान के कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए अन्य राज्यों से आए तीन नौजवानों के आत्महत्या करने की घटना को सुनकर दिल दहल जाता है। जिन बच्चों का अभी सारा जीवन संभावनाओं से भरा पड़ा हुआ था, उन्होंने अपनी जीवन लीला को यूँ ही एक झटके में खत्म कर लिया। मृतक छात्रों में दो बिहार और एक मध्यप्रदेश के रहने वाले थे, जिनकी उम्र 16, 17 और 18 साल थी। मृतक छात्रों में बिहार के रहने वाले दोनों छात्र अंकुश और उज्ज्वल एक ही हॉस्टल में रहते थे। एक इंजीनियरिंग की कोचिंग कर रहा था, वहीं दूसरा मेडिकल की तैयारी करता था। मध्यप्रदेश का छात्र प्रणव नीट की तैयारी करता था। कोटा या देश के अन्य भाग में नौजवानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कुछ समय पहले कोटा में ही नीट की तैयारी कर रहे कोचिंग स्टूडेंट ने फंदा लगाकर खुदखुशी कर ली थी। उसके पास से पुलिस को एक सु...
हिंदी के नाम पर आत्महत्या क्यों?

हिंदी के नाम पर आत्महत्या क्यों?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत के संविधान दिवस पर तमिलनाडु के एक व्यक्ति ने यह कहकर आत्महत्या कर ली कि केंद्र सरकार तमिल लोगों पर हिंदी थोप रही है। आत्महत्या की यह खबर पढ़कर मुझे बहुत दुख हुआ। पहली बात तो यह कि किसी ने हिंदी को दूसरों पर लादने की बात तक नहीं कही है। तमिलनाडु की पाठशालाओं में कहीं भी हिंदी अनिवार्य नहीं है। हां, गांधीजी की पहल पर जो दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा बनी थी, वह आज भी लोगों को हिंदी सिखाती है। हजारों तमिलभाषी अपनी मर्जी से उसकी परीक्षाओं में भाग लेते हैं। आत्महत्या करनेवाले सज्जन चाहते तो वे इसका भी विरोध कर सकते थे लेकिन विरोध का यह भी क्या तरीका है कि कोई आदमी अपनी या किसी की हत्या कर दे। जो अहिंदी भाषी हिंदी नहीं सीखना चाहें, उन्हें पूरी स्वतंत्रता है लेकिन वे कृपया सोचें कि ऐसा करके वे अपना कौन सा फायदा कर रहे हैं? क्या वे अपने आप को बहुत संकुचित नहीं कर रहे हैं?...
गंभीर चिंता का कारण बनता आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ

गंभीर चिंता का कारण बनता आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ

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- योगेश कुमार गोयल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनिया में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है यानी प्रतिवर्ष दुनियाभर में करीब आठ लाख लोग आत्महत्या के जरिये अपनी जीवनलीला खत्म कर डालते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में आत्महत्या के मामले 15 से 29 वर्ष के लोगों में होते हैं। जबकि आत्महत्या का प्रयास करने वालों का आंकड़ा इससे बहुत ज्यादा है। लोगों में अवसाद निरन्तर बढ़ रहा है, जिसके चलते ऐसे कुछ व्यक्ति आत्महत्या जैसा हृदयविदारक कदम उठा बैठते हैं। लोगों में जीवन से निराश होकर आत्महत्या की बढ़ती दुष्प्रवृत्ति गंभीर चिंता का सबब बन रही है। कोरोना काल में लोगों में हताशा और निराशा ज्यादा बढ़ी है, जिससे आत्महत्याओं का प्रतिशत भी लगातार बढ़ रहा है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशों के लोग करते हैं और इसमें बड़ी स...

चिंता का सबब बनती आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति

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- योगेश कुमार गोयल राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2021 में भारत में विभिन्न कारणों से आत्महत्याओं के मामलों को लेकर जो रिपोर्ट जारी की, वह बेहद डरावनी है। दरअसल देश में आत्महत्या के मामलों में हर साल बढ़ोतरी हो रही है और रिपोर्ट के मुताबिक हर रोज देशभर में 450 व्यक्ति आत्महत्या करते हैं। आत्महत्या के ये आंकड़े डराने वाले इसलिए भी हैं क्योंकि जहां वर्ष 2021 में पूरे देश में हुए करीब 4.22 लाख सड़क हादसों में कुल 1.73 लाख लोगों की मौत हुई, वहीं कम से कम 164033 लोगों ने तो आत्महत्या करके ही अपनी जीवनलीला समाप्त कर डाली। समाज विज्ञान के जानकारों के अनुसार बढ़ती महंगाई तथा आम आदमी की लगातार घटती कमाई आत्महत्या के मामले बढ़ने का प्रमुख कारण है। दरअसल कमाई कम होने या रोजगार नहीं होने के कारण लोगों में तनाव बहुत बढ़ गया है, जिससे बहुत से मामलों में पारिवारिक क्लेश पैदा होता है ...