रक्षाबंधन विशेष: कच्चे धागे-पक्के रिश्ते
- योगेश कुमार गोयल
रक्षाबंधन का पर्व सदियों से भारतीय जनमानस का हिस्सा है। रक्षा का तात्पर्य बांधने वाले एक ऐसे धागे से है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर जीवन के हर संघर्ष तथा मोर्चे पर उनके सफल होने तथा निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर रहने की ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। भाई इसके बदले अपनी बहनों की हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा करने का वचन देते हैं और उनके शील एवं मर्यादा की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। वास्तव में भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक यह पर्व स्नेह, सौहार्द एवं सद्भावना का प्रतीक है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भाई की कलाई पर बांधे जाने वाले मामूली से दिखने वाले इन्हीं कच्चे धागों से पक्के रिश्ते बनते हैं। पवित्रता तथा स्नेह का सूचक यह पर्व भाई-बहन को पवित्र स्नेह के बंधन में बांधने का पवित्र एवं यादगार दिवस है। इस पर्व को भारत के कई हिस्सों में ...