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रैगिंग का रोग, क्यों खामोश हैं लोग

रैगिंग का रोग, क्यों खामोश हैं लोग

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल देश में तमाम कड़े कानूनों और सरकारों की कठोर नीति के बावजूद शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं पर रोक न लग पाना चिंताजनक है। नोएडा के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में हुई रैगिंग की घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है। यहां बी-टेक अंतिम वर्ष के चार छात्रों ने प्रथम वर्ष के एक छात्र के साथ इस कदर मारपीट की कि उसके कंधे की हड्डियां टूट गईं। इसके बाद चारों आरोपित भूमिगत हैं। कुछ ही दिन पहले असम के सिलचर में राजकीय डेंटल कॉलेज के प्रथम वर्ष के कुछ छात्रों ने नेशनल एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर सीनियर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अच्छी बात यह है कि कॉलेज प्रशासन ने 14 सीनियर छात्रों को छात्रावास से निष्कासित कर दिया। डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी में भी रैगिंग करने पर 18 छात्रों को निष्कासित करने के साथ तीन हॉस्टल वार्डन को निलंबित किया जा चुका है। एम-कॉम प्रथम वर्ष के छात्र ने ह...