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भोपाल गैस कांड:  अब भी हरे हैं पीड़ितों के जख्म

भोपाल गैस कांड: अब भी हरे हैं पीड़ितों के जख्म

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्ष 1984 में हुई भयावह गैस त्रासदी को पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी और हृदयविदारक औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है। 03 दिसम्बर 1984 को यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) से निकली जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनाइट’ ने हजारों लोगों की जान ली थी। इस त्रासदी से लाखों लोग प्रभावित हुए थे। भोपाल गैस कांड के 38 साल बीत चुके हैं।इस त्रासदी के पीड़ितों के जख्म आज भी हरे हैं। यह हादसा पत्थर दिल इंसान को भी इस कदर विचलित कर देने वाला था कि हादसे में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाया गया और उनका अंतिम संस्कार किया गया जबकि करीब दो हजार जानवरों के शवों को विसर्जित करना पड़ा और आसपास के सभी पेड़ बंजर हो गए थे। एक शोध में यह तथ्य सामने आया है कि भोपाल गैस पीड़ितों की बस्ती में रहने वालों को दूसरे क्षेत्रों में रहने वालों की तुलना...