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रामलीलाः ब्रह्म के मनुष्य होने की गाथा का मंचन

रामलीलाः ब्रह्म के मनुष्य होने की गाथा का मंचन

अवर्गीकृत
- ह्रदय नारायण दीक्षित श्रीराम मंगल भवन हैं और अमंगलहारी। वे भारत के मन में रमते हैं। मिले तो राम राम, अलग हुए तो राम राम। राम का नाम हम सब बचपन से सुनते आए हैं। वे धैर्य हैं। सक्रियता हैं। परम शक्तिशाली हैं। भाव श्रद्धा में वे ईश्वर हैं। राम तमाम असंभवों का संगम हैं। युद्ध में पौरुष पराक्रम और निजी जीवन में मर्यादा के पुरुषोत्तम। राम भारतीय आदर्श व आचरण के शिखर हैं। भारतीय मनीषा ने उन्हें ब्रह्म या ईश्वर जाना है। श्रीकृष्ण भी विष्णु के अवतार हैं। वे अर्जुन को गीता (10.31) में बताते हैं- 'पवित्र करने वालों में मैं वायु हूं और शास्त्रधारियों में राम हूं।' राम महिमावान हैं। श्रीकृष्ण भी स्वयं को राम बताते हैं। श्रीराम प्रतिदिन प्रतिपल उपास्य हैं लेकिन विजयादशमी व उसके आगे-पीछे श्रीराम के जीवन पर आधारित पूरे देश में श्रीराम लीला के उत्सव होते हैं। सम्प्रति देश के कोने कोने रामलीला उत्सव चल ...