Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

Tag: spread

देवी अहिल्याबाई के आदर्शों व सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए होंगे लगातार कार्यक्रमः मुख्यमंत्री

देवी अहिल्याबाई के आदर्शों व सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए होंगे लगातार कार्यक्रमः मुख्यमंत्री

देश, मध्य प्रदेश
इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav.) ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई (Lokmata Devi Ahilyabai) के आदर्शों, सिद्धांतों, व्यक्तित्व और कृतित्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्य शासन (state governance) की ओर से एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति के माध्यम से लगातार कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई हम सबकी आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने जनहितैषी और ममतामयी विशेष शासन व्यवस्था से देश में विशेष पहचान स्थापित की है। वे सनातन धर्म की बड़ी संवाहक रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार शाम को यहां इंदौर में पुण्य सलिला देवी अहिल्याबाई होलकर की 229वीं पुण्यतिथि पर आयोजित गुणीजन सम्मान, पुरस्कार वितरण एवं पुण्य स्मरण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में काम करने वाले श्रीकांत वासुदेव को गुणीजन ...
इंडि अलायन्स गठबंधन के लिए सोशल मीडिया बना जातिगत द्वेष फैलाने का माध्यम

इंडि अलायन्स गठबंधन के लिए सोशल मीडिया बना जातिगत द्वेष फैलाने का माध्यम

अवर्गीकृत
- सुयश त्यागी पिछले छह महीने से जहां एक ओर चुनावी सरगर्मी बढ़ रही थी तो वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर जैसे जातिगत एकाउंट्स की बाढ़ सी आने लगी । एक्स से लेकर फेसबूक और इंस्टाग्राम से लेकर व्हाट्सएप्प तक जाति आधारित समूह व एकाउंट का निर्माण होने लगा । प्रारंभिक दौर में एकाउंट के निर्माण के बाद अपनी जाति के प्रेरक किस्से, नायकों का व्यक्तित्व एवं समाज से जुड़ी जानकारियां साझा की जाने लगीं । जैसे जैसे चुनाव नजदीक आने लगे इनका स्वरूप बदलने लगा सारे एकाउंट्स जाति के बाहर आकर अन्य विषयों पर टिका टिप्पड़ी करने लगे और धीरे-धीरे अपनी दिशा अपनी जाति को सर्वश्रेष्ठ दिखाकर अन्य को छोटा दिखाने का प्रयास शुरू किया जाने लगा । परिणामस्वरूप एक जाति का हैंडल दूसरी जाति को कोसता, तो दूसरी जाति का हैंडल पहले वाले को और इन दोनों हैंडल्स पर आकर सहभागिता देते हुए अपनी-अपनी जाति का समर्थन करते ...
संसद में फैलाए गए पीले धुएं का काला सच क्या है

संसद में फैलाए गए पीले धुएं का काला सच क्या है

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर शीतकालीन सत्र के 10वें दिन भारतीय संसद के अंदर शायद कुछ असामान्य होना तय था। 22 बरस पहले आतंकियों के दिए जख़्म प्रत्येक 13 दिसंबर को हरे हो जाते हैं। कल गनीमत ये समझें कि यह घटना ‘पीले धुएं’ तक सीमित रही। सरकार इस घटना को हल्के में कतई न ले। साजिशकर्ताओं की बुने एक-एक जालों की पहचान की जानी चाहिए। इससे जुड़े हर सवाल का जवाब तलाशना होगा। हमें यह पक्के तौर पर जानना होगा कि उनका मकसद सिर्फ दहशत फैलाना था या कुछ और। चाक-चौबंद सुरक्षा-व्यवस्था में कहां चूक हुई, इसकी सख्त समीक्षा की जरूरत है। बहरहाल, हाल ही में बनकर तैयार हुई संसद अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीकों से लैस बतायी जाती है। लेकिन बुधवार को जिस अंदाज में घटना हुई, उससे साफ है कि साजिश के तार बहुत लंबे थे। इस साजिश के आरोपी सामान्य हैं या असामान्य प्रवृत्ति के, ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। पर, लोग अंदेशा ऐसा भी लग...
नई संसद से आईआईटी तक फैल रहा वास्तुशास्त्र

नई संसद से आईआईटी तक फैल रहा वास्तुशास्त्र

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा देश को मिली नई संसद की इमारत का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुसार होने से यह स्पष्ट है कि अब भारत में वास्तुशास्त्र के नियमों और निर्देशों के अनुसार ही बड़े भवनों से लेकर पार्कों तक का निर्माण होगा। वास्तुशास्त्र को आईआईटी जैसे अति महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में भी स्वीकार्यता मिल रही है। आईआईटी, खड़कपुर में वास्तु शास्त्र को पढ़ाने का फैसला लिया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार बनने वाली इमारतें किसी अप्रिय प्राकृतिक घटना से बचाती हैं। नई संसद या नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नए सिरे से बनने वाली तमाम इमारतों में वास्तुशास्त्र के मूल बिन्दुओं का पालन करते हुए निर्माण कार्यों का होना सुखद है। यह सर्वविदित है कि वास्तुशास्त्र अति प्राचीन भारतीय विज्ञान है। वास्तुशास्त्र के अंर्तगत चार मूल दिशाओं और दस कोणों का ध्यान रखा जाता है। वास्तुशा...
बंगाल में फैली अमर्त्य सेन की मौत की खबर, बेटी ने कहा – पिता सही सलामत

बंगाल में फैली अमर्त्य सेन की मौत की खबर, बेटी ने कहा – पिता सही सलामत

देश
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में दोपहर से लेकर शाम तक मशहूर अर्थशास्त्री और नोबेल विजेता अमर्त्य सेन के निधन की खबरें फैल गई थीं। हालांकि बाद में पता चला कि यह केवल अफवाह थी और अमर्त्य सेन सही सलामत हैं। उनकी बेटी नंदना देब सेन ने मौत की खबर का खंडन किया और कहा कि वो पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। दरअसल, अर्थशास्त्र में इस बार की नोबेल पुरस्कार विजेता क्लाउडिया गोल्डिन के नाम से बने अनवेरिफाइड अकाउंट से मंगलवार शाम करीब पांच बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया गया कि अमर्त्य सेन का कुछ मिनट पहले निधन हो गया है। इसी पोस्ट का हवाला देते हुए भारत की एक न्यूज़ एजेंसी ने भी मौत की जानकारी दी। जैसे ही ये अफवाह फैली सोशल मीडिया पर अमर्त्य सेन की मौत पर दुख जताने वालों का भी तांता लग गया था। जानकारी मिलते ही बेटी नंदना देब सेन ने इसका खंडन किया। इसके बाद उस न्यूज एजेंसी को भी पोस्ट हटाना पड़ा।...
देश-समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा देने वाले साहित्य का हो प्रसार: राज्यपाल पटेल

देश-समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा देने वाले साहित्य का हो प्रसार: राज्यपाल पटेल

देश, मध्य प्रदेश
- राज्यपाल ने किया टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 2022 का उद्घाटन भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि भावी पीढ़ी को देश और समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा (motivation to work for the society) देने वाले साहित्य का प्रसार (dissemination of literature) किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय गौरव, आजादी के संघर्ष, अमर वीर-वीरांगनाओं और पर्यावरण चेतना के प्रति सजग बनाने वाले साहित्य का पुस्तकालयों में संकलन किया जाना चाहिए। पाठ्यक्रम की पुस्तकों के साथ ही साहित्य, कला और पर्यावरण आदि विभिन्न विषय पर पुस्तकों की उपलब्धता पुस्तकालयों में होनी चाहिए। राज्यपाल पटेल गुरुवार शाम को राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (Rabindranath Tagore University) द्वारा आयोजित टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 2022 ...

पाकिस्तान का झोली फैलाना

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अभी भी उसे 1.2 बिलियन डाॅलर के कर्ज देने में काफी हीला-हवाली कर रहा है। उसकी दर्जनों शर्तें पूरी करते-करते पाकिस्तान कई बार चूक चुका है। इस बार भी उसको कर्ज मिल पाएगा या नहीं, यह पक्का नहीं है। शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बनते ही सऊदी अरब दौड़े थे। यों तो सभी पाकिस्तानी शपथ लेते से ही मक्का-मदीना की शरण में जाते हैं लेकिन इस बार शहबाज का मुख्य लक्ष्य था कि सऊदी सरकार से 4-5 बिलियन डाॅलर झाड़ लिये जाएं। उन्होंने झोली फैलाई लेकिन बदकिस्मती कि उन्हें वहां से भी खाली हाथ लौटना पड़ा। वे अब पाकिस्तान में ऐसे हालात का सामना कर रहे हैं, जैसे अब तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किए। लोगों को रोजमर्रा की खुराक जुटाने में मुश्किल हो रही है। आम इस्तेमाल की चीजों के भाव दोगुने-तिगुने हो गए हैं। बेरोजगारी और बेका...