खेल दिवस की प्रासंगिकता और युवाओं की उम्मीदें
- रमेश ठाकुर
जिदंगी खेल है। खेल ही जिंदगी। बेशक दोनों के मायने अलग हैं। मगर वास्तविकता आपस में कहीं न कहीं मेल खाती है। ‘खेलकूद’ के महत्व को दर्शाता है राष्ट्रीय खेल दिवस। शायद ये बात सभी जानते भी होंगे। ‘हिट इंडिया, तो फिट इंडिया’ का जबसे नारा बुलंद हुआ है, तब से इस दिवस की प्रासंगिकता और बढ़ी है। लोगों में खेलों के प्रति जागरुकता बढ़े, उनमें ललक पैदा हो, जिससे वह ‘हिट एंड फिट’ हो सकें। इसी मकसद को मुकम्मल रूप से पूरा करता है आज का ये खास दिवस। ये दिन न सिर्फ विद्यालयों, कॉलेज, विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व खेल अकादमियों तक सीमित है, बल्कि हर उम्र के व्यक्ति के लिए अहम मायने रखता है। रविवार को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती है। ये दिवस उन्हीं को समर्पित है। साल भर पूर्व देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार यानी पूर्व के राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर खेल नायक मेजर ध्यान चंद के नाम प...