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सामाजिक समरसता पर सहज अमल

सामाजिक समरसता पर सहज अमल

अवर्गीकृत
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है। उसकी यह यात्रा समाजिक समरसता और संगठन पर आधारित है। इसका निरन्तर विस्तार हो रहा है। समाज के चिंतन और व्यवहार में व्यापक बदलाव आ रहा है। राष्ट्र को सर्वोच्च मानते हुए कार्य करने की प्रेरणा संघ से मिल रही है। भेदभाव से मुक्त समाज का विचार प्रबल हो रहा है। संघ ने यह विलक्षण कार्य अत्यंत सहज और स्वाभाविक रूप में किया है। संघ की शाखाएं इसी भावभूमि पर चलती हैं। संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार युगदृष्टा थे। शाखाओं में जाने मात्र से भेदभाव का विचार तिरोहित हो जाता है। इसीलिए कहा गया कि संघ को समझने के लिए शाखाओं में जाना अपरिहार्य है। यहां समरसता का स्वाभाविक वातावरण होता है। यहां होने वाले कार्यक्रम या सहभोज आदि समरसता के अघोषित उपकरण हैं। इनसे लोगों के विचार मनोवैज्ञानिक रूप में समरसता के अनुकूल हो जाते हैं। संघ प्...