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Tag: Spirituality

चारधाम यात्रा में बढ़ता श्रद्धा का सैलाब… प्रकृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

चारधाम यात्रा में बढ़ता श्रद्धा का सैलाब… प्रकृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

देश
- दर्शनार्थियों का आंकड़ा 12 लाख के करीब, केदारनाथ को लेकर बढ़ता जा रहा क्रेज नई दिल्ली (New Delhi)। हिमालय (Himalaya) की गोद में बसे उत्तराखंड की धरती (Land of Uttarakhand) सदियों से आध्यात्मिक साधकों (Spiritual seekers) और प्रकृति प्रेमियों (Nature lovers) को अपनी ओर खींचती रही है। यहां चार धामों (Chardham Yatra)- बद्रीनाथ ( Badrinath), केदारनाथ (Kedarnath), गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री (Yamunotri) का पवित्र स्थल है, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। ये धाम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं बल्कि अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी विख्यात हैं। विश्व विख्यात चारधाम यात्रा में इस बार आस्था, भक्ति और उल्लास अपने चरम पर है। ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्रीकेदारनाथ के दर्शन के लिए आने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो चारों ...
आध्यात्मिकता ही है भारतीय विचार प्रक्रिया का मूल: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

आध्यात्मिकता ही है भारतीय विचार प्रक्रिया का मूल: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि आध्यात्मिकता (Spirituality) ही भारतीय विचार प्रक्रिया का मूल तत्व (basic element of Indian thought process) है। हम मूलत: आध्यात्मिक हैं। सम्पूर्ण प्रकृति में परमेश्वर व्याप्त है। उसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महसूस किया जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार शाम को उज्जैन में माधव सेवा न्यास में विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी मध्य प्रान्त के द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा ज्ञान-विज्ञान अत्यंत प्राचीन है। कुंभ का मेला नक्षत्र के अनुसार होता है। प्रत्येक बारह वर्ष में उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन किया जाता है। डॉ. यादव ने कहा कि आध्यात्मिकता की यात्रा ही भारत के विकास की यात्रा है। उज्जैन में स्थित डोंगला में स्टेण्डर्ड टाईम की गणना होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्...
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस: धार्मिक पर्यटन का केंद्र है भारत

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस: धार्मिक पर्यटन का केंद्र है भारत

अवर्गीकृत
- लोकेन्द्र सिंह धर्म और अध्यात्म भारत की आत्मा है। यह धर्म ही है, जो भारत को उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक एकात्मता के सूत्र में बांधता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन करते हैं तो हमें साफ दिखायी देता है कि धार्मिक पर्यटन हमारी परंपरा में रचा-बसा है। तीर्थाटन के लिए हमारे पुरखों ने पैदल ही इस देश को नापा है। भारत की सभ्यता एवं संस्कृति विश्व समुदाय को भी आकर्षित करती है। हम अनेक धार्मिक स्थलों पर भारतीयता के रंग में रंगे विदेशी सैलानियों को देखते ही हैं। दरअसल, भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा धार्मिक स्थलों का देश कहा जाता है। एक अनुमान के अनुसार, देशभर में पांच हजार से अधिक सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। अब उनमें एक और स्थान जुड़ गया- अयोध्याधाम। जिस प्रकार का आस्था का सैलाब प्राण प्रतिष्ठा उत्सव के बाद रामलला के दर्शन को उमड़ा है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि आनेवाले ...
अर्थव्यवस्था का आधार बन रहे आस्था व अध्यात्म

अर्थव्यवस्था का आधार बन रहे आस्था व अध्यात्म

अवर्गीकृत
- प्रदीप मिश्र अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ज्यों-ज्यों करीब आ रही है, वहां के अभ्युदय, आख्यान, आस्था और अध्यात्म के साथ-साथ आह्लाद और अर्थात पर चातुर्दिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। 2024 की जनवरी और विक्रम संवत 2080 का पुनीत पौष और फाल्गुन माह अयोध्या के दृष्टिकोण से सामाजिक चिंतन और राजनीतिक विचार-विमर्श का केंद्र बिंदु बन चुका है। अर्थव्यवस्था के अंकगणित के पैमाने पर भी समग्र आयोजन और प्रयोजन को परखा जा रहा है। देश में 20 लाख से अधिक मंदिर हैं लेकिन इस समय सबकुछ राममय है। सबसे ज्यादा मंदिर तमिलनाडु में हैं, जहां की सरकार की ओर से सनातन धर्म पर उठाए गए सवालों का सटीक जवाब देने का समय संभवतः सन्निकट है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए 2023-24 के बजट में 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। अयोध्या, काशी और प्रयागराज में विकास...
अध्यात्म का उदार चिंतन

अध्यात्म का उदार चिंतन

अवर्गीकृत
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री परम सत्ता तक पहुंचने के विविध मार्ग बताए गए हैं। यह उदार चिंतन केवल भारत में हुआ। हिन्दुओं के सभी पंथ और उपासना पद्धति के प्रति सम्मान रखिए। इनका सांस्कृतिक सूत्र एक है। भारत में समय-समय पर संतों ने समरसता का ही संदेश दिया। अपने को एक मात्र श्रेष्ठ मानने का विचार भारतीय चिंतन में कभी नहीं रहा। वैदिककाल में कर्म आधारित व्यवस्था थी। ऐसे भी उदाहरण है जब ऋषि ने अपने पुत्र को ही ब्राह्मण नहीं माना था। स्वामी दयानन्द, स्वामी विवेकानंद और आचार्य श्रीराम शर्मा ने वैदिक आधार पर आडम्बर दूर करने के प्रयास किए। इन्होंने गायत्री मंत्र साधना का सबको अधिकार दिया। यह वैदिक अवधारणा है। यह हिन्दू दर्शन की विशेषता है। हमारे ऋषि कहते हैं मेरा चिंतन जहां तक गया, उसे प्रकट किया। लेकिन यह अंत नहीं है। प्रश्न और जिज्ञासा हिन्दू चिंतन की विशेषता है। समय समय पर संतो महापुरुषों ने समाज को ज...

सांची स्तूप के अध्यात्म से अभिभूत हुआ आईसीसीआर प्रतिनिधि-मंडल

देश, मध्य प्रदेश
- फ्रांस, फिजी, ग्वाटेमाला, उरुग्वे, जाम्बिया और हौन्डुरस देश के 21 प्रतिनिधि आए भोपाल भोपाल। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) का प्रतिनिधि-मंडल ने रविवार को सांची के स्तूप में भगवान बुद्ध के अध्यात्म की अनुभूति कर अभिभूत हुआ। उन्होंने स्तूपों में अंकित उपदेश से भगवान बुद्ध के विश्व-कल्याण, अहिंसा और शांति के संदेश को जाना। दरअसल, जेन नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क कार्यक्रम में आईसीसीआर का 21 सदस्यीय प्रतिनिधि-मंडल मध्यप्रदेश भ्रमण पर भोपाल आया हुआ है, जिसमें फ्रांस, फिजी, ग्वाटेमाला, उरुग्वे, जाम्बिया और हौन्डुरस देश के प्रतिनिधि शामिल हैं। यहाँ उन्हें पर्यटन बोर्ड के अधिकारियों ने साँची के स्तूप, बोट क्लब और ट्राइबल म्यूजियम का भ्रमण कराया। प्रतिनिधि-मंडल, जेनएक्सटी नेटवर्क प्रोग्राम में 18 से 27 जुलाई तक भारत भ्रमण पर है। संसद, प्रधानमंत्री संग्रहालय, ताजमहल, आगरा का किला और र...