Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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नेता प्रतिपक्ष और भारतीय लोकतंत्र

नेता प्रतिपक्ष और भारतीय लोकतंत्र

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- डॉ. नुपूर निखिल देशकर भारतीय लोकतंत्र को यह जहरीला घूंट अब बार-बार पीना पड़ेगा। नेता प्रतिपक्ष के रूप में अभिभाषण पर बोलते हुए राहुल गांधी के भीतर का वह सब बाहर आ गया है जो दस साल से दबा छिपा था। चुनाव परिणामों से संजीवनी प्राप्त राहुल ने भले ही समूचा विष एक साथ उगल डाला हो लेकिन उन्होंने भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं को बार बार प्रतिवाद करने पर मजबूर कर दिया। इतना अधिक उद्वेलित किया कि न केवल राजनाथ सिंह,न केवल अमित शाह अपितु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे शीर्ष नेताओं को बीच बीच में खड़े होकर जवाब देने पर मजबूर होना पड़ा। एक तरह से यह राहुल के झूठ की जीत और बीजेपी टॉप लीडरशिप की पराजय है। राहुल गांधी हिन्दुत्व, भाजपा और संघ को सीधे सपाट ढंग से कोसते हुए सदन में पहली बार बेलगाम नेता के बतौर सामने आए। उनका यह बदला हुआ रूप आने वाले दिनों में एक नई राजनीति की ओर इशारा कर रहा है। जाहिर...
प्रकाशोत्सव: गुरुनानक देव की वाणी में बाबरगाथा

प्रकाशोत्सव: गुरुनानक देव की वाणी में बाबरगाथा

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- रावेल पुष्प सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव का काफी समय न सिर्फ देश के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण करने में बीता बल्कि देश से बाहर भी उन्होंने यात्राएं कीं और लोगों के जीवन में रंग भरने की कोशिश की। गुरुनानक देव जी ने अधिकतर जगहों पर रुक- रुक कर अपनी यात्राएं कीं। उनकी की गई यात्राओं को आमतौर पर चार हिस्सों में बांटा जाता है जिन्हें "उदासियां" कहा गया है। गुरुनानक देव जी 1497 से 1522 तक अपनी यात्राओं से जब वापस लौट चुके थे उसके कुछ समय बाद ही उज्बेकिस्तान में जन्मे जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर ने काबुल और कंधार को जीतने के बाद भारत पर आक्रमण किया। वैसे तो बाबर ने भारत पर कुल जमा पांच बार आक्रमण किया और आखिर पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली की गद्दी पर तख्तनशीन हुआ और मुगल साम्राज्य की स्थापना की। अपने हमलों के दौरान मुगल सिपाहियों ने ऐमनाबाद को बुरी तरह लूटा और लोगों पर न सि...

संस्कृत है जीवन-संजीवनी !

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- गिरीश्वर मिश्र मनुष्य जीवन में वाक शक्ति या वाणी की उपस्थिति कितना क्रांतिकारी परिवर्तन ला देती है यह बात मानवेतर प्राणियों के साथ शक्ति, संभावना और उपलब्धि की तुलना करते हुए सरलता से समझ में आ जाती है। ध्वनियां और उनसे बने अक्षर तथा शब्द भौतिक जगत में विलक्षण महत्व रखते हैं। भाषा और उसके शब्द किसी वस्तु के प्रतीक के रूप में हमें उस वस्तु के अभाव में भी उसके उपयोग को संभव बनाते हैं। दूसरी तरह कहें तो भाषा हमें कई तरह के बंधनों स्वतंत्र करती चलती है, वह हमारे लिए विकल्प भी उपलब्ध कराती है और रचने-रचाने की अपरिमित संभावनाएं भी उपस्थित करती है। यह भाषा ही है जो हमारे अनुभव के देशकाल को स्मृति के सहारे एक ओर अतीत से जोड़ती है तो दूसरी ओर अनागत भविष्य को गढ़ने का अवसर देती है। यानी भाषा मूर्त और अमूर्त के भेद को पाटती है और हमारे अस्तित्व को विस्तृत करती है। आंख की तरह भाषा हमें एक नया जगत दृ...

मोदी के भाषण पर विवाद फिजूल

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक लाल किले की प्रचारी से हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री जो भाषण देते हैं, उनसे देश में कोई विवाद पैदा नहीं होता। वे प्रायः विगत वर्ष में अपनी सरकार द्वारा किए गए लोक-कल्याणकारी कामों का विवरण पेश करते हैं और अपनी भावी योजनाओं का नक्शा पेश करते हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के लगभग एक घंटे के हिस्से पर किसी विरोधी ने कोई अच्छी या बुरी टिप्पणी नहीं की लेकिन सिर्फ दो बातें को लेकर विपक्ष ने उन पर गोले बरसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस के नेताओं को बड़ा एतराज इस बात पर हुआ कि मोदी ने महात्मा गांधी, नेहरू और पटेल के साथ-साथ इस मौके पर वीर सावरकर और श्यामाप्रसाद मुखर्जी का नाम क्यों ले लिया? चंद्रशेखर, भगत सिंह, बिस्मिल आदि के नाम भी मोदी ने लिए और स्वातंत्र्य-संग्राम में उनके योगदान को प्रणाम किया। क्या इससे नेहरू जी की अवमानना हुई है? कतई नहीं। फिर भ...