Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

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- योगेश कुमार गोयल दया और सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता माना जाता है, जिनकी शुक्रवार को हम 203वीं जयंती मना रहे हैं। प्रतिवर्ष उन्हीं की जयंती को 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों के योगदान को नमन करना बेहद जरूरी है। ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से विख्यात नाइटिंगेल का जन्म 203 वर्ष पहले 12 मई, 1820 को इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1973 में नर्सों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों को सम्मानित करने के लिए उन्हीं के नाम से ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार’ की स्थापना की गई थी, जो प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर प्रदान किए जाते हैं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक बेहद खूबसूरत, पढ़ी-लिखी और समझदार युवती थीं। उन्होंने अंग्रेजी, इटेलियन, लैटिन, जर्म...
विशेष: हाशिये पर मजदूर, प्रगति कैसे हो भरपूर

विशेष: हाशिये पर मजदूर, प्रगति कैसे हो भरपूर

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- योगेश कुमार गोयल प्रतिवर्ष 01 मई को विश्व श्रमिक दिवस मनाया जाता है। इसे बहुत जगह ‘मई दिवस’ भी कहा जाता है। यह दिवस समाज के उस वर्ग के नाम है, जिसके कंधों पर सही मायनों में विश्व की उन्नति का दारोमदार है। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति तथा राष्ट्रीय हितों की पूर्ति का प्रमुख भार इसी वर्ग के कंधों पर होता है। वर्तमान मशीनी युग में भी उनकी महत्ता कम नहीं है। श्रमिक दिवस और श्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने कहा था कि किसी व्यवसाय को ऐसे देश में जारी रहने का अधिकार नहीं है, जो अपने श्रमिकों से जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक मजदूरी से भी कम मजदूरी पर काम करवाता है। जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक मजदूरी से उनका आशय सम्मानपूर्वक जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक मजदूरी से था। इस दिवस पर यह जानना भी दिलचस्प है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक दिवस कब से और ...
विश्व होम्योपैथी दिवस विशेष: रोग की जड़ पर प्रहार

विश्व होम्योपैथी दिवस विशेष: रोग की जड़ पर प्रहार

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- योगेश कुमार गोयल हर साल 10 अप्रैल को होम्योपैथी के जनक जर्मन मूल के महान चिकित्सक और उत्कृष्ट वैज्ञानिक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ मनाया जाता है। होम्योपैथी को संपूर्ण चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्थापित करने का श्रेय डॉ. हैनीमैन को ही जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य चिकित्सा की इस अलग प्रणाली के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करने के साथ प्रत्येक व्यक्ति तक इसकी पहुंच की सफलता दर को आसानी से बेहतर बनाना है। 10 अप्रैल 1755 को जन्मे डॉ. हैनीमैन के पास एमडी की डिग्री थी पर उन्होंने बाद में अनुवादक के रूप में कार्य करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। उसके बाद उन्होंने अंग्रेजी, फ्रांसीसी, इतालवी, ग्रीक, लैटिन इत्यादि कई भाषाओं में चिकित्सा, वैज्ञान की पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन किया । इसके बाद होम्योपैथी के रूप में दुनिया के सामने नई चिकित्...
1 अप्रैल विशेष: बरकरार है मूर्ख दिवस की प्रासंगिकता

1 अप्रैल विशेष: बरकरार है मूर्ख दिवस की प्रासंगिकता

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- योगेश कुमार गोयल विश्वभर के लगभग सभी देशों में पहली अप्रैल का दिन ‘फूल्स डे’ अर्थात् ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में ही मनाया जाता है। कोई छोटा हो या बड़ा, इस दिन हर किसी को जैसे हंसी-ठिठोली करने का बहाना मिल ही जाता है और हर कोई किसी न किसी को मूर्ख बनाने की चेष्टा करता नजर आता है। लोग एक-दूसरे को किसी तरह का नुकसान पहुंचाए बिना ऐसी असत्य और मनगढंत कल्पनाओं को ही यथार्थ का रूप देकर, जिन पर कोई भी आसानी से विश्वास कर सके, एक-दूसरे को मूर्ख बनाने की चेष्टा करते हैं और अक्सर बहुत चतुर समझे जाने वाले व्यक्ति भी मूर्ख बन ही जाते हैं। शायद यही कारण है कि इस दिन चाहे कोई किसी का कितना ही विश्वासपात्र क्यों न हो, मस्तिष्क में यह बात विराजमान रहती है न कि कहीं यह हमें मूर्ख तो नहीं बना रहा! कई बार होता यह भी है कि लोग कोशिश तो करते हैं दूसरों को मूर्ख बनाने की लेकिन इस कोशिश में खुद ही मूर्ख बन जाते है...
विशेष: प्रथम गुरु जैसी है मातृभाषा

विशेष: प्रथम गुरु जैसी है मातृभाषा

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- डॉ. वंदना सेन जन्म लेने के बाद शिशु जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है मां से सीखी हुई भाषा। बालक यदि माता-पिता के अनुकरण से किसी भाषा को सीखता है तो वह भाषा ही उसकी मातृभाषा कहलाती है। मातृभाषा हम सभी को उस धरातल से जोड़ती है, जो हमें आगे बढ़ते के लिए आधार प्रदान करती है। इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। जब हम अपनी स्वयं की भाषा से इतर किसी दूसरी भाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं तो स्वाभाविक रूप से वह हमारा बाहरी आवरण ही होता है। क्योंकि हमारे घर का, आसपास का वातावरण मातृभाषा का ही होता है। इसका दुष्परिणाम यह भी होता है कि हम घर परिवार और समाज से समरस होने का सामर्थ्य खो देते हैं। हम केवल एक भाषा के त...
विशेष: ब्रेल लिपि बदल रही दृष्टिबाधितों की दुनिया

विशेष: ब्रेल लिपि बदल रही दृष्टिबाधितों की दुनिया

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- योगेश कुमार गोयल संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में करीब 39 मिलियन लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है। इनमें से करीब 100 मिलियन लोगों को नजर की ऐसी कमजोरी अथवा विकलांगता है, जिसे रोका जा सकता था या उन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे में संचार के साधन के रूप में ब्रेल लिपि के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने, दृष्टि-बाधित लोगों को उनके अधिकार प्रदान करने और ब्रेल लिपि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 4 जनवरी को ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल के जन्मदिवस को ‘विश्व ब्रेल दिवस’ मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार नेत्र विकार से पीड़ित लोगों के गरीबी और अभाव भरे जीवन से पीड़ित होने की संभावना ज्यादा होती है। संयुक्त राष्ट्र के ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेन्शन’ में ब्रेल लिपि को संचार ...
जयंती विशेष:  सपनों के सौदागर को सलाम

जयंती विशेष: सपनों के सौदागर को सलाम

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- मुकुंद भारतीय सिनेमा के सपनों के सौदागर, द ग्रेट शोमैन, निर्माता-निर्देशक और अभिनेता राज कपूर आज भी लोगों के दिलों में धड़कते हैं। नेहरू के समाजवाद से प्रेरित राज कपूर की शुरुआती फिल्मों 'आवारा', 'श्री 420', 'बूट पॉलिश' और 'जागते रहो' में इसकी झलक देखी जा सकती है। आम आदमी के सुख-दुख को अभिव्यक्त देती यह शाहकार कालजयी हैं। राजकपूर की कई फिल्मों में रोमांस भी है। उनमें प्रेम को नई परिभाषा होती है। 14 दिसंबर, 1924 को अविभाजित भारत के पेशावर में जन्मे राज कपूर के पिता पृथ्वी राज कपूर जाने-माने थियेटर आर्टिस्ट और अभिनेता रहे हैं। पृथ्वीराज कपूर के तीन बेटे थे- राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर। संयोग से तीनों अपने दौर के बड़े अभिनेता हैं। पृथ्वी राज कपूर के बेटे ही क्या अब तो सारा का सारा कपूर खानदान सिल्वर स्क्रीन का बड़ा नाम है। राज कपूर का पूरा नाम रणबीर राज कपूर है। पारिवारिक पृष्ठभूमि क...
शिशु सुरक्षा दिवस विशेष: मृत्यु दर में कमी सुखद संकेत

शिशु सुरक्षा दिवस विशेष: मृत्यु दर में कमी सुखद संकेत

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- रमेश सर्राफ धमोरा हर साल सात नवंबर को शिशु सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में शिशुओं की सुरक्षा से संबंधित जागरुकता फैलाना और शिशुओं की उचित देखभाल कर के उनके जीवन की रक्षा करना है। उचित सुरक्षा न हो पाने के कारण दुनिया में बहुत सारे नवजात मौत के आगोश में चले जाते है। हमारे देश में नवजात मृत्यु दर अधिक रही है। मगर सरकार ने इस दिशा में बेहतर प्रयास किए हैं जिसकी बदौलत इसमें कमी आई है। नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) सांख्यिकीय रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत में पांच वर्ष से कम आयु में मृत्यु दर 2019 में प्रति एक हजार जीवित शिशुओं में से 35 के मुकाबले 2020 में घटकर 32 रह गई है। सबसे अधिक गिरावट उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में दर्ज की गई है। भारत के महापंजीयक द्वारा हाल ही में जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 2014 से शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) पांच वर्ष स...
भैया दूज पर विशेषः यम के भय से मुक्ति का पर्व

भैया दूज पर विशेषः यम के भय से मुक्ति का पर्व

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- योगेश कुमार गोयल भाई-बहन के पावन संबंधों की मजबूती और प्रेमभाव को स्थापित करने वाला पर्व है ‘भैया दूज’। बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर ईश्वर से उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं। कहा जाता है कि इससे भाई यमराज के प्रकोप से बचे रहते हैं। इस वर्ष भैया दूज की तिथि को लेकर भी बड़ा भ्रम है। दरअसल कार्तिक कृष्ण द्वितीया तिथि इस साल 26 और 27 अक्टूबर को है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 26 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 43 मिनट से भैया दूज पर्व मनाना शुभ रहेगा। यह शुभ मुहूर्त 27 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से साढ़े तीन बजे तक रहेगा। कई ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक भैया दूज 26 तारीख को ही मनाना शास्त्र के अनुकूल है। चूंकि कई स्थानों पर लोग उदया तिथि के हिसाब से यह पर्व मनाते हैं। ऐसे में जहां लोग उदया तिथि को मानते हैं, वहां 27 अक्टूबर को भैया दूज पर्व मनाया जा सकता है। दीपावली के दो दिन बाद अर्थात कार्ति...