Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

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समाज का पथ प्रदर्शक होता है शिक्षक

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- रमेश सर्राफ धमोरा मनुष्य के जीवन में गुरु का स्थान सर्वोत्तम माना गया है, क्योंकि गुरु ही एकमात्र ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने शिष्य को जीवन में कर्म पथ पर चलने का सही मार्ग दिखाता है। कहा जाता है कि गुरु के बिना ज्ञान अधूरा रहता है। यह बात बिल्कुल सत्य है। हमारे जीवन में सबसे पहली गुरु तो मां होती है जो हमें जन्म लेते ही हर बातों का ज्ञान कराती है। मगर विद्यार्थी काल में बालक के जीवन में शिक्षक एक ऐसा गुरु होता है जो उसे शिक्षित तो करता ही है साथ ही उसे अच्छे-बुरे का ज्ञान भी कराता है। पहले के समय में तो छात्र गुरुकुल में शिक्षक के पास रहकर वर्षों विद्या अध्ययन करते थे। उस दौरान गुरु अपने शिष्यों को विद्या अध्ययन करवाने के साथ ही स्वावलंबी बनने का पाठ भी पढ़ाते थे। इसीलिए कहा गया है कि गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए। गुरु का स्थान ईश्वर से भी बड़...

द्रौपदी मुर्मू : समाज के अंतिम छोर की प्रतिभा

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- सुरेश हिन्दुस्थानी राष्ट्रपति के चुनाव की मतगणना के पश्चात देश ने नए राष्ट्रपति के रूप में जनजातीय समाज की प्रतिभा द्रौपदी मुर्मू को चुन लिया गया है। राष्ट्रपति के रूप में उनका चयन निश्चित ही एक ऐसा संदेश प्रवाहित कर रहा है, जिसमें एक उम्मीद है, एक विश्वास है। जो उस समाज में आगे बढ़ने का हौसला प्रदान कर रहा है, जिसको अभी तक वंचित माना जाता रहा है। भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनवाकर स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव को सार्थकता प्रदान की है। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि द्रौपदी मुर्मू उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन से निकले शब्दों में समाज का अंतिम छोर है। केंद्र की मोदी सरकार ने आज पंडित दीनदयाल जी के सपने को साकार करने की अभिनव पहल की है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी कहते थे कि जिस दिन सम...