Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

Tag: Society

मनोरंजन ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण में भी योगदान देती हैं कलाएं: राज्यपाल पटेल

मनोरंजन ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण में भी योगदान देती हैं कलाएं: राज्यपाल पटेल

देश, मध्य प्रदेश
- संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल हुए राज्यपाल भोपाल (Bhopal)। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि भारतीय चिंतन परंपरा (Indian thought tradition) में कलाओं व संस्कृति (arts and culture) का उद्देश्य केवल मनोरंजन मात्र नहीं, समाज और राष्ट्र निर्माण में सहभागी होना भी है। जीवन में संगीत का बड़ा महत्व (great importance of music in life) है। संगीत मन को तरंगित कर देता है। आप कितने भी गहने तनाव व थकावट से भरे हों, यदि कोई अच्छा सुर सुनाई दे जाए तो मन को बड़ा सुकून मिलता है। इसका प्रत्यक्ष अनुभव यहाँ हो रहा है। राज्यपाल पटेल रविवार को ग्वालियर में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ संवाद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। कार्यक्रम में सांसद विवेक नारायण शे...
चतुर्मास : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

चतुर्मास : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

अवर्गीकृत
- रमेश शर्मा भारतीय वाड्मय में चतुर्मास का विशेष महत्व है । यह अवधि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होकर कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तक पूरे चार माह रहती है । मान्यता है कि इस अवधि में भगवान नारायण पाताल लोक में विश्राम करते हैं इसलिये कोई शुभ काम नहीं होते। लेकिन आश्चर्यजनक पक्ष यह है कि यदि चतुर्मास में देव शयन होता है और कोई पवित्र कार्य नहीं हो सकते तब सनातन परंपरा के सभी बड़े और महत्व पूर्ण त्योहार जैसे गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, नागपंचमी, ऋषि पंचमी, गणेशोत्सव, जन्माष्टमी, संतान सप्तमी, करवा चौथ, हरियाली अमावस, पितृपक्ष, नवरात्र, दशहरा, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि सभी बड़े त्योहार इसी चार माह की अवधि में ही आते हैं । बड़े त्योहारों में केवल होली है जो इस चतुर्मास की अवधि से बाहर है । यदि कोई शुभ कार्य नहीं हो सकते तो बड़े-बड़े त्योहारों की शृंखला का प्रावधान इसी अवधि मे...
मप्र में बहनें हो रहीं आत्म-निर्भर, परिवार-समाज में बढ़ रहा उनका सम्मान : शिवराज

मप्र में बहनें हो रहीं आत्म-निर्भर, परिवार-समाज में बढ़ रहा उनका सम्मान : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
-लाडली बहना सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री, 90 करोड़ के विकास कार्यों का किया लोकार्पण-भूमि-पूजन भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में एक सामाजिक क्रांति हो रही है, जिसमें बहनें आत्म-निर्भर हो रही हैं और उनका परिवार और समाज में सम्मान बढ़ रहा है। आजीविका मिशन में जहां स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित महिलाओं को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए सरकार सहायता दे रही है, वहीं लाडली बहना जैसी योजना से उन्हें आगामी 10 जून से प्रतिमाह 1000 रुपये की राशि दी जाएगी। लाडली लक्ष्मी योजना में अभी तक प्रदेश की 44 लाख 90 हजार बेटियों को लखपति बनाया है। मुख्यमंत्री चौहान गुरुवार को देवास जिले के सोनकच्छ में लाडली बहना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने लगभग 90 करोड़ रुपये की लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण/भूमि-पूजन किया। साथ ही मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योज...
विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल दया और सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता माना जाता है, जिनकी शुक्रवार को हम 203वीं जयंती मना रहे हैं। प्रतिवर्ष उन्हीं की जयंती को 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों के योगदान को नमन करना बेहद जरूरी है। ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से विख्यात नाइटिंगेल का जन्म 203 वर्ष पहले 12 मई, 1820 को इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1973 में नर्सों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों को सम्मानित करने के लिए उन्हीं के नाम से ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार’ की स्थापना की गई थी, जो प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर प्रदान किए जाते हैं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक बेहद खूबसूरत, पढ़ी-लिखी और समझदार युवती थीं। उन्होंने अंग्रेजी, इटेलियन, लैटिन, जर्म...
सरकारी योजनाओं से बेटियों को वरदान मानने लगा समाज, बहनें हुई सशक्त: शिवराज

सरकारी योजनाओं से बेटियों को वरदान मानने लगा समाज, बहनें हुई सशक्त: शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- ग्राम पिपलानी में गोंड और कोरकू समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि राज्य सरकार की योजनाओं (state government schemes) के कारण आज समाज (Society) बेटियों को वरदान मानने (started considering daughters boon) लगा है। इसके साथ ही प्रदेश में महिला सशक्तिकरण (women empowerment) के साथ सामाजिक क्रांति भी हो रही है। मुख्यमंत्री चौहान रविवार को सीहोर जिले की भैरूंदा तहसील के ग्राम पिपलानी में गोंड और कोरकू समाज के 425 से अधिक जोड़ों के सामूहिक विवाह सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सम्मेलन में नव-दम्पतियों पर पुष्प-वर्षा कर आशीर्वाद दिया और मुख्यमंत्री कन्या-विवाह योजना की राशि के चेक प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि योजना के शुरू होने से राज्य स...
लाड़ली बहना योजना से बहनें होंगी आर्थिक सशक्त, समाज में बढ़ेगा सम्मान: शिवराज

लाड़ली बहना योजना से बहनें होंगी आर्थिक सशक्त, समाज में बढ़ेगा सम्मान: शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि लाड़ली बहना योजना (Ladli Behna Scheme) गरीब बहनों की जिन्दगी बदलने (change the life of poor sisters) वाली योजना है। योजना के माध्यम से प्रतिमाह बहनों के बैंक खाते में एक हजार रुपये की राशि आ जाने से बहनें आर्थिक रूप से सशक्त (financially sound) होंगी और समाज में बहनों का मान-सम्मान भी बढ़ेगा। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना से महिलाओं के चेहरे पर खुशी देखकर मैं मानता हूँ कि मेरी जिन्दगी सफल हो गई है। मुख्यमंत्री चौहान गुरुवार को मंडला जिले के निवास क्षेत्र के जेवरा (देवरीकला) में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित बहनों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री पर पुष्प वर्षा की। इस मौके पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ...
पंच क्रांति के जरिए मप्र सरकार करेगी समाज के सभी वर्गों का कल्याणः मुख्यमंत्री चौहान

पंच क्रांति के जरिए मप्र सरकार करेगी समाज के सभी वर्गों का कल्याणः मुख्यमंत्री चौहान

देश, मध्य प्रदेश
- समाज की सभी पिछड़ी जातियों के कल्याण के लिये बनाए जाएंगे अलग-अलग बोर्ड भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan)ने रविवार को “आम्बेडकर महाकुंभ” (Ambedkar Mahakumbh") में कहा कि यहां हम प्रदेश के विकास (Development of the state ) और समाज के सभी वर्गों के कल्याण (welfare of all sections of the society) के लिए “पंच क्रांति” की बात करने आए हैं। पंच क्रांति में शिक्षा की क्रांति, रोजगार की क्रांति, आवास अर्थात रहने के लिये जमीन की क्रांति एवं सभी वर्गों के सम्मान की क्रांति शामिल है। उन्होंने ग्वालियर में बाबा साहब आम्बेडकर धाम और संस्थान स्थापित करने के लिये स्थल उपलब्ध कराने और समाज के सभी वर्गों के कल्याण के उद्देश्य से समस्त पिछड़ी उप जातियों के अलग-अलग बोर्ड बनाने की घोषणाएं कीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि शिक्षित रहोगे तो ...
शिक्षा में सृजनात्मकता को अवसर दिया जाए

शिक्षा में सृजनात्मकता को अवसर दिया जाए

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र औपचारिक शिक्षा और सृजनात्मकता के आपसी सम्बन्ध समाज के वर्तमान और भविष्य के निर्माण के साथ गहनता से जुड़े हुए हैं । शिक्षा में सृजनात्मकता कितनी बची रहेगी और समाहित होगी इस बात पर देश का ही नहीं बल्कि सारी मनुष्यता का भविष्य निर्भर करता है। शिक्षा सृजनात्मकता के साथ शब्द और अर्थ की ही तरह आपस में जुड़ी हुई है । जैसे शब्द और अर्थ एक दूसरे से संपृक्त होते हैं, एक के बिना दूसरे का कोई मूल्य या उपयोगिता नहीं होती, ठीक वैसी ही शिक्षा और सृजनात्मकता भी एक दूसरे से जुड़े और अन्योन्याश्रित होते हैं। बगैर सृजनात्मकता के शिक्षा अर्थहीन होगी और सृजनात्मकता के विकास के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण का अवसर भी ज़रूरी होता है। इसलिए शिक्षा की सार्थकता के लिए उसका रचनात्मक और सृजनात्मकता होना ही चाहिए । किंतु जब हम शिक्षा-व्यवस्था में सृजनात्मकता की जगह तलाशते हैं तो विफलता ही हाथ लगती है। रटना...
मीडिया और समाज : दरकता विश्वास

मीडिया और समाज : दरकता विश्वास

अवर्गीकृत
- प्रो संजय द्विवेदी पिछले दिनों देश के एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि किसी देश को लोकतांत्रिक रहना है, तो प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए। जब प्रेस को काम करने से रोका जाता है, तो लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता होता है। मुख्य न्यायाधीश ऐसा कहने वाली पहली विभूति नहीं हैं। उनसे पहले भी कई बार कई प्रमुख हस्तियां प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर मिलते-जुलते विचार सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त कर चुकी हैं। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है, तो वह अकारण नहीं है। उसने समय-समय पर लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक हितों की रक्षा के लिए बहुत काम किया है और इसके लिए बड़ी कीमत भी चुकाई है। इसके बदले उसे समाज का, लोगों का भरपूर विश्वास और सम्मान भी हासिल हुआ है। दुर्भाग्य से बीते दो-तीन दशकों में यह विश्वास लगातार...