Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

Tag: Society

अंत्योदय से समृद्ध होगा भारत

अंत्योदय से समृद्ध होगा भारत

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- डॉ. सौरभ मालवीय देश की समृद्धि के लिए अंत्योदय अत्यंत आवश्यक है। अंत्योदय का अर्थ है- समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय। दूसरे शब्दों में- समाज के सबसे निचले स्तर के लोगों का विकास करना ही अंत्योदय है। अंत्योदय के बिना देश उन्नति नहीं कर सकता, क्योंकि जब तक देश के अति निर्धन वर्ग का उत्थान नहीं होता, तब तक वह मुख्यधारा में सम्मिलित नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में देश भी समृद्ध नहीं हो पाएगा। इसलिए अंत्योदय आवश्यक है। जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय का नारा दिया था। अंत्योदय उनका सपना था। वे कहते थे कि आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं, बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा। अंत्योदय के माध्यम से केवल भारत ही नहीं, अपितु समग्र विश्व का विकास हो सकता है। इसके सुनियोजित योजना एवं उत्तरदायित्व आवश्यक है। विश्व के बह...
समाज के साथ उत्साह और आनंद के साथ मनाए जाएंगे सभी त्यौहार: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

समाज के साथ उत्साह और आनंद के साथ मनाए जाएंगे सभी त्यौहार: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

देश, मध्य प्रदेश
- सेमलीचाचा का नाम अब सेमलीधाम होगा- मुख्यमंत्री ने की घोषणा भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में त्योहारों की परंपरा अद्भुत (Amazing tradition of festivals) है। प्रदेश सरकार द्वारा निर्णय लिए गया हैं कि सभी त्यौहार समाज के साथ उत्साह और आनंद के साथ मनाएं जाएंगे। प्रदेश में मकर संक्रांति, गुड़ी पड़वा और गुरु पूर्णिमा का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाएं गए हैं। अंधेरे से प्रकाश की ओर से जाकर हमारे जीवन को सफल बनाने वाले गुरुओं के महत्व को प्रतिपादित करते हुए प्रदेश के सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया। आगामी रक्षाबंधन के पावन पर्व को 1 अगस्त से 10 अगस्त तक मेरे सहित मंत्री विभिन्न जिलों में जाकर लाड़ली बहनों से राखी बंधवाकर धूमधाम से मनाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार क...
प्रकृति, शिव और समाज से जोड़ती है कांवड़ यात्रा

प्रकृति, शिव और समाज से जोड़ती है कांवड़ यात्रा

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ कांवड़ का अर्थ है परात्पर शिव के साथ विहार। अर्थात् ब्रह्म यानी परात्पर शिव, जो उनमें रमण करे वह कांवड़िया। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िए दूर-दराज से आते हैं और अपने आसपास के स्थानों से गंगा जल भरते हैं, तत्पश्चात् पदयात्रा कर अपने-अपने स्थानों को वापस लौट जाते हैं। इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। फिर चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है और शिव जी से अपनी और अपनों की सुख शांति की प्रार्थना की जाती है। कहने के लिए तो ये बस एक धार्मिक आयोजन मात्र है, लेकिन इसका सामाजिक और धार्मिक महत्व बहुत है। इसका सामाजिक सरोकार भी है। कांवड़ के माध्यम से जल की यात्रा का यह पर्व सृष्टि रूपी शिव की आराधना के लिए है। जल आम आदमी के साथ-साथ पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, धरती में निवास करने वाले हजारों-लाखों तरह के...
चतुर्मास  : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

चतुर्मास : व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की अवधि

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- रमेश शर्मा भारतीय वाड्मय में चातुर्मास का विशेष महत्व है । यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है । इसका समापन कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को होगा । मान्यता है कि इन चार माह में भगवान नारायण पाताल लोक में विश्राम करते हैं इसलिये कोई शुभ काम नहीं होते। लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि यदि चतुर्मास में कोई पवित्र कार्य नहीं हो सकते तब सनातन परंपरा के सभी बड़े और महत्व पूर्ण त्यौहार जैसे गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, नागपंचमी, ऋषि पंचमी, गणेशोत्सव, जन्माष्टमी, संतान सप्तमी, करवा चौथ, हरियाली अमावस, पितृपक्ष, नवरात्र, दशहरा, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि सभी बड़े त्यौहार इसी अवधि में ही आते हैं । बड़े त्यौहारों में केवल होली है जो इस चतुर्मास की अवधि से बाहर है । यदि कोई शुभ कार्य नहीं हो सकते तो बड़े बड़े त्यौहारों की शृंखला का प्रावधान इसी अवधि में क्यों किया गया है ? इस प्रश्न ...
देश में कम आयुवर्ग की बच्चियों के विवाह में यह भी देखें, किस समाज में सबसे ज्यादा सुधार होना है

देश में कम आयुवर्ग की बच्चियों के विवाह में यह भी देखें, किस समाज में सबसे ज्यादा सुधार होना है

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- डॉ. निवेदिता शर्मा संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कुछ समय पहले ही आई है, जिसके आंकड़े बता रहे हैं कि वैश्विक अनुमान के अनुसार करोड़ों लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। इनमें से एक तिहाई मामले अकेले भारत के हैं। भारत को लेकर रिपोर्ट कहती है कि 20 करोड़ से अधिक महिलाओं का विवाह बचपन में ही हो गया था । विश्व स्तर पर सतत विकास लक्ष्य रिपोर्ट 2024 के अनुसार, पांच में से एक लड़की की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है, जबकि 25 वर्ष पहले यह संख्या चार में से एक थी। इस सुधार ने पिछली तिमाही सदी में लगभग 68 करोड़ बाल विवाहों को रोके जाने पर विभिन्न एजेंसियों ने काम किया है। इन प्रगतियों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया लैंगिक समानता के मामले में पीछे रह गई है। लैंगिक असमानता के क्षेत्र में भी चुनौतियां व्याप्त हैं। सर्वेक्षण वाले 120 देशों में से लगभ...
युवा आगे आएंगे तभी होगा राष्ट्र-समाज का कल्याण

युवा आगे आएंगे तभी होगा राष्ट्र-समाज का कल्याण

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- अरुण कुमार दीक्षित राजनीति में युवाओं की अहम भूमिका है। युवा अपने विचारों से हर क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। वे जिस विचार की ओर अग्रसर होते हैं, समाज उससे प्रभावित होता ही है। आज दुनिया में सर्वाधिक मांग युवाओं की है। भारत की राजनीति में सबसे अधिक मांग युवा विचारों के साथ युवाओं की ही रहती है।भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को युवाओं ने ही धार दी थी। युवाओं के आकर्षण का केंद्र राजनीति है। वह राजनीति उन्हें आकर्षित करती है। भारत की राजनीति ने युवा मन को निराश किया है। राजनीति युवाओं में विराट लक्ष्य नहीं देखती। राजनीतिक दलों से जुड़े युवा कभी इस दल तो कभी उस दल के हाईकमान का जयघोष करते हैं। ऐसा कर वे एक तरह से अपने ही श्रम-समय का नुकसान करते हैं। युवा सपने देखते हैं और सफल होते हैं। विफल भी होते हैं। टूटते हैं। आज युवा बेरोजगारी से टकरा रहे हैं। युवाओं पर पढ़ाई के साथ परिवार वालों का भी दबाव...
‘सूचना’ जैसी निर्दयी मां कब तक रहेंगी समाज में…!

‘सूचना’ जैसी निर्दयी मां कब तक रहेंगी समाज में…!

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- ऋतुपर्ण दवे कोई मां भला कैसे निर्दयी हो सकती है? क्रूर हो सकती है? कैसे अपने जिगर के टुकड़े को बैग में पैक कर सड़क रास्ते लंबे सफर पर बेखौफ निकल सकती है? इसके जवाब मनोचिकित्सकों के पास अपने-अपने ढंग के और अलग भी हो सकते हैं। लेकिन गोवा में एक आम नहीं बल्कि बेहद खास वो मां जिसने देश-दुनिया को अपनी सफलता से आकर्षित किया और निर्दयता और क्रूरता की सारी हदें पार कर जाए तो हैरानी होती है। गोवा में जघन्य हत्याकांड ने जहां हर किसी को झकझोरा, वहीं कई सवाल भी खड़े कर दिए। बेहद पढ़ी-लिखी मां जिसे दुनिया आदर्श समझती थी, वही अपराधी निकले? सवाल यकीनन कचोटने वाला है। लेकिन जवाब आसान भी नहीं है। पति-पत्नी के रिश्तों में तल्खी आना असामान्य नहीं है। लेकिन ऐसा भी क्या नफरत जो इसकी बलि वेदी पर खुद का मासूम चढ़ा दिया जाए? निश्चित रूप से बेकाबू गुस्सा, सोचने, समझने की शक्ति पर नियंत्रण खोना इंसान को कित...
विश्व टेलीविजन दिवस: मानव जीवन में टीवी की भूमिका

विश्व टेलीविजन दिवस: मानव जीवन में टीवी की भूमिका

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- योगेश कुमार गोयल 'ब्लैक ऐंड व्हाइट' बुद्धू बक्सा (टेलीविजन) अपने सहज प्रस्तुतिकरण के दौर से गुजरते हुए कब आधुनिकता के साथ कदमताल करते हुए सूचना क्रांति का सबसे बड़ा हथियार और हर घर की अहम जरूरत बन गया, पता ही नहीं चला। यह दुनिया-जहान की खबरें देने और राजनीतिक गतिविधियों की सूचनाएं उपलब्ध कराने के अलावा मनोरंजन, शिक्षा तथा समाज से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाओं को उपलब्ध कराने, प्रमुख आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए समूचे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करने में मदद करने वाला एक सशक्त जनसंचार माध्यम है। यह संस्कृतियों और रीति-रिवाजों के आदान-प्रदान के रूप में मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन है, जो तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए पूरी दुनिया के ज्ञान में असीम वृद्धि करने में मददगार साबित हो रहा है। मानव जीवन में टीवी की बढ़ती भूमिका तथा इसके सकारात्मक और नकारात्...
प्लास्टिक कचरा के प्रति जागृत हो समाज

प्लास्टिक कचरा के प्रति जागृत हो समाज

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- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में प्लास्टिक कचरा बढ़ने से जिस प्रकार से प्राकृतिक हवाओं में प्रदूषण बढ़ रहा है, वह मानव जीवन के लिए तो अहितकर है ही, साथ ही हमारे स्वच्छ पर्यावरण के लिए भी विपरीत स्थितियां पैदा कर रहा है। हालांकि इसके लिए समय-समय पर सरकार और सरकारी सहयोग लेकर चलने वाली गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा जागरण अभियान भी चलाए जा रहे हैं, परंतु परिणाम उस गति से मिलता दिखाई नहीं देता। ऐसे में प्रश्न यह आता है कि गैर सरकारी संस्थाओं की यह मुहिम अपेक्षित परिणाम क्यों नहीं दे पा रही है। जबकि कागजी प्रमाण इसकी सफलता बता रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत में कागजों में काम होने की बीमारी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्लास्टिक मुक्ति का अभियान गैर सरकारी संस्थाओं ने बलि चढ़ा दिया। अगर प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ने की यही गति बरकरार रही तो एक दिन हमें शुद्ध हवा से वंचित होना पड़ ...