स्मृति शेष- शरद यादव: विचारों की आग कभी नहीं बुझती
- मुकुंद
समग्र क्रांति के स्वप्नदृष्टा लोकनायक जयप्रकाश नारायण और प्रखर समाजवादी चिंतक डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों की लौ को अपने समाजवादी नजरिये से जीवन पर्यंत प्रज्ज्वलित करने वाले राजनेता 75 वर्षीय शरद यादव का निधन हिंदी पट्टी को आंसुओं से डुबो गया। बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की राजनीति में सन्नाटा पसर गया। इस सन्नाटे को उनके विचार हमेशा तोड़ेंगे और राजनीति को मथेंगे। एक जुलाई, 1947 के मध्य प्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) जिले के आंखमऊ गांव में जन्मे शरद की आंखों ने इंजीनियर बनने का सपना देखा और इसके लिए जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज (रॉबर्ट्सन मॉडल साइंस कॉलेज) में दाखिला लिया। मगर इस कॉलेज की छात्र राजनीति ने उनकी दिशा बदल दी। वह छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए।
जबलपुर से शरद यादव का गहरा नाता रहा। इस शहर ने उन्हें बेबाक बनाया। मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी ने शरद को निखारा...