सामाजिक एकता बढ़ाएगा समान कानून
- सुरेश हिन्दुस्थानी
वर्तमान में समान नागरिक कानून की चर्चा बहुत ज्यादा है। होना भी चाहिए, क्योंकि विश्व के अधिकांश देश समान कानून की अवधारणा को स्वीकार करते हैं। आज जो देश विश्व की महाशक्ति मानने का साहस रखते हैं, उन सभी देशों में कानून के नाम पर कोई समझौता नहीं किया जाता। भारत में कानून के नाम पर जो प्रावधान हैं, उनमें कई प्रकार की खामियां देखने को मिलती हैं। जो समाज में असमानता का भाव पैदा करने वाले कहे जा सकते हैं। विसंगति यह है कि मुस्लिमों के लिए जो पर्सनल कानून बनाए गए हैं, वे सामाजिक उत्थान और मुसलमानों को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने का ही एक प्रयास था, लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ है, यह हम सभी के सामने है। मुस्लिम समाज का कुछ वर्ग देश की वास्तविकता से परिचित होना नहीं चाहता। इतना ही नहीं वह अभी तक भारत के उन संस्कारों से समरस नहीं हो सका है, जो मुगलों और अंग्रेजों से पहले से चल...