मणिपुर हिंसा को इस अर्थ में भी देखिए
- रमेश शर्मा
हिंसा के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी मणिपुर में सामाजिक तनाव कम नहीं हुआ है । वहां यह हिंसा न तो पहली है और न अंतिम । अभी सशस्त्र बलों की उपस्थिति से हमलावर छिप गए हैं। स्थिति नियंत्रण में लग रही है पर हिंसक तत्व सक्रिय हैं। सशस्त्र बलों के कम होने के बाद वे फिर सक्रिय होंगे और अपने हिंसक अभियान में जुटेंगे। इसका कारण यह है कि यह हिंसा किसी भीड़ के अचानक हिंसक हो जाने की घटना नहीं है अपितु बहुसंख्यक को भगाने अथवा उन्हें रूपान्तरित करने के षड्यंत्र का अंग है जो मणिपुर में वर्षों से चल रहा है । मणिपुर से हिंसा के जो समाचार मीडिया के माध्यम से आए उनमें कहा गया कि यह हिंसा आरक्षण के समर्थन और विरोध की प्रतिक्रिया है । दिखने-दिखाने में तो यही लगता है । इस हिंसा की वास्तविकता कुछ और है । मणिपुर में ऐसी हिंसा वर्षों से चल रही है। अकेले मणिपुर में ही क्यों, ऐसी हिंसा देश भर में हो ...