Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Social harmony

प्रधानमंत्री के रोड शो और सामाजिक समरसता

प्रधानमंत्री के रोड शो और सामाजिक समरसता

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- मृत्युंजय दीक्षित भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता, सबसे बड़े स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रोड शो में सामाजिक समरसता का अनूठा दर्शन हो रहा है। वह वाराणसी से तीसरी बार उम्मीदवार हैं। परचा भरने से एक दिन पहले वाराणसी में भी प्रधानमंत्री ने रोड शो किया। रोड शो में उमड़ा जनसमुद्र काशी के चुनावी इतिहास में अद्भुत व अकल्पनीय रहा। वाराणसी के पूर्व ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लेकर बिहार की राजधानी पटना तक के रोड शो में जिस प्रकार की जन भावनाएं मोदी के प्रति देखने को मिलीं, उनसे साफ संकेत मिलता है कि अबकी बार फिर मोदी सरकार ही बनने जा रही है । प्रधानमंत्री के रोड शो की सबसे बड़ी विशेषता सामाजिक समरसता है। इनमें नारी शक्ति का वंदन भी हो रहा है और एक भारत श्रेष्ठ भारत के दर्शन भी हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो में उनके समाजसेवा व भक्ति भाव के विविध रूपों के दर्शन भी हो र...

सामाजिक समरसता का उत्सव

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- गिरीश्वर मिश्र भारतीय पर्व और उत्सव अक्सर प्रकृति के जीवन क्रम से जुड़े होते हैं। ऋतुओं के आने-जाने के साथ ही वे भी उपस्थित होते रहते हैं। इसलिए भारत का लोकमानस उसके साथ विलक्षण संगति बिठाता चलता है जिसकी झलक गीत, नृत्य और संगीत की लोक-कलाओं और रीति-रिवाजों सबमें दिखती है। साझे की ज़िंदगी में आनंद की तलाश करने वाले समाज में ऐसा होना स्वाभाविक भी है। हमारा मूल स्वभाव तो यही सुझाता है कि हम प्रकृति में अवस्थित हैं और प्रकृति हममें स्पंदित है। थोड़ा विचार करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारा अनोखा उपहार, क्योंकि सारी तकनीकी प्रगति के बावजूद अभी तक जीवन का कोई विकल्प नहीं मिल सका है। यह अलग बात है कि प्रकृति या दूसरे आदमियों के साथ रिश्तों को लेकर कृतज्ञता का भाव अब दुर्लभ होता जा रहा है। फागुन के महीने की पूर्णिमा से यह उत्सव पूरे भारत में शुरू होता है और बड़े उल्लास के साथ मनाया जात...
शबरी जयंती: सामाजिक समरसता और नारी भावना के उच्चतम सम्मान का अद्भुत प्रसंग

शबरी जयंती: सामाजिक समरसता और नारी भावना के उच्चतम सम्मान का अद्भुत प्रसंग

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- रमेश शर्मा भक्त शिरोमणि शबरी वनवासी भील समाज से थीं। फिर भी मातंग ऋषि के गुरु आश्रम की उत्तराधिकारी बनी। रामजी ने उनके जूठे बेर खाये। यह कथा भारतीय समाज की उस आदर्श परंपरा का उदाहरण है कि व्यक्ति को पद, स्थान और सम्मान उसके गुण और योग्यता से मिलता है जन्म या जाति से नहीं। भक्त शिरोमणि शबरी का जन्म फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी को हुआ था। इस वर्ष यह तिथि दो मार्च को है। उनका जन्म त्रेतायुग अर्थात रामायण काल में हुआ था। इस काल खंड की अवधि पर भारतीय वाड्मय के आकलन और पश्चिम जगत की गणना में जमीन आसमान का अंतर है, इसलिये यह नहीं कहा जा सकता कि माता शबरी का जन्म किस सन् संवत में हुआ था। यह कथा बाल्मीकि रामायण और तुलसीकृत रामचरित मानस के अरण्य काण्ड में है। इसके अतिरिक्त पद्म पुराण सहित कुछ अन्य ग्रंथों में है। इसलिये माता शबरी की कथा के यथार्थ पर संदेह करने का प्रश्न नहीं उठता। यह कथानक केवल...
सामाजिक सद्भाव के अग्रदूत हैं संत रविदास

सामाजिक सद्भाव के अग्रदूत हैं संत रविदास

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- डॉ. रमेश ठाकुर संत-संस्कृति और सनातन के लिए संत रविदास जयंती खास है, क्योंकि इस दिन ही संयुक्त रूप से दो पर्व एक साथ मनाए जा रहे हैं। पहली माघ पूर्णिमा और दूसरी रविदास जयंती। दोनों पर्व एक-दूसरे पूरक माने जाते हैं। समाज सुधारक संत रविदास के दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लोग लेते हैं। माघ पूर्णिमा को ध्यान, स्नान, दान के लिए खास मानते हैं। आज के ही दिन अखंड भारत के महान संत रविदास का अवतरण भी हुआ था। वह स्वामी रामानंद के शिष्य और कबीरदास के गुरु भाई हैं। संत शिरोमणि रविदास भक्तिकाल के अग्रिम पंक्ति के कवि हैं। उन्हें महानतम मानुष की उपाधि भी प्राप्त थी। उनके परिवर्तनकारी उपदेशों ने समाज का भरपूर मार्गदर्शन किया। संत रविदास ने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन किया। वह बिना भेदभाव किए आपसी सद्भाव पर जोर देते रहे। संत रविदास क...
सामाजिक समरसता का केंद्र बने संत रविदास मंदिर

सामाजिक समरसता का केंद्र बने संत रविदास मंदिर

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- लोकेन्द्र सिंह भारत को कमजोर करने के लिए जातीय द्वेष बढ़ाने में अनेक ताकतें सक्रिय हैं। उनके निशाने पर विशेषकर हिन्दू समाज है। वहीं, भारतीय समाज को एकसूत्र में बांधने के प्रयास करने वाली संस्थाएं अंगुली पर गिनी जा सकती हैं। चिंताजनक बात यह है कि भारत विरोधी ताकतों के निशाने पर राष्ट्रीयता को मजबूत करनेवाले संगठन भी रहते हैं। ऐन-केन-प्रकारेण उनकी छवि को बिगाड़ने के प्रयास किए जाते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में भी कमोबेश यही स्थिति है। वोटबैंक की राजनीति के चलते अनेक नेता एवं राजनीतिक दल भी हिन्दू समाज में जातीय विद्वेष को बढ़ाने के दोषी हैं। इन परिस्थितियों के बीच शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश के सागर जिले में संत शिरोमणि रविदास महाराज के मंदिर का निर्माण करने का सराहनीय निर्णय लिया गया है। सरकार इस मंदिर को सामाजिक समरसता के केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहती है। समरसता मंदिर के निर्माण में संपू...
मप्रः सामाजिक समरसता का संदेश लेकर प्रदेश में निकली 4 समरसता यात्राएं

मप्रः सामाजिक समरसता का संदेश लेकर प्रदेश में निकली 4 समरसता यात्राएं

देश, मध्य प्रदेश
- 12 अगस्त को सागर पहुंचेंगी यात्राएं, प्रधानमंत्री करेंगे मंदिर निर्माण का शिलान्यास भोपाल (Bhopal)। मप्र के सागर (Sagar ) के बड़तुमा (Badtuma) में 100 करोड़ रुपये (Rs 100 crore cost) की लागत से बनने वाले भव्य संत रविदास के मंदिर निर्माण (Construction of grand Sant Ravidas temple) के लिए मंगलवार को प्रदेश के चार स्थानों से भव्य समरसता यात्राएं (Grand Harmony Tours) निकाली गईं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने श्योपुर, पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने धार जिले के मांडव, पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य ने नीमच के नयागांव और प्रदेश सरकार के मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बालाघाट ध्वज दिखाकर समरसता यात्रा को रवाना किया। प्रदेश सरकार की इकाई जनअभियान परिषद के संयोजन में 18 दिनों तक चलने वाली यह यात्राएं सामाजिक समरसता का संदेश लेकर प्रदेश के 46 ...
सामाजिक समरसता पर सहज अमल

सामाजिक समरसता पर सहज अमल

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है। उसकी यह यात्रा समाजिक समरसता और संगठन पर आधारित है। इसका निरन्तर विस्तार हो रहा है। समाज के चिंतन और व्यवहार में व्यापक बदलाव आ रहा है। राष्ट्र को सर्वोच्च मानते हुए कार्य करने की प्रेरणा संघ से मिल रही है। भेदभाव से मुक्त समाज का विचार प्रबल हो रहा है। संघ ने यह विलक्षण कार्य अत्यंत सहज और स्वाभाविक रूप में किया है। संघ की शाखाएं इसी भावभूमि पर चलती हैं। संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार युगदृष्टा थे। शाखाओं में जाने मात्र से भेदभाव का विचार तिरोहित हो जाता है। इसीलिए कहा गया कि संघ को समझने के लिए शाखाओं में जाना अपरिहार्य है। यहां समरसता का स्वाभाविक वातावरण होता है। यहां होने वाले कार्यक्रम या सहभोज आदि समरसता के अघोषित उपकरण हैं। इनसे लोगों के विचार मनोवैज्ञानिक रूप में समरसता के अनुकूल हो जाते हैं। संघ प्...
सामाजिक समरसता को बढ़ाएगा सवर्ण आरक्षण

सामाजिक समरसता को बढ़ाएगा सवर्ण आरक्षण

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- श्याम जाजू कहते हैं गरीबी से बड़ा अभिशाप नहीं। गरीबी न जाति देखती है न धर्म। पिछड़ेपन के मूल में भी गरीबी ही है। केंद्र की प्रगतिशील और संवेदनशील सरकार ने समाज के इस सच को पहचाना और 2019 में संविधान संशोधन विधेयक लाकर देश में निर्धन सवर्ण आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया जो गरीबी के कारण पिछड़े सवर्णों को सामाजिक न्याय का सम्बल प्रदान करेगा। यह फैसला आर्थिक समानता के साथ ही जातीय वैमनस्य दूर करने की दिशा में ठोस कदम है, इसका स्वागत इसलिए होना चाहिए क्योंकि यह उन सवर्णों के लिए एक बड़ा सहारा है जो आर्थिक रूप से विपन्न होने के बावजूद आरक्षित वर्ग सरीखी सुविधा पाने से वंचित रहे हैं। दरअसल आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला प्रधानमंत्री मोदी जी की ‘सबका साथ, सबका विकास’ की अवधारणा के अनुकूल है। इससे न केवल सवर्ण गरीबों का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि जातिगत आधार पर होने वाले आरक्षण के विरोध की तीव्रता भी...