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सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देती हैं पाठ्यपुस्तकें

सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देती हैं पाठ्यपुस्तकें

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- प्रियंका सौरभ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ( एनसीईआरटी ) देशभर में शिक्षा को मानकीकृत करने वाली पाठ्यपुस्तकों को विकसित और वितरित करके देश की शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रीय एकीकरण, वैज्ञानिक सोच और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देते हुए एक व्यापक और संतुलित शिक्षा प्रदान करना है। भारत में छात्रों के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देने में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों अमूल्य योगदान है. एक अच्छी शिक्षा व्यापक व्याख्या, तथ्यों का व्यापक प्रदर्शन, बौद्धिक विकास और उन तथ्यों, उन व्याख्याओं के आलोचनात्मक विश्लेषण का साधन प्रदान करती है। कई विषयों में सामाजिक और सांस्कृतिक कारक शामिल होते हैं और एक वैध पाठ्यक्रम में उन्हें यथासंभव ईमानदारी और निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत किया जाता है (हालांकि ऐसे विषयो...
सामाजिक-पारिवारिक मूल्यों के रखवाले हैं श्रीराम

सामाजिक-पारिवारिक मूल्यों के रखवाले हैं श्रीराम

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- डॉ. राकेश राणा भगवान श्रीराम का अतीत इतना व्यापक और विस्तारित है कि उस पर समझ और संज्ञान की सीमाएं हैं। उन्हें चिह्नित करना बहुत दूर की कौड़ी है। भारतीय समाज में श्रीराम उस वट वृक्ष की तरह हैं जिसकी छत्रछाया में भक्त, आलोचक, आम, खास, आराधक, विरोधी, संबोधक सबके सब न जाने कितने सालों से एक साथ चले आ रहे हैं। 'श्रीराम' भारतीय चिंतन परंपरा का सबसे चहेता चेहरा हैं। उनमें निर्गुणों व सगुणों सब ही का समान हिस्सा है। ब्रह्मवादी उनमें ब्रह्मस्वरूप देखते है। निर्गुणवादियों के लिए आत्मा ही श्रीराम है। अवतारवादियों के वे अवतार हैं। वैदिक साहित्य में उनका विचित्र रूप है। बौद्ध कथाएं उनके करुणा रूप से कसी हुई हैं। वाल्मीकि के श्रीराम कितने निरपेक्ष हैं देखते ही बनता है। तुलसी के श्रीराम भारतीय जनमानस में बसे श्रीराम हैं, यहां सबके घट-घट में सजे श्रीराम हैं। श्रीराम ही हैं, जो भारत को उत्तर से दक...
मध्य प्रदेश में चल रहा है सामाजिक और आर्थिक क्रांति का दौरः शिवराज

मध्य प्रदेश में चल रहा है सामाजिक और आर्थिक क्रांति का दौरः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- बेहट में महाविद्यालय खोलने एवं बेहट का नाम तानसेन नगर करने समेत की अनेक घोषणाएं भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने गुरुवार को गान महर्षि संगीत सम्राट तानसेन (Anthem Maharishi Sangeet Samrat Tansen) की जन्म-स्थली बेहट (Birthplace Behat) में सरकार का खजाना खोलकर बहुप्रतीक्षित बड़े-बड़े विकास कार्यों की सौगातें (gifts of development works) दी। उन्होंने बेहट के कृषि उपज मंडी परिसर में हुए भव्य समारोह में मौजूद विशाल जन-समूह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में वर्तमान में विकास कार्यों के साथ सामाजिक क्रांति और प्रदेशवासियों को आत्म-निर्भर एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का दौर चल रहा है। इसी दिशा में सरकार ने क्रांतिकारी मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना शुरू की है। समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने की। मुख्यमं...
मध्यप्रदेश में हो रहा है बहनों का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण: शिवराज

मध्यप्रदेश में हो रहा है बहनों का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण: शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- सीतामऊ में लाड़ली बहना सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में बहनों का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण (Social, Economic and Political Empowerment) हो रहा है। एक समय था जब यहाँ परिवार में कन्या को बोझ माना जाता था, आज वह वरदान हो गई है। लाड़ली लक्ष्मी योजना (Ladli Laxmi Yojana) ने प्रदेश की 44 लाख 90 हजार कन्याओं को लखपति बनाया है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना (Chief Minister Kanya Marriage Scheme) में गरीब कन्याओं का विवाह सरकार करवाती है। स्थानीय निकायों के निर्वाचन में बहनों को मिले 50 प्रतिशत आरक्षण से वे राजनीतिक रूप से सशक्त हुई है। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनायेगी। बहनों को स्टांप शुल्क में छूट के प्रावधान से आज 45 प्रतिश...
प्रवासी भारतीयों की विश्व में शक्तिशाली आर्थिक-सामाजिक भूमिका

प्रवासी भारतीयों की विश्व में शक्तिशाली आर्थिक-सामाजिक भूमिका

अवर्गीकृत
- प्रहलाद सबनानी हम सभी भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय है कि आज लगभग समस्त विकसित देश भारतीय मूल के नागरिकों को अपने देशों की नागरिकता प्रदान करने के लिए लालायित नजर आ रहे हैं। यह सब इसलिए सम्भव हो पाया है क्योंकि विश्व के विभिन्न देशों में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों ने अपनी उच्च शिक्षा, कौशल, ईमानदारी, मेहनत के बल पर एवं महान भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए इन देशों में अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज की है तथा इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को गतिशील बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया है। विशेष रूप से आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, सिंगापुर, जापान सहित अन्य कई विकसित देश आज इस प्रकार की नई नीतियां बनाने में जुटे हैं कि किस प्रकार इन देशों में रह रहे भारतीय नागरिकों को वहां के राजनैतिक क्षेत्र में भी भागीदार बनाया जाए ताकि इन देशों की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्था में सुधार किया ...
पेसा एक्ट से होगा जनजातीय समुदाय का आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण: शिवराज

पेसा एक्ट से होगा जनजातीय समुदाय का आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण: शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
पेसा एक्ट समाज के सभी नागरिकों के हित में, ग्राम सभाएँ बनाएंगी ग्राम विकास की कार्य-योजनाः मुख्यमंत्री भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि पेसा एक्ट (pesa act) जनजातीय भाई-बहनों की आर्थिक, सामाजिक उन्नति (Economic, social progress of tribal brothers and sisters) और उन्हें सशक्त एवं अधिकार सम्पन्न बनाने के लिये लागू किया गया है। यह एक्ट समाज के सभी नागरिकों के हित में है। किसी भी गैर-जनजातीय समाज के नागरिक के खिलाफ नहीं है। पेसा एक्ट अनुसूचित क्षेत्र में गाँव में लागू होगा, यह एक्ट शहर में लागू नहीं होगा। हमारे जो भी जनजातीय भाई-बहन विकास की दौड़ में पीछे रह गये हैं, पेसा एक्ट उन्हें मजबूत बनायेगा। मुख्यमंत्री चौहान रविवार को धार जिले के कुक्षी में पेसा जागरूकता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यहाँ उन्होंने चा जनपद की 40 ग्राम पंचायत के सरप...
एनजीटी का ऐतिहासिक ‘सामाजिक’ फैसला

एनजीटी का ऐतिहासिक ‘सामाजिक’ फैसला

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- रोहित पारीक राजस्थान के बिश्नोई समाज का पेड़ों के प्रति पावन संकल्प पीढ़ी दर पीढ़ी सशक्त हो रहा है। अब समाज के लिए यह सिर्फ एक संकल्प नहीं रहा, बल्कि एक परम्परा बन चुका है जिसे नई पीढ़ी भी अपने जीवन का हिस्सा बना चुकी है। खेजड़ली में तो बिश्नोई समाज की आत्मा बसती है। यही कारण है कि समाज ने खेजड़ली के दफन पेड़ों को भी खोज निकाला और अपने समर्पण को साबित किया। इसके बाद समाज के इस संकल्प को देश के संविधान का ऐसा सम्मान मिला है जो भविष्य के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन गया है। हाल ही, एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने जोधपुर जिले में एक प्राइवेट सोलर कंपनी एएमपी एनर्जी ग्रीन फोर प्राइवेट लिमिटेड पर दो लाख रुपये जुर्माना लगाते हुए अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की तुलना में 10 गुना पेड़ लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह फैसला सभी को सामान्य लग सकता है, लेकिन इस फैसले तक पहुंचने के लिए समाज की गहन तपस...

सामाजिक और मानविकी के अध्ययन में देशज ज्ञान की जरूरत

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- गिरीश्वर मिश्र भारत की सभ्यतामूलक जीवन-दृष्टि कई तरह से सर्व-समावेशी थी परंतु दो सदियों के औपनिवेशिक शासन के दौर में इसे व्यवस्थित रूप से हाशिए पर भेजने की मुहिम छेड़ी गयी और उसकी जगह लोक-मानस और ज्ञान-विज्ञान का यूरोप से लाया गया नया ढांचा और विषयवस्तु दोनों को भारत में रोपा गया। शिक्षा की इस नयी व्यवस्था में भारत के शास्त्रीय ज्ञान और लोक-परम्परा का खास महत्व न था। उसे किनारे रख कर उसके प्रति तटस्थ हो कर प्राकृतिक विज्ञान और मानविकी के विषयों का अध्यापन और शिक्षण शुरू किया गया। मनोविज्ञान जैसे आधुनिक समाज विज्ञानों का जन्म जिस परिस्थिति में हुआ उसमें ज्ञान की प्राकृतिक विज्ञानों की विधेयवादी (पोजिटिविस्ट) परम्परा बड़ी प्रबल थी और भौतिक विज्ञान की प्रगति आश्चर्यकारी थी। उसके तीव्र प्रभाव में सोचने और अध्ययन करने के एक वस्तुवादी (ओबजेक्टिव) नजरिए को अपनाना श्रेयस्कर माना गया। यद्यपि मन...