Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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स्मृति शेष: अलविदा राजू श्रीवास्तव, अब सबको कौन हंसायेगा

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- आर.के. सिन्हा राजू श्रीवास्तव की सेहत को लेकर बीच-बीच में खबरें आने लगीं थीं कि वे कुछ बेहतर हो रहे हैं। उनके स्वास्थ्य में कुछ सुधार हो रहा है। पिछले सप्ताह जब मैं उन्हें देखने एम्स गया था। जब उनकी श्रीमती जी ने आवाज़ लगाई कि `आर. के. भाई साहब आये हैं तो उन्होंने आखें खोलने की असफल चेष्टा भी की थी।' एक उम्मीद बंधने लगी थी कि वे फिर से ठीक होकर देश को अपने चुटीले व्यंग्यों से हंसाने लगेंगे। पर अफसोस कि राजू श्रीवास्तव नहीं रहे। एम्स जैसे प्रख्यात अस्पताल के डॉक्टर भी उन्हें बचा न सके। कानपुर से मुंबई जाकर अपने फिल्मी करियर को बनाने-संवारने गए राजू श्रीवास्तव ने सफलता को पाने से पहले बहुत पापड़ बेले थे। राजू श्रीवास्तव ने स्टैंडअप कॉमेडियन के रूप में अपनी साफ-सुथरी कमेडी से करोड़ों लोगों को आनंद के पल दिये हैं। उनके काम में अश्लीलता नहीं थी। वे बेहद गंभीर किस्म के इंसान थे। साफ है कि कॉम...

स्मृति शेष: हंसते-हंसाते अलविदा कह गए राजू

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- प्रभुनाथ शुक्ल हंसाने वाला ही नहीं रहा तो दुनिया हंसेगी कैसे। राजू श्रीवास्तव लोगों को हंसाते-हंसाते रुला कर चले गए। अस्पताल में 42 दिन के लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने जिंदगी को अलविदा कह दिया। राजू का जाना पूरी हंसी की दुनिया का खामोश हो जाना है। एक ऐसे दौर में राजू श्रीवास्तव का चले जाना बेहद पीड़ादायक है, जब लोग डिप्रेशन जैसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। आज दौड़ती-भागती जिंदगी में जीवन में हंसी का कोई ठिकाना ही नहीं है । लोगों के चेहरे पर थकान के सिवाय मुस्कान दिखती ही नहीं। जिंदगी इतनी तेज भाग रही है कि लोगों की हंसती-खेलती दुनिया ही गायब है। ऐसे दौर में राजू डिप्रेशन के मरीजों के लिए भगवान थे। राजू श्रीवास्तव एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां साहित्य और कला को खुली सांस मिली। उनके पिता रमेश श्रीवास्तव कवि थे। उन्हें लोग बलई काका के नाम से भी पुकारते थे। राजू श्रीवास्तव उन्हीं बलई काका क...

स्मृति शेषः अलविदा राजू… ‘ गजोधर, अब उदास है… !’

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- मकुंद मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव अब हमारे बीच नहीं हैं। जीते जी दुनिया को हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव उर्फ गजोधर भइया ने एम्स दिल्ली में आखिरी सांस ली। उन्हें देखने भर से ठहाका मारकर हंसने वाले करोड़ों लोग रो पड़े। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में 25 दिसंबर, 1963 को जन्मे राजू का असल नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। वह बचपन से ही मिमिक्री और कॉमेडी करते थे। उन्हें कॉमेडी शो द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंजर से बड़ी पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने सफलता का आसमान चूमा। कामयाबी के रास्ते खुलते गुए। राजू श्रीवास्तव ने 1993 में शिखा श्रीवास्तव से शादी की। उनके दो बच्चे हैं। हंसने-हंसाने की दुनिया के इस बादशाह ने राजनीति में भी अपना हाथ आजमाया। समाजवादी पार्टी ने 2014 में कानपुर से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया। उन्होंने सपा को हाथ जोड़कर चुनाव लड़ने से मना कर दिया। मजेदार यह है कि इस चुनाव से पहल...