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इजराइल-हमास युद्ध के बीच फलीस्तीनी ईसाई सादगी से मनाएंगे क्रिसमस

इजराइल-हमास युद्ध के बीच फलीस्तीनी ईसाई सादगी से मनाएंगे क्रिसमस

विदेश
न्यूयॉर्क (New York.)। इजराइल-हमास युद्ध (Israel-Hamas war) के बीच फलीस्तीनी ईसाई लोग (Palestinian Christian people) क्रिसमस सादगी (celebrate Christmas simply) से मनाएंगे। फलस्तीनी अमेरिकी पादरी और न्यूयॉर्क के सेंट जॉन लूथरन चर्च में सेवा दे रहे खालिलिया ने कहा कि मैं संघर्ष कर रहा हूं। मैं कैसे जश्न मना सकता हूं जब फलस्तीनी बच्चे पीड़ा सह रहे हैं जिनके पास न तो आश्रय है और न हीं सिर छिपाने के लिए छत। न्यूयॉर्क से हजारों मील दूर ईसा मसीह के जन्म स्थान बेथलहम में सुजैन सहोरी भी उत्सव मनाने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम इन बच्चों की मौत को देखकर टूट गए हैं। इस क्रिसमस पर कई फलस्तीनी ईसाई चाहे वे बेथलहम में हो या दुनिया के अन्य हिस्सो में वे हमास-इजराइल युद्ध के बीच खुद को असहाय, पीड़ा में चिंतित महसूस कर रहे हैं। कई शोकग्रस्त हैं और युद्ध बंद करने की मांग कर रहे हैं और अपने रिश...
जनजातीय जीवन की सरलता अपनाएं, शहरी चकाचौंध में न आएं : शिवराज

जनजातीय जीवन की सरलता अपनाएं, शहरी चकाचौंध में न आएं : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- इंदौर में जनजातीय फूड फेस्टिवल में शामिल हुए मुख्यमंत्री चौहान इंदौर (Indore)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि शहरों में भौतिक सुविधाओं (physical facilities in cities) का भंडार है, परंतु सोने के लिये नींद की गोली और भोजन से पहले इंसुलिन लेना पड़ता है। वहीं जनजातीय भाई (tribal brother) प्रकृति की गोद में सरल, निष्कपट, निष्छल, निर्भीक और निस्वार्थ जीवन (selfless life) जीते हैं। जीवन में आनंद के लिये जनजातीय जीवन की सरलता अपनाएं, शहरी चकाचौंध में न आएं। मुख्यमंत्री चौहान इंदौर प्रवास के दौरान सोमवार शाम को लाल बाग में जनजातीय फूड फेस्टिवल को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम के प्रारंभ में जनजातीय नायकों के चित्रों पर पुष्पांजलि भेंट कर उन्हें नमन किया। उन्होंने फूड फेस्टिवल का अवलोकन कर जनजातीय वर्ग के हुनर की सराहना की। उन्होंने झाबुआ की...
जयंती विशेष: डॉ. अब्दुल कलाम की सादगी और उनके आदर्श

जयंती विशेष: डॉ. अब्दुल कलाम की सादगी और उनके आदर्श

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल देश के महान् वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रख्यात शिक्षाविद् डा. एपीजे अब्दुल कलाम (अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम) सच्चे अर्थों में ऐसे महानायक थे, जिन्होंने अपना बचपन अभावों में बीतने के बाद भी पूरा जीवन देश और मानवता की सेवा में व्यतीत कर दिया। छात्रों और युवा पीढ़ी को दिए गए उनके प्रेरक संदेश तथा उनके स्वयं के जीवन की कहानी देश की आने वाले कई पीढ़ियों को भी सदैव प्रेरित करने का कार्य करती रहेगी। न केवल भारत के लोग बल्कि पूरी दुनिया मिसाइल मैन डॉ. कलाम की सादगी, धर्मनिरपेक्षता, आदर्शों, शांत व्यक्तित्व और छात्रों व युवाओं के प्रति उनके लगाव की कायल थी। डॉ. कलाम देश को वर्ष 2020 तक आर्थिक शक्ति बनते देखना चाहते थे। पढ़ाई-लिखाई को तरक्की का साधन बताने वाले डा. कलाम का मानना था कि केवल शिक्षा के द्वारा ही हम अपने जीवन से निर्धनता, निरक्षरता और कुपोषण जैस...