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इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयरः भविष्य के गंभीर खतरे का संकेत

इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयरः भविष्य के गंभीर खतरे का संकेत

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा लेबनान की राजधानी बेरूत में एक दिन पहले पेजर और उसके बाद वॉकी-टॉकी व सोलर सिस्टम में विस्फोट से दर्जनों मौत और हजारों की संख्या में लोगों के घायल होने के बाद साफ हो गया है कि दुनिया के किसी भी कोने का कोई भी व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित महसूस करता हो तो यह उसकी गलतफहमी है। दरअसल, लेबनान की घटना में विरोधियों से बदला लेने का नया हथियार सामने आ गया है। खतरा यह है कि दुश्मन से बदला लेने का साधन न होकर यह आतंक का नया हथियार भी हो सकता। दुनिया में आतंकवादी गतिविधियों को इससे बढ़ावा मिलेगा। इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर का यह नया अंदाज अपने आप में गंभीर और अत्यधिक चिंताजनक हो गया है। इसके दुरुपयोग की आशंकाएं बहुत अधिक हैं। कभी संवाद का माध्यम रहे पेजर का युद्ध के नए हथियार के रूप में सामने आना चिंताजनक होने के साथ भविष्य में नए तरीके के युद्ध का संकेत बनकर सामने आया है। लेबनान...
न्याय व्यवस्था में सुधार के संकेत

न्याय व्यवस्था में सुधार के संकेत

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सुप्रीम कोर्ट में आए एक ताजा मामले ने हमारी न्याय-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है लेकिन उसने देश के सारे न्यायालयों को नया रास्ता भी दिखा दिया है। हमारी बड़ी अदालत में 1965 में डाॅ. राममनोहर लोहिया ने अंग्रेजी का बहिष्कार करके हिंदी में बोलने की कोशिश की थी लेकिन परसों शंकरलाल शर्मा नामक एक व्यक्ति ने अपना मामला जैसे ही हिंदी में उठाया, सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों ने कहा कि वे हिंदी नहीं समझते। उनमें से एक जज मलयाली के एम. जोजफ थे और दूसरे थे बंगाली ऋषिकेश राय। उनका हिंदी नहीं समझना तो स्वाभाविक है, लेकिन कई हिंदी भाषी जज भी ऐसे हैं, जो अपने मुवक्किलों और वकीलों को हिंदी में बहस नहीं करने देते हैं। उनकी भी यह मजबूरी मानी जा सकती है, क्योंकि उनकी सारी कानून की पढ़ाई-लिखाई अंग्रेजी में होती रही है। उन्हें नौकरियां भी अंग्रेजी के जरिए ही मिलती हैं और सारा कामकाज भी वे अं...