Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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जीवन में रामत्व

जीवन में रामत्व

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- ऋचा सिंह श्रीराम को सनातन धर्म में विष्णु का अवतार माना गया है। लोग उनको भगवान और आराध्य मान कर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन जब हम राम के सम्पूर्ण जीवन का अवलोकन करते हैं तो पाते हैं कि राम केवल पूजा के विषय नहीं हैं, वह अनुकरणीय हैं हर स्थिति काल में जीवन को दिशा प्रदान करने वाले प्रेरणा पुंज हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राम ने स्वयं को एक राजा और भगवान के अवतार के रूप में नहीं अपितु जननायक के रूप में स्थापित किया। हम उनके संपूर्ण जीवन में देखते हैं कि कैसे उन्होंने कठिन स्थितियों में भी मर्यादा के नूतन आयाम स्थापित किए। राजकुल में जन्म लेने के बाद भी राम ने अपना जीवन राजसी वैभव में नहीं बिताया। उनका बाल्यकाल आश्रम में व्यतीत हुआ, गुरुकुल में वह राजकुमारों की भांति नहीं अपितु सामान्य बालकों की भांति अपने और आश्रम के सारे कार्य करते थे। जब वह युवा हुए और राज्याभिषेक का समय आया तो उन्हें पिता...
श्रीराम के शील, आचार और मर्यादा से भारतीय विवेक का निर्माण

श्रीराम के शील, आचार और मर्यादा से भारतीय विवेक का निर्माण

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत श्रीराममय हो गया है। यह अव्याख्येय है। दर्शन और मनोविज्ञान के सिद्धांतों से भारत के ताजा उत्साह की व्याख्या नहीं हो सकती। अयोध्या में जनसैलाब उमड़ रहा है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का दिन था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी उपस्थित थे। अयोध्या में इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रित लगभग 7000 लोगों की उपस्थिति थी। लेकिन कार्यक्रम स्थल के अलावा भी पूरी अयोध्या राममय थी। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में अपेक्षित लोगों की सूची में मैं भी था। इसलिए सारा कार्यक्रम निकट से देखने का अवसर मिला। अयोध्या और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मध्य 135 किमी का फासला है। इस लम्बे मार्ग के किनारे-किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ जय श्रीराम का नारा लगा रही थी। सबके चेहरे पर उल्लास और उत्साह। सब आनंदित और सब प्रसन्न। देश और विदेश के तमाम क्षेत्रों में भी अपने-अपने ढंग से उल्...
सामाजिक-पारिवारिक मूल्यों के रखवाले हैं श्रीराम

सामाजिक-पारिवारिक मूल्यों के रखवाले हैं श्रीराम

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- डॉ. राकेश राणा भगवान श्रीराम का अतीत इतना व्यापक और विस्तारित है कि उस पर समझ और संज्ञान की सीमाएं हैं। उन्हें चिह्नित करना बहुत दूर की कौड़ी है। भारतीय समाज में श्रीराम उस वट वृक्ष की तरह हैं जिसकी छत्रछाया में भक्त, आलोचक, आम, खास, आराधक, विरोधी, संबोधक सबके सब न जाने कितने सालों से एक साथ चले आ रहे हैं। 'श्रीराम' भारतीय चिंतन परंपरा का सबसे चहेता चेहरा हैं। उनमें निर्गुणों व सगुणों सब ही का समान हिस्सा है। ब्रह्मवादी उनमें ब्रह्मस्वरूप देखते है। निर्गुणवादियों के लिए आत्मा ही श्रीराम है। अवतारवादियों के वे अवतार हैं। वैदिक साहित्य में उनका विचित्र रूप है। बौद्ध कथाएं उनके करुणा रूप से कसी हुई हैं। वाल्मीकि के श्रीराम कितने निरपेक्ष हैं देखते ही बनता है। तुलसी के श्रीराम भारतीय जनमानस में बसे श्रीराम हैं, यहां सबके घट-घट में सजे श्रीराम हैं। श्रीराम ही हैं, जो भारत को उत्तर से दक...
श्रीराम के अदभुत अर्चक फादर कामिल बुल्के

श्रीराम के अदभुत अर्चक फादर कामिल बुल्के

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- प्रो. श्याम सुंदर भाटिया बेल्जियम में जन्मे फादर कामिल बुल्के की जग-विख्यात विशेषता यह है, वे रामकथा के मर्मज्ञ, हिंदी के विद्वान और विलायत में जन्मे भारतीय थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ‘रामकथा उत्पत्ति और विकास’ पर 1950 में पी.एच.डी. की। इस शोध में संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, हिंदी, बांग्ला, तमिल आदि समस्त प्राचीन और आधुनिक भारतीय भाषाओं में उपलब्ध राम विषयक विपुल साहित्य का ही नहीं, वरन तिब्बती, बर्मी, सिंघल, इंडोनेशियाई, मलय, थाई आदि एशियाई भाषाओं के समस्त राम साहित्य की सामग्री का भी अत्यंत वैज्ञानिक रीति से उपयोग हुआ है। तुलसीदास उन्हें उतने ही प्रिय थे, जितने अपनी मातृभाषा फ्लेमिश के महाकवि गजैले या अंग्रेजी के महान ड्रेमेटिस्ट विलियम शेक्सपियर। ‘रामकथा-वैश्विक सन्दर्भ में’ का लोकार्पण करते प्रसिद्ध साहित्यकार केदारनाथ सिंह ने एक बार कहा था, फादर कामिल बुल्के के श...
भारतीय जीवन दृष्टि के केंद्र श्रीराम

भारतीय जीवन दृष्टि के केंद्र श्रीराम

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- गिरीश्वर मिश्र संस्कृत भाषा में ‘राम’ शब्द की निष्पत्ति रम् धातु से हुई बताई जाती है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सुहावना, हर्षजनक, आनंददायक, प्रिय और मनोहर आदि। आस्थावानों के लिए दीन बंधु दीनानाथ श्रीराम का नाम सुखदायी है, दुखों को दूर करने वाला है और पापों का शमन करने वाला है। कलियुग में उदारमना श्रीराम के नाम का प्रताप आम जनों के लिए अभी भी जीवन के लिए एक बड़े आधार का काम करता है। भक्तों के लिए भव-भय से पार ले जाने वाले श्रीराम सगुण ईश्वर हैं और जाने कितनों का अपने पारस स्पर्श से उद्धार किया। पौराणिक कथा की मानें तो विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र के रूप में अवतरित हुए। श्रीराम की कथा एक ऐसा सांस्कृतिक प्रतिमान बन गई जो पूर्णता की पराकाष्ठा बन लोक-समादृत हुई। श्रीराम मानवीय आचरण, जीवन-मूल्य और आत्म-बल के मानदंड बन गए ऐसे कि उन्हें ‘मर्यादा...
भारत के मन में रमते हैं श्रीराम

भारत के मन में रमते हैं श्रीराम

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत में विजयपर्व का उल्लास है। दिक्काल उत्सवधर्म से आच्छादित हैं। श्रीराम की लंका विजय की तिथि दो दिन बाद है। भारत का मन आनंद मगन हो रहा है। श्रीराम मंगल भवन हैं और अमंगलहारी। वे भारत के मन में रमते हैं। मिले तो राम राम, अलग हुए तो राम राम। राम का नाम हम सब बचपन से सुनते आए हैं। वे धैर्य हैं। सक्रियता हैं। परम शक्तिशाली हैं। भाव श्रद्धा में वे ईश्वर हैं। राम तमाम असंभवों का संगम हैं। मर्यादित आचरण के शिखर हैं। रामकथा के सभी प्रसंग मनभावन हैं। प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरक प्रसंग हैं। युद्ध में विजय की इच्छा रहती है। संसार तमाम संघर्षों से भरा पूरा है। भारतीय चिंतन में काम-क्रोध-लोभ को भी शत्रु बताया गया है। सांसारिक अंतर्विरोधों को शत्रु कहा गया है। रामचरितमानस (लंका काण्ड) में कहते हैं कि, 'संसार शत्रु को दृढ निश्चयी रथ पर बैठ कर ही जीता जा सकता है।' रामचरितमानस (...
श्रीराम की अयोध्या और जीवन संस्कार का संदेश

श्रीराम की अयोध्या और जीवन संस्कार का संदेश

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- प्रभुनाथ शुक्ल श्रीराम हमारे आराध्य हैं। वह सनातन संस्कृत के ध्वजवाहक हैं। राम सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम ही नहीं हमारे समग्र संस्कार में समाहित हैं। राम के बिना पूरी हिंदू संस्कृति अधूरी है। वह जीवन दर्शन हैं। श्रीराम हमारे संस्कार हैं। हमें सद्चरित्र देते हैं। अत्याचार से लड़ने की ताकत देते हैं। विषम परिस्थितियों में भी जीवन को कैसे जिया जाए यह भी बताते हैं। श्रीराम के लिए धन, वैभव, यश, मान, सम्मान से कहीं अधिक ऊंचा उनका आचरण है। उन्हें सत्ता नहीं सदाचार प्रिय है। वह हमेशा मर्यादा में रहना चाहते हैं और हर प्राणी के सम्मान की रक्षा चाहते हैं। वह प्रजारंजक हैं। उपकार और परोपकार उनका जीवन दर्शन है। इसलिए राम हमारे कण-कण में विराजमान है। श्रीराम को भगवान के रूप में पूजने के बजाय हम उन्हें लोकनायक के रूप में अधिक समझ सकते हैं। तभी हमें चैत रामनवमी की सार्थकता समझ में आएगी। अयोध्या श्रीराम क...