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श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध

श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध

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- हृदयनारायण दीक्षित श्रद्धा भाव है और श्राद्ध कर्मकाण्ड। श्रद्धा मन का प्रसाद है। प्रसाद आंतरिक आनंद देता है। पतंजलि ने श्रद्धा को चित्त की स्थिरिता या अक्षोभ से जोड़ा है। श्रद्धा की दशा में क्षोभ नहीं होता। श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध है। भारतीय विद्वानों ने श्रद्धा भाव को श्राद्ध कर्म बनाया। पिता, पितामह और प्रपितामह के लिए अन्न, भोजन, जल आदि के अर्पण तर्पण का कर्मकाण्ड बनाया। श्रद्धा है कि अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलता है। वे प्रसन्न होते हैं और सन्तति को सभी सुख साधन देते हैं। हम भारतवासी वरिष्ठों, पूर्वजों के प्रति श्रद्धालु रहते हैं। संप्रति पितर पक्ष है। इस समय को पितरों के प्रति श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। लोक मान्यता है कि इस पक्ष में पूर्वज पितर आकाश लोक आदि से उतर कर धरती पर आते हैं। हम पूरे वर्ष तमाम गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। इसी में 15 दिन पितरों के प...
आसान नहीं मुख्यमंत्री शिवराज का श्राद्ध

आसान नहीं मुख्यमंत्री शिवराज का श्राद्ध

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- प्रमोद भार्गव विधानसभा चुनाव के महासंग्राम की शुरुआत होते ही कांग्रेस एवं भाजपा में श्राद्ध को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई है। दरअसल सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गंगा नदी के किनारे निश्चिंत व निर्लिप्त बैठे हुए एक चित्र जारी हुआ था। इसमें शिवराज चुनाव की चिंता और मुख्यमंत्री बनने की इच्छा से मुक्त नजर आ रहे थे। वास्तव में वे ऋषिकेश में स्थित परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानंद मुनि के आश्रम में समय बिताने पहुंचे थे। वे यहां गंगा दर्शन कर गंगा आरती में शामिल हुए और संतों का आशीर्वाद लिया। इस पल चित्र सोशल मीडिया पर किसी ने डालकर लिख दिया, 'मामा का श्राद्ध, श्राद्ध में भाजपा ने दिया शिवराज मामा को टिकट।' इसे कांग्रेस की हरकत बताते हुए शिवराज ने कहा कि सनातन धर्म को अपशब्द कहने वाली कांग्रेस सत्ता की भूखी है। जबकि कांग्रेस को अपनी कुंठित सोच और कुसंस्कारों का श्राद्ध करने की...
श्रद्धा की अभिव्यक्ति ही श्राद्ध

श्रद्धा की अभिव्यक्ति ही श्राद्ध

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- हृदयनारायण दीक्षित श्रद्धा भाव है और श्राद्ध कर्म। श्रद्धा मन का प्रसाद है। पतंजलि ने श्रद्धा को चित्त की स्थिरिता या अक्षोभ से जोड़ा है। श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध है। भारत में पूर्वजों पितरों के प्रति श्रद्धा की स्थाई भावना है। हम भारतवासी पूर्वजों के प्रति प्रतिपल श्रद्धालु रहते हैं लेकिन नवरात्रि उत्सवों के 15 दिन पहले से पूरा पखवारा पितर पक्ष कहलाता है। लोकमान्यता है कि इस पक्ष में पूर्वज पितर आकाश लोक आदि से उतरकर धरती पर आते हैं। हम सब पूरे वर्ष व्यस्ते रहते हैं। इसी में 15 दिन पितरों के प्रति गहन श्रद्धा का प्रसाद सुख निराला है। वैदिक निरूक्त में श्रत और श्रद्धा को सत्य बताया गया है। पितरों का आदर प्रत्यक्ष मानवीय गुण है। पिता और पूर्वज हमारे इस संसार में जन्म लेने का माध्यम हैं। वे थे, इसलिए हम हैं। वे न होते, तो हम न होते। उन्होंने पालन पोषण दिया। स्वयं की महत्वाकांक्षाएं छो...
पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

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- डॉ. श्रीगोपाल नारसन (एडवोकेट) प्रतिवर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से पितृपक्ष प्रारंभ हो जाता है, जो आश्विन अमावस्या तक अर्थात 16 दिनों तक चलता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और श्राद्ध पक्ष का समापन 14 अक्टूबर को होगा। श्राद्ध पक्ष की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, जिससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि पितरों के प्रसन्न होने से वंशजों का भी कल्याण होता है। जो लोग पूरे श्राद्धपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान न कर पाए हों वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन बिहार के गयाजी में पिंडदान करने का सबसे ज्यादा महत्व है। इस साल आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण भी लग रहा है। सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ...