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प्रकृति, शिव और समाज से जोड़ती है कांवड़ यात्रा

प्रकृति, शिव और समाज से जोड़ती है कांवड़ यात्रा

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ कांवड़ का अर्थ है परात्पर शिव के साथ विहार। अर्थात् ब्रह्म यानी परात्पर शिव, जो उनमें रमण करे वह कांवड़िया। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िए दूर-दराज से आते हैं और अपने आसपास के स्थानों से गंगा जल भरते हैं, तत्पश्चात् पदयात्रा कर अपने-अपने स्थानों को वापस लौट जाते हैं। इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। फिर चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है और शिव जी से अपनी और अपनों की सुख शांति की प्रार्थना की जाती है। कहने के लिए तो ये बस एक धार्मिक आयोजन मात्र है, लेकिन इसका सामाजिक और धार्मिक महत्व बहुत है। इसका सामाजिक सरोकार भी है। कांवड़ के माध्यम से जल की यात्रा का यह पर्व सृष्टि रूपी शिव की आराधना के लिए है। जल आम आदमी के साथ-साथ पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, धरती में निवास करने वाले हजारों-लाखों तरह के...
महाशिवरात्रि: लोक कल्याण के देव हैं शिव

महाशिवरात्रि: लोक कल्याण के देव हैं शिव

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- रमेश सर्राफ महाशिवरात्रि भगवान शिव का त्यौहार है। देश के सभी प्रदेशों में महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के साथ नेपाल, मारीशस सहित दुनिया के कई अन्य देशों में भी महाशिवरात्रि मनाते हैं। हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार इसी दिन सृष्टि के आरंभ में मध्यरात्रि में भगवान शिव ब्रह्मा से रुद्र के रूप में प्रकट हुए थे। इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। शिवरात्रि के प्रसंग को हमारे वेद, पुराणों में बताया गया है कि जब समुद्र मन्थन हो रहा था उस समय समुद्र में चौदह रत्न प्राप्त हुए। उन रत्नों में हलाहल भी था। जिसकी गर्मी से सभी देव दानव त्रस्त होने लगे। तब भगवान शिव ने उसका पान किया। उन्होंने लोक कल्याण की भावना से अपने को उत्सर्ग कर दिया। इसलिए उनको महादेव कहा जाता है। जब हलाहल को उन्होंने ...
भारत के तीन स्वप्न राम, कृष्ण और शिव

भारत के तीन स्वप्न राम, कृष्ण और शिव

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- हृदयनारायण दीक्षित श्रीराम भारत के मन का धीरज हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भी हैं। भारत की अनेक भाषाओं में रामकथा लिखी गई है। दक्षिण भारत में ऋषि कंबन ने रामकथा लिखी है। पहली रामकथा महर्षि वाल्मिकि ने लिखी थी। इसे रामायण की संज्ञा मिली। वाल्मीकि परंपरा में आदिकवि हैं। मध्य काल में महाकवि तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखी। रामचरितमानस में प्राचीन दर्शन है। समाज विज्ञान है। भक्ति का अथाह सागर है। ऐसी लोकप्रिय पुस्तक दुनिया के किसी भी देश में नहीं मिलती। भारत के गांव-गांव रामचरितमानस पढ़ी और गायी जाती है। डॉ. राम मनोहर लोहिया समाजवादी थे। उन्होंने 'राम, कृष्ण और शिव' में राम के व्यक्तित्व पर तथ्यपरक भावप्रवण टिप्पणी की है। लोहिया ने लिखा है रामायण के सभी पात्र अश्रुलोचन हैं। सभी पात्र आंसू बहाते दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने राम, कृष्ण और शिव को भारत के तीन स्वप्न बताया था। राम के व्यक्तित्व का केंद्र मर...