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अब अयोध्या के आसमान में सप्तऋषि भी चमकेंगे

अब अयोध्या के आसमान में सप्तऋषि भी चमकेंगे

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- हृदयनारायण दीक्षित अयोध्या अंतरराष्ट्रीय चर्चा में है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर विश्व आकर्षण है। लाखों श्रद्धालु दर्शनार्थ आ रहे हैं। अयोध्या में दर्शनार्थियों का मेला है। प्रसन्नता का विषय है कि यहीं सप्तऋषियों का मंदिर भी बनाने की तैयारी है। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र ने यह घोषणा की है। सप्तऋषि मंदिर का निर्माण मार्च से शुरू होना है। भारत के अंतःकरण में ऋषियों के प्रति श्रद्धा है। ऋषि अनूठे हैं। वे प्रकृति की प्रत्येक गतिविधि के द्रष्टा हैं। सो उन्हें ऋषि कहा गया-ऋषयो मंत्र द्रष्टार। जो मंत्र देखता है वही ऋषि है। वैदिक साहित्य के कवि ऋषि कहे जाते हैं। वे संन्यासी नहीं हैं। साधारण गृहस्थ हैं। वे परिवार चलाते हैं। खेती सहित जीविका के अन्य काम भी करते हैं लेकिन मंत्र सृजन भी करते हैं। वे प्रकृति के प्रति आत्मीय हैं। वे मधु प्रिय हैं। मधु और आनंद पर्यायवाची है...
ब्रिटेन में ऋषि के आने से चमकने लगे टोरी

ब्रिटेन में ऋषि के आने से चमकने लगे टोरी

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा राजनीति में व्यक्ति की निजी छवि का असर कितना, कितनी दूर तक और कितनी जल्दी पड़ता है इसका जीता जागता उदाहरण इंग्लैंड में कंजरवेटिव पार्टी के नेता भारतवंशी ऋषि सुनक की ताजपोशी से देखा जा सकता है। कंजरवेटिव पार्टी का दावा है कि वह यूरोप की सबसे पुरानी पार्टी है। इस पार्टी के जन्म के तार 'टोरी' गुट से से जुड़े हैं। यह गुट 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में प्रकट हुआ था। कुछ माह पहले यही टोरी कमजोर पड़ रहे थे। लेबर पार्टी की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी। सुनक के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही बदलाव शुरू हो गया है। पिछले कुछ सालों में कंजरवेटिव पार्टी अर्थात टोरियों को लेकर यूएस में लोगों में निराशा आई। देश संकटों से घिरा। दरअसल ब्रेक्जिट का निर्णय कहीं न कहीं यूरोपीय देशों को सुहाया नहीं है । तभी से इंग्लैंड के सामने चुनौतियों का पहाड़ भी खड़ा हुआ है। कोढ़ में खाज यह कि कोरोना के ...
धनखड़ की धाक से चमकेंगे किसानों के चेहरे

धनखड़ की धाक से चमकेंगे किसानों के चेहरे

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भाजपा नीति राजग सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया और अब उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का नाम घोषित हुआ है। दोनों उम्मीदवारों को मंत्री और राज्यपाल रहने का अनुभव है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इन दोनों को इन सर्वोच्च पदों के लिए चुनते हुए भाजपा नेताओं ने किस बात का ध्यान रखा है? वह बात है वंचितों के सम्मान और वोट बैंक की। एक उम्मीदवार देश के समस्त आदिवासियों को भाजपा से जोड़ेगा और दूसरा समस्त पिछड़ों को। यह देश के आदिवासियों और पिछड़ी जातियों में यह भाव भी भरेगा कि वे लोग चाहे सदियों से दबे-पिसे रहे लेकिन यदि उनके दो व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकते हैं तो वे भी जीवन में आगे क्यों नहीं बढ़ सकते? किसान पुत्र धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने की घटना देश के किसानों में नई उमंग जगाए बिना नहीं रहेगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडि...