Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी भारत क्यों चाहता है

बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी भारत क्यों चाहता है

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- आर.के. सिन्हा पड़ोसी देश बांग्लादेश में 12वां संसदीय चुनाव 7 जनवरी, 2024 को होगा। जाहिर तौर पर भारत की इन चुनावों पर करीबी नजर रहने वाली है। बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा के साथ स्वाभाविक रूप से राजनीतिक तनाव और उपद्रव शुरू हो गए हैं। प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी ने मांग की है कि चुनाव एक गैर-पार्टी अंतरिम सरकार की निगरानी में हों। इसके नेता और कार्यकर्ता प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। शेख हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग ने विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया है और कहा है कि चुनाव शेख हसीना के नेतृत्व में ही होंगे। इस बीच, भारत की चाहत होगी कि अगले चुनाव में भी अवामी पार्टी को सफलता मिले। इसमें कोई शक नहीं है कि शेख हसीना भारत के प्रति कृतज्ञता का भाव रखती हैं और भारत भी उन्हें हरसंभव सहयोग देता...
बांग्लादेश में हसीना का विरोध ?

बांग्लादेश में हसीना का विरोध ?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक बांग्लादेश में भी शेख हसीना सरकार के खिलाफ उसी तरह प्रदर्शन होने शुरू हो गए हैं, जैसे कि श्रीलंका और म्यांमार की सरकारों के विरुद्ध हुए। म्यांमार की फौज ने वहां तो डंडे के जोर पर जनता को ठंडा कर दिया है लेकिन श्रीलंका की सरकार को चुनाव में मात खानी पड़ी है। ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ ने दावा किया है कि उसके प्रदर्शनों में दस लाख लोग जमा हुए हैं और उन्होंने हसीना से इस्तीफा मांगा है। उनका कहना है कि 2024 में चुनाव होने तक ढाका में कोई कार्यवाहक सरकार नियुक्त की जाए। बीएनपी के सातों सांसदों ने अपने इस्तीफों की घोषणा कर दी। उन्होंने मांग की है कि चुनाव तुरंत करवाएं जाएं। शेख हसीना ने हर बार धांधली करके चुनाव जीता है। बीएनपी को बांग्लादेश के कट्टरपंथी मुस्लिम मौलानाओं और जमाते-इस्लामी का भी भरपूर समर्थन है। बांग्लादेश की बीएनपी की नेता बेगम खालिदा जिया ने घोषणा की है ...

भारत-बांग्ला प्रेमालाप

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की वर्तमान भारत-यात्रा का महत्व क्या हमारे पड़ोसी देश समझ पा रहे हैं? पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और मालदीव में जैसी अफरातफरी आजकल मची हुई है, ऐसी पिछले 75 साल में कभी नहीं मची। ये सभी भारत के पड़ोसी देश चीन के चक्रव्यूह में फंसकर गदगद थे। किसी देश में चीन बंदरगाह बना रहा है, किसी में हवाई अड्डे बना रहा है, किसी में सड़कें, रेलें और पुल बन रहे हैं और कहीं चीन लंबी अवधि के लिए द्वीप के द्वीप लीज पर लेकर सैनिक अड्डे खड़े कर रहा है लेकिन कुछ ही वर्षो में हमारे इन पड़ोसी देशों को पता चल गया है कि वे चीनी कर्जे के बोझ के नीचे दबते चले जा रहे हैं और ठोस उपलब्धि के नाम पर शून्य नजर आ रहा है। यों तो बांग्लादेश की स्थिति अन्य पड़ोसियों के मुकाबले बेहतर है और शेख हसीना के शासन-काल में उसकी सर्वाविध उन्नति भी काफी हुई है लेकिन बांग्लादेश की अर्थव्...

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दरगाह हजरत निजामुद्दीन पर हाजिरी लगाई

देश
- दरगाह में चाक-चौबंद रही सुरक्षा, खादिमों ने कराई जियारत नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की दावत पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री (Bangladesh Prime Minister) शेख हसीना (Sheikh Hasina) अपने पांच दिवसीय सरकारी दौरे पर आज नई दिल्ली पहुंची हैं। यहां पहुंचने के बाद उन्होंने विश्व प्रसिद्ध (world famous) सूफी संत हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया की दरगाह (Dargah of Sufi Saint Hazrat Khwaja Nizamuddin Auliya) पर हाजिरी दी। इस मौके पर दरगाह में सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था की गई थी उन्हें दरगाह के खादिमों ने विधिवत तौर से दरगाह की जियारत कराई। इस दौरान शेख हसीना ने वहां पर दुआ भी की। शेख हसीना का दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया से पुराना रिश्ता रहा है। उनके पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान और परिवार के सदस्यों की 15 अगस्त 1975 के दिन हत्या कर दी गई थी। तब वह और उनकी ब...