कालगणना नहीं, कालबोध है महत्वपूर्ण
- हृदयनारायण दीक्षित
अस्तित्व सदा से है और सदा रहता है। यह सनातन है। चिरन्तन है। यह नया या पुराना नहीं होता। लेकिन अनुभव और अनुभूति में यह प्रतिपल नया है। सूर्य प्रतिपल नया है। हर एक सूर्योदय नया है। इसके पहले मुदित मन प्रतिदिन आती ऊषा भी नई है। ऋग्वेद के ऋषि ऊषा के सौन्दर्य का वर्णन करते हैं। बताते हैं कि यह ऊषा नई हैं और पुराणी युवती हैं। पुराणी युवती शब्द का प्रयोग ध्यान देने योग्य है। युवती शब्द का प्रयोग तरुण स्त्री के लिए होता है। लेकिन ऋषि की अनुभूति में ऊषा पुरानी होकर भी नई हैं। चन्द्र भी प्रतिदिन नया है और साथ साथ पुराना भी। प्रत्येक पूर्णिमा नई है और अमावस्या भी नई है। वर्षा की हर एक बूंद भी नई है। शीत नई है और ऊष्मा भी नई है। यहां नए का अलग अस्तित्व नहीं है। वह पहले से गतिशील अस्तित्व का विस्तार है। समय भी नया या पुराना नहीं होता। समय अखण्ड है।
यूरोपीय काल गणना के अनुसार ...