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भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, बढ़ाई गई सुरक्षा

भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, बढ़ाई गई सुरक्षा

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) के राजा भोज विमानतल (Raja Bhoj Airport) को बम से उड़ाने की धमकी रविवार को ईमेल के माध्यम से मिली है। इसके बाद एयरपोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। भोपाल के अलावा दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, गुवाहाटी, लखनऊ, पटना, अगरतला, जम्मू, औरंगाबाद, बागडोगरा और कालीकट एयरपोर्ट को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। भोपाल एयरपोर्ट के डायरेक्टर रामजी अवस्थी ने बताया कि रविवार को दोपहर करीब 3:00 बजे पर भेजे गए ईमेल में एयरपोर्ट बिल्डिंग में बम रखे जाने की बात कही गई है। मेल करने वाले ने एक संदिग्ध ग्रुप का नाम भी लिखा है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। मेल मिलने के बाद एयरपोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सीआईएसएफ को अलर्ट रहने को कहा गया है। इसके साथ ही सीआईएसफ ने गांधीनगर पुलिस थाने को इसकी सूचना दी है। एयरपोर्ट पर तैनात सीआईएसएफ, पुलिस...
विदेशी सैलानियों की सुरक्षा का सवाल ?

विदेशी सैलानियों की सुरक्षा का सवाल ?

अवर्गीकृत
- प्रभुनाथ शुक्ल भारत घूमने आए विदेशी सैलानियों की सुरक्षा का सवाल हमारे सामने यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा है। विदेशी सैलानियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं जहां हमें कठघरे में खड़ा करती हैं वहीं उनसे मारपीट, लूट और अधिक पैसे वसूलने की घटनाएं भी आम हैं। हमारे देश की संस्कृति अतिथि देव भव: की है। झारखंड के दुमका में एक स्पेनिश महिला के साथ कथित तौर पर गैंगरेप की घटना हमारे लिए चिंता का विषय है। भारत हमेशा से विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां की प्राकृतिक बनावट और धार्मिक विविधता लोगों को यहां खींच लाती है। प्राकृतिक वातावरण विदेशी सैलानियों की पहली पसंद हैं। विदेशी पर्यटकों को भौगोलिक एवं प्राकृतिक बनावट के साथ विविधता में एकता की संस्कृति अपनी तरफ आकर्षित करती है। दुमका में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना कोई पहली वारदात नहीं है। भारत में अकसर विदेशी पर्यटक इस तरह की घटना का ...
दुनिया में डिजिटल युग की चुनौतियां

दुनिया में डिजिटल युग की चुनौतियां

अवर्गीकृत
- डॉ. जे.एम. व्यास जैसे-जैसे दुनिया तेजी से डिजिटल युग में अपना विस्तार कर रही है, नॉन फंजीबल टोकन्स (एनएफटी), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मेटावर्स जैसी तकनीक की प्रगति ने कला और संग्रहणीय बाजार, वाणिज्य और संचार सहित समाज के विभिन्न पहलुओं में क्रांति ला दी है। जहां ये नवाचार अपार अवसर और लाभ पहुंचा रहे हैं, वहीं यह अपराध और सुरक्षा के संदर्भ में अत्याधिक चुनौतियां भी पेश कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बड़ी मात्रा में डेटा एकत्र और तैयार कर रहे हैं। इससे गोपनीयता संबंधी गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं। नॉन फंजीबल टोकन्स (एनएफटी) के आसमान छूते उपयोग के साथ, उपयोगकर्ताओं को ठगने और उनके डिजिटल वॉलेट से धन की चोरी करने के उद्देश्य से द्वेषपूर्ण एनएफटी घोटालों में वृद्धि देखने को मिल रही है। मेटावर्स अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है लेकिन उपभोक्ताओं को उन सुरक्षा और गोपनीयता...
बागेश्वर धाम के महंत पं. धीरेंद्र शास्त्री को वाई कैटेगिरी की सुरक्षा

बागेश्वर धाम के महंत पं. धीरेंद्र शास्त्री को वाई कैटेगिरी की सुरक्षा

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। हाल के दिनों में अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले बागेश्वर धाम के महंत (Bageshwar Dham Mahant) एवं कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मध्यप्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) ने उन्हें वाई कैटेगिरी की सुरक्षा (Y category security) प्रदान की है और तत्काल प्रभाव से इस पर अमल भी शुरू हो गया है। पंडित धीरेन्द्र शास्त्री दूसरे राज्यों में जाएंगे तो उन्हें वहां भी यह सुरक्षा मिलेगी। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय द्वारा बुधवार देर शाम आदेश जारी किया गया है। साथ ही अन्य राज्यों के पुलिस विभाग को भी आदेश की कॉपी भेजी गई है। जारी आदेश के अनुसार, अब उनके आवास पर आठ पुलिसकर्मी पूरे समय रहेंगे, जबकि साथ में हथियारों से लैस दो पुलिसकर्मी रहेंगे। गौरतलब है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में लाखों की ...
राष्ट्रीय बालिका दिवसः सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल

राष्ट्रीय बालिका दिवसः सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और समाज में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में देशवासियों को आगाह करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 24 जनवरी को ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ मनाया जाता है। परिवारों में बेटा-बेटी के बीच भेदभाव और बेटियों के साथ परिवार में प्रायः होने वाले अत्याचारों के खिलाफ समाज को जागरूक करने के लिए देश की आजादी के बाद से ही प्रयास होते रहे हैं। हालांकि एक समय ऐसा था, जब अधिसंख्य परिवारों में बेटी को परिवार पर बोझ समझा जाता था और इसीलिए बहुत सी जगहों पर तो बेटियों को जन्म लेने से पहले ही कोख में ही मार दिया जाता था। यही कारण था कि बहुत लंबे अरसे तक लिंगानुपात बुरी तरह गड़बड़ाया रहा। यदि बेटी का जन्म हो भी जाता था तो उसका बाल विवाह कराकर उसकी जिम्मेदारी से मुक्ति पाने की सोच समाज में समायी थी। आजादी के बाद से बेटियों के प्रति समाज क...