Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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पाकिस्तान को भारत का कड़ा संदेश

पाकिस्तान को भारत का कड़ा संदेश

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- प्रभुनाथ शुक्ल भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के मध्य जमी बर्फ फिलहाल पिघलती नहीं दिखती है। गोवा में सम्पन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से कम से यही संदेश निकलता है। पाकिस्तान आतंकवाद के मसले पर दोहरी नीति का पोषक है। पाकिस्तान यह अच्छी तरह जानता है कि भारत से सीधी लड़ाई में वह कभी जीत नहीं हासिल कर सकता है। वैश्विक मंच पर भी भारत बेहद मजबूती से खड़ा दिखता है। दुनिया में भारत की साख मजबूत है। भारत की वैश्विक कूटनीति अलग है। वह अपनी बात को दुनिया के सामने बड़ी साफगोई से रखता है। आतंकवाद के मसले पर उसकी नीति दो टूक है। भारत कभी भी आतंकवाद का समर्थन नहीं करता। अमेरिका, रूस और चीन जैसे ताकतवर मुल्कों के साथ भी उसकी नीति साफ है। भारत बुद्ध के सिद्धांत पर चलता है। वह जीओ और जीने दो में विश्वास रखता है। अरब देशों से भी भारत के बेहतर सम्बन्ध हैं। क्योंकि उसकी नीति स्पष्ट और साफ है। शंघाई सहयो...
बिलावल का गोवा दौरा और मायूसी

बिलावल का गोवा दौरा और मायूसी

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- डॉ. सुदीप शुक्ल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों की विदेशमंत्री स्तरीय बैठक का गोवा में शुक्रवार को समापन हो गया। भारत की अध्यक्षता और आतिथ्य में चार मई से प्रांरभ हुई इस दो दिवसीय बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल हुए। बिलावल का यह दौरा भारत और पाकिस्तान के बीच जारी गतिरोध के बीच हुआ। यहां यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने दिसंबर में ही संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर अपने पूर्वाग्रह के साथ भारत विरोधी एजेंडा के तहत जहर उगला था। दरअसल, पाकिस्तान अपनी भ्रमित विदेश नीति के कारण परेशान है। इसी के कारण वह निर्णय नहीं कर पा रहा है कि उसे बेहद शक्तिशाली, वैश्विकनेता की भूमिका वाले अपने परिपक्व पड़ोसी के साथ किस प्रकार के संबंध रखने चाहिए। किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री के रूप में बिलाव...
भारत ने बिलावल को दिखाया आईना

भारत ने बिलावल को दिखाया आईना

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- आर.के. सिन्हा पाकिस्तान के विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी लंबे समय तक भूलेंगे नहीं अपनी हालिया भारत यात्रा को। वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भाग लेने के लिए भारत आए थे। उन्हें उम्मीद थी कि भारत की तरफ से किसी राष्ट्राध्यक्ष की तरह का सम्मान मिलेगा। पर बिलावल भुट्टो को भारत साफतौर पर जताना चाहता था कि भारत उनसे नाराज है क्योंकि उन्होंने कुछ समय पहले न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में अत्यंत अशोभनीय टिप्पणी की थी। उनकी तब भारत में चौतरफा निंदा भी हुई थी। दरअसल भारत तब ही से उनसे खफा था। बिलावल गोवा में आए। वे चाहते थे कि उनकी भारतीय विदेशमंत्री एस. जयशंकर से अलग से बात हो जाए। पर भारतीय विदेशमंत्री ने उन्हें घास नहीं दी। भारत जानता है कि पाकिस्तान के पैरों के नीचे जमीन नहीं है। वह मुंबई हमलों के गुनहगारों को दंड देने के मामले पर बात नहीं करेगा, उसे अपने देश में आ...