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श्रावणी तीज : सावन का त्योहार, खुशियां अपार

श्रावणी तीज : सावन का त्योहार, खुशियां अपार

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- रमेश सर्राफ धमोरा श्रावण के महीने में चारों ओर हरियाली की चादर सी बिखर जाती है। जिसे देख कर सबका मन झूम उठता है। सावन का महीना एक अलग ही मस्ती और उमंग लेकर आता है। श्रावण के सुहावने मौसम के मध्य में आता है तीज का त्योहार। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। उत्तर भारत में यह हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है। सावन के महीने में सिंजारा, तीज, नागपंचमी एवं सावन के सोमवार जैसे लोकपर्व उत्साह पूर्वक मनाए जाते हैं। श्रावण के महीने में मनाई जानेवाली हरियाली तीज आस्था, प्रेम, सौंदर्य व उमंग का त्योहार है। तीज को मुख्यतः महिलाओं का त्योहार माना जाता है। यह पर्व महिलाओं की सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रतीक है। सावन माह में मनाया जाने वाला हरियाली पर्व दंपतियों के वैवाहिक जीवन में समृद्धि, खुशी और तरक्की का प्रतीक है। तीज का त्योहार भारत के कोने-कोने में मनाया जाने वाला एक...

सावन में वायु भी गुनगुनाती है शिव संकल्प

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- हृदयनारायण दीक्षित सावन शिवार्चन और नीराजन आराधन का मास है। तब मेघ भी उतर आते हैं -शिव आराधक होकर। सुनता आया हूं कि शिव सोम प्रेमी हैं। सोम प्रकृति की सृजन शक्ति है। सृजन की यही शक्ति शिव ललाट की दीप्ति है। शिव के माथे पर सोम चन्द्र हैं। ऋग्वेद के ऋषियों के दुलारे सोम वनस्पतियों के राजा हैं। सावन वनस्पतियों के युवा हो जाने का काल है। झमाझम वर्षा का महीना। वायु भी शिव संकल्प सूक्त गुनगुनाते हुए बहती है और रुकती है उमस सहित तो शिव का रूद्राभिषेक करने के लिए। सोम वनस्पतियों के राजा हैं। सोम प्रसन्न होते हैं। वनस्पतियां और औषधियां उगती हैं। खिलती हैं। खिलखिलाती हैं। भारतीय सप्ताह में एक दिन सोम का। पहला दिन रविवार रवि का तो दूसरा दिन सोमवार सोम का। सोमवार को शिव आराधन की मुहूर्त जाना गया है। ठीक भी है। हमारे समाज में भी प्रतिष्ठित लोग सप्ताह में एक दिन खुलकर मिलते हैं। बाकी दिन व्यस्त रहते ...

विलुप्त होने को है सावन में झूला झूलने की परंपरा

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- डॉ. रमेश ठाकुर सावन माह झूलों के लिए प्रसिद्ध रहा है, जिसमें झूला झूलना सिर्फ रिवाज नहीं माना गया, बल्कि भारतीय संस्कृति की प्राचीन परंपरा भी कहा गया। पर, ये परंपरा अब विलुप्त होने के कगार पर है। क्योंकि अब सावन के माह में झूले कहीं दिखाई नहीं पड़ते। बदलते परिवेश और आधुनिकता की चकाचौंध ने झूलों की परंपरा को धराशायी कर दिया है। कमोबेश, आज स्थिति ये है कि ये रिवाज अब इतिहास के कागजी पन्नों में सिमटने को मजबूर हैं। सावन की रिमझिम बारिश और झूलों पर हिंदी फिल्मों के कई गाने बनें, फिल्मों में झूलों के दृश्य भी फिल्माए गए, पर अब ना वैसे अब गाने रहे और न ही झूले। बदलते समाज ने तमाम परंपराओं को समेट कर पिंजरे में बंद कर दिया है। शहरों के मुकाबले ग्रामीण परिवेश में सावन माह के महत्व को हमेशा से बड़ा माना गया। वेद-पुराणों में इस महीने को पवित्र तो कहा ही गया है, साथ ही दो और खास बातें जुड़ी हैं। अ...

सावन में घटे चिकन के दाम, अंडे की कीमत में भी आयी भारी गिरावट

बिज़नेस
नई दिल्ली । सावन (Sawan) का महीना चल रहा है. आध्यात्मिक महत्व वाले इस महीने में आमतौर पर लोग नॉनवेज खाद्य पदार्थों से दूरी बनाते हुए नजर आते हैं. ये सच भी है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सावन माह में चिकन (Chicken) की कीमतें 50 फीसदी तक कम हो गई हैं. इसके चलते पोल्ट्री उद्योग (Poultry Industry) को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ में करोड़ों का नुकसान देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में इन दिनों Sawanकी वजह से चिकन की कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिल रही है. इस महीने राज्य में करीब 100 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस प्रभावित हुआ है. पोल्ट्री बिजनेस को प्रतिवर्ष होने वाले इस नुकसान का आकलन क्षेत्र ही हिसाब से करें तो यह साफ हो जाता है कि सावन में 50 फीसदी कारोबार (Business) ठप हो रहा है. चिकन की बिक्री कम होने से विभिन्न पोल्ट्री फॉर्म ...