Thursday, November 21"खबर जो असर करे"

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लोक ही नहीं परलोक सुधारने का जतन है ‘मां के नाम एक पेड़’

लोक ही नहीं परलोक सुधारने का जतन है ‘मां के नाम एक पेड़’

अवर्गीकृत
- डॉ. राघवेन्द्र शर्मा मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से 'मां के नाम एक पेड़' योजना को हाथ में लेकर केवल पर्यावरण को सुधारने का प्रयास ही नहीं किया है, बल्कि इसके माध्यम से प्रकृति को अपने अनुकूल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। यदि इस योजना को साकार करने हेतु सरकार के साथ जनता जनार्दन के कदम मिल जाएं तो आने वाले समय में एक नए भविष्य की संभावना प्रबल होती दिखाई देती है। जनश्रुति और ग्रंथों में दर्ज परंपराओं पर ध्यान दें तो हमें पता चलेगा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार, दोनों इस प्रकृति के प्रादुर्भाव से ही पर्यावरण के हितकारी रहे हैं। उदाहरण के लिए- हमारे देश में आस्था का इतना गहन महत्व है कि यहां अनेक नदियों को मां के समान पूजा जाता है। पत्थरों से मूर्तियां तराशकर हम उनके भीतर अपने देवताओं के दर्शन करते हैं। इसे भी महत्वपूर्ण स्थान हमारे जीवन में पेड़-प...
जल धरोहरों को सहेजना एवं संवारना हम सभी का दायित्व : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

जल धरोहरों को सहेजना एवं संवारना हम सभी का दायित्व : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने संग्राम सागर तालाब की स्वच्छता के लिए किया श्रमदान - जबलपुर में 1373 करोड़ के 48 विकास कार्यों का किया लोकार्पण एवं भूमिपूजन भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने सोमवार देर शाम जल गंगा संवर्धन अभियान (Jal Ganga Enhancement Campaign) अंतर्गत जबलपुर के बाजना मठ मंदिर से लगे ऐतिहासिक तालाब संग्राम सागर (Historical Pond Sangram Sagar) की स्वच्छता के लिये श्रमदान किया। करीब 40 एकड़ क्षेत्र में फैले इस तालाब को गोंड राजा संग्राम शाह द्वारा 16वीं सदी में बनवाया गया था। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संग्राम सागर तालाब की स्वच्छता के लिये श्रमदान करने के बाद आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी में मनुष्य रूप में जन्म लेना सौभाग्य की बात है। मनुष्य के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी ही उसका घर है। इस दृष्टि से पृथ्वी की जल धरोहर को संवारने एवं सह...
‘ऑटिज्म’ सरीखी खतरनाक बीमारी से नौनिहालों को बचाने की चुनौती

‘ऑटिज्म’ सरीखी खतरनाक बीमारी से नौनिहालों को बचाने की चुनौती

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर चिंतनीय है सालाना करीब 10 हजार बच्चे जन्मजात लाइलाज बीमारी ‘ऑटिज्म’ के साथ पैदा हो रहे हैं। ये आंकड़ा विगत वर्षों में और बढ़ा है। इस बीमारी की न तो कोई दवा है और न ही प्रॉपर इलाज। सिर्फ जागरूकता और बचाव ही साधन है। बीमारी की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 2 अप्रैल को ‘विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता’ यानी विश्व ऑटिज्म दिवस’ को मनाना आरंभ किया। ताकि जनमानस इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरूक हो सके। आज इस खास दिवस के जरिए ही ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जाता है जिससे पीड़ित एक अभिन्न अंग के रूप में पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें। अप्रैल-1988 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने पहली उद्घोषणा जारी कर 2 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय ऑटिज्म जागरूकता’ माह घोषित किया। ये महत्वपूर्ण प्रगति थी और जागरूकता का एक ...

रामायण और बुद्ध धर्म के मूल्यों को सहेजते भारत और थाईलैंडः मंत्री उषा ठाकुर

देश, मध्य प्रदेश
- थाईलैंड में "बुद्धभूमि भारत-बुद्ध के पद चिन्हों पर यात्रा" कार्यक्रम का शुभारंभ भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर (Minister Usha Thakur) ने कहा कि थाईलैंड (Thailand) में रामायण का गहरा सांस्कृतिक प्रभाव (deep cultural impact of Ramayana) है। यहां रामकियन के नाम से जानी जाने वाली रामायण एक राष्ट्रीय महाकाव्य है। बुद्ध धर्म यहां का प्रमुख धर्म है। इस तरह बुद्ध धर्म और रामायण के मूल्यों को आत्मसात करते हुए दोनों देश वैश्विक शांति, मानवतावाद और बंधुत्व के सिद्धांत का पालन करते हैं। मंत्री उषा ठाकुर शुक्रवार को बैंकॉक के एमक्वार्टियर शॉपिंग सेंटर में "बुद्धभूमि भारत-बुद्ध के पद चिन्हों पर यात्रा" कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। थाई-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर यह तीन दिवसीय आयोजन किया गया है। मंत्री उषा ठाकुर...