नशे के कैंसर से देश को बचाने का दायित्व किसका
- प्रो. प्रेम कुमार धूमल
आज हमारे सामने नशे की सबसे बड़ी गम्भीर समस्या है। नशे का यह कैंसर जिस तीव्रता से समाज में फैल रहा है उसे देखकर, सुनकर आदमी सिहर उठता है और लगता है जिस गति से नशा समाज को विनाश की गर्त में ले जा रहा है उससे तो समाज का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा । प्रतिदिन नशे से होने वाली युवाओं की मौतों की खबरें और नशे की बड़ी खेप पकड़े जाने के समाचार डराते हैं । मानव समाज के अस्तित्व को खतरे में डालने वाला स्वयं मानव समाज ही है । आदमी पैसे के लालच में अंधा होता जा रहा है । एक समय था जब तम्बाकू, सिगरेट, बीड़ी और अधिक से अधिक शराब को नशा माना जाता था।
आज अफीम, चरस, गांजा, कोकीन, चिट्टा और न जाने कौन-कौन से नए नामों के साथ नशा समाज में तबाही मचा रहा है । इस धंधे से होने वाली बेपनाह कमाई के लालच में लोग इस दलदल में फंसते हैं और जो फंस गये वे फिर निकल नहीं पाते । वैसे ही बेईमानी का धन...