Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: Satyagraha

हड़ताल का मनोविज्ञान समझने की जरूरत

हड़ताल का मनोविज्ञान समझने की जरूरत

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- सियाराम पांडेय 'शांत' विरोध-प्रदर्शन, सत्याग्रह, हड़ताल और आंदोलन लोकतंत्र के ऐसे हथियार हैं जो अपनी जिम्मेदारी को भूल बैठे सत्ताधीशों को कुम्भकर्णी नींद से जगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन हर आंदोलन की अपनी मर्यादा होती है।अपनी आधार भूमि होती है। अपना उद्देश्य होता है। बात-बात पर होने वाले आंदोलन देश का मार्गदर्शन तो करते नहीं, अलबत्ता परेशानी और चिंता का ग्राफ जरूर बढ़ा देते हैं। बिना सिर-पैर के आंदोलनों से वैसे भी किसी का भला नहीं होता। नुकसान अधिकांश जनता का होता है। यातायात जाम में फंसे देश को रोज कितना जान-माल का नुकसान होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। किसान आंदोलन के नाम पर जब रेल ट्रैक जाम कर दिए जाते हैं या सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया जाता है तो इससे देश की कितनी क्षति होती है, इसे आवेशित आंदोलनकारी नहीं समझ सकते, लेकिन देश को समझना होगा। हड़ताल का अपना मनोविज्ञा...

कांग्रेस के सत्याग्रह का अर्द्धसत्य!

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी कैंडलर के अगस्त महीने का विशेष महत्व है। विडंबना देखिए वर्तमान कांग्रेस भी अगस्त में सत्याग्रह कर रही है। इस सत्याग्रह का अर्द्धसत्य, पूर्ण सत्य से भी विराट है। इसकी शुरुआत ईडी के नेशनल हेराल्ड घोटाले की जांच के विरोध में हुई मगर यह दांव उल्टा पड़ा। जब देश जान गया कि कांग्रेस जांच से परेशान है तो इस सत्याग्रह का निशाना महंगाई की तरफ कर दिया गया। कांग्रेस का यह अगस्त सत्याग्रह चर्चा में है। नेशनल हेराल्ड की स्थापना करते समय जवाहर लाल नेहरू ने यह नहीं सोचा होगा कि यह संपत्ति घोटाले को लेकर चर्चित होगा। उस समय अखबार निकालना भी स्वतंत्रता संग्राम का अस्त्र हुआ करता था। महात्मा गांधी ने संभवतः भविष्य को भांप चुके थे। इसलिए उन्होंने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को समाप्त करने का सुझाव दिया था। गांधी कहते थे कि कांग्रेस का उद्देश्य देश...