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मध्य प्रदेश: संस्कार, संस्कृति, साहित्य में उन्मेष और उत्कर्ष

मध्य प्रदेश: संस्कार, संस्कृति, साहित्य में उन्मेष और उत्कर्ष

अवर्गीकृत
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत अपने गौरवशाली ''स्व'' को जानने के नए संदर्भों में 75 वर्ष का उत्सव मना रहा है। हिमालयी क्षेत्र से आरंभ हुआ ''उन्मेष'' देश के हृदय प्रदेश आ पहुंचा है। 'उन्मेष' का यह दूसरा संस्करण है। पहला आयोजन शिमला में गत वर्ष हुआ ही है। आप पूछ सकते हैं आखिर ये उन्मेष है क्या? वस्तुत: धरती पर सूर्य की पहली किरण पड़ते ही जगत जाग उठता है। जागना अर्थात अंतस की जागृति, क्रिया के रूप में जागना और विचारों में जाग जाना है। आप जब जागे रहते हैं तो आपके बाहर से लेकर अंदर तक सभी कुछ सचेत होता है। आप हर क्रिया की प्रतिक्रिया देने में सक्षम रहते हैं। इसी जागने को संस्कृत में 'उन्मेष' कहा गया। जीवन में 'उन्मेष' आ जाए तो फिर किसी और की आवश्यकता नहीं रहती । यह 'उन्मेष' जीवन से जुड़ी हर जरूरत को पूरा करने में सक्षम है। जैसे कि जो जागा हुआ है, फिर उसे किस का भय ! स्वभाविक है जो जागा हुआ है, 'उत...
शिक्षा के साथ संस्कृति, संस्कार और धर्म जुड़ा है : कैलाश सत्यार्थी

शिक्षा के साथ संस्कृति, संस्कार और धर्म जुड़ा है : कैलाश सत्यार्थी

दिल्ली, देश
नई दिल्ली के पूसा सभागार में ज्ञानोत्सव का शुभारंभ नई दिल्ली। ज्ञानोत्सव ज्ञान का उत्सव ही नहीं, यह ज्ञान का यज्ञ है। सात्विक उद्देश्य से किए जाने वाले यज्ञ में सर्वश्रेष्ठ की आहुति देनी होती है। इस ज्ञानोत्सव में आने वाले साधारण कार्यकर्ता नहीं बल्कि आप भारत के निर्माता हैं। भारतीयता मेरी माँ के स्तन से निकले दूध के समान है। स्तन से निकला दूध रक्त का संचार करता है। भारतीय शिक्षा समावेशिता की यात्रा करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में सार्वभौमिकता, समता और समग्रता है। विद्या हमारे धर्म का लक्षण हैं। आप सभी श्रेष्ठ भारत के निर्माण में शिक्षा के क्रियान्वयन में भागीदार बने ऐसी आशा करता हूँ। यह उद्गार शिक्षा संस्कृति उत्थान द्वारा गुरुवार को आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप मे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने व्यक्त किए। नई दिल्ली के ...