Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: ‘sandeshkhali’

ममता बनर्जी के लिए कहीं नंदीग्राम न बन जाए संदेशखाली

ममता बनर्जी के लिए कहीं नंदीग्राम न बन जाए संदेशखाली

अवर्गीकृत
- विकास सक्सेना अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है कि एक कील की वजह से पूरा राज्य खो जाता है। इसको स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि कील की वजह से नाल, नाल की वजह से घोड़ा, घोड़े की वजह से युद्ध और युद्ध की वजह से राज्य से हाथ धोना पड़ जाता है। यही हाल लोकतंत्र में भी होता है। कई बार बहुत मजबूत दिख रहे नेता या दल के लिए कोई घटना उसके पतन का कारण बन जाती है। पश्चिम बंगाल इसका जीता जागता उदाहरण है। यहां 34 साल के वामपंथी शासन के लिए 14 मार्च, 2007 को नंदीग्राम में किसानों पर गोलीबारी की घटना विनाशकारी साबित हुई। कभी राज्य की 80 प्रतिशत से ज्यादा सीटें जीतने वाले वामदलों का आज यहां एक भी विधायक नहीं है। वामपंथियों को बेदखल करके यहां की सत्ता पर काबिज होने वाली ममता बनर्जी के लिए अब संदेशखाली का मामला वामपंथियों के नंदीग्राम की तरह साबित हो सकता है। इसके अलावा अब नागरिकता संशोधन कानून लागू करके केंद...
संदेशखाली की टीस और टीएमसी की गुंडागर्दी

संदेशखाली की टीस और टीएमसी की गुंडागर्दी

अवर्गीकृत
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के राज में अत्याचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसके तमाम सुबूत पिछले कई वर्षों से लगातार सामने आ रहे हैं। पहले जो अत्याचार वामपंथ की सत्ता में यहां हो रहा था, वही आज ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लोग कर रहे हैं । कल के वामपंथी आज ममता के साथ खड़े हैं । जिस अत्याचार से मुक्ति दिलाने के भरोसे यहां की आम जनता ने ममता को सत्ता में बैठाया, वह अब अपने को ठगा महसूस कर रही है। पश्चिम बंगाल में गहरे से देखा जाए तो यही जान पड़ता है कि पूरे भारत में जो नियम और संविधान चलता है वो आज वह इस राज्य में में नहीं है। यहां तो टीएमसी के लिए एक नियम है और अन्यों के लिए एक अलग नियम है। स्थिति इतनी खतरनाक है कि कब, कहां बम फोड़ दिया जाए कुछ पता नहीं । यहां कई जिलों में महिलाओं की चीखों के साथ रात गुजरती है। नहीं दिखता यहां ममता बनर्जी को महिलाओं ...
संदेशखाली: ममता की नफरत का प्रतीक

संदेशखाली: ममता की नफरत का प्रतीक

अवर्गीकृत
- प्रवीण गुगनानी बांग्ला की दो लोकोक्तियाँ हैं- थेलाई ना पोरले बेरल गाछे ओथे ना -अर्थात् आपकी समस्याओं से पार पाने हेतु आपको उस समस्या का सामना करना ही होगा। दूसरी बांग्ला कहावत है- किछुतेई किछु न फ़ेसतेई पोइसा- कुछ प्राप्त करने हेतु आलस्य छोड़कर कर्म करना ही होगा।आज की परिस्थिति में बंगाल में ममता व उनकी तृणमूल एक समस्या है और सोनार बांग्ला के बंधुओं को कुछ कर्म करके इन्हें सत्ता से बाहर का मार्ग दिखाना ही होगा। संदेशख़ाली, पश्चिम बंगाल में हाल ही के महिला यौन उत्पीड़न को लेकर जो समाचार आ रहे हैं उन सबके अतिरिक्त सच और भी है। सच यह है कि संदेशखाली के आसपास की चौदह में से आठ विस क्षेत्र अनुसूचित व जनजातीय वर्ग हेतु आरक्षित हैं। सच यह यह भी है कि इन चौदह संवेदनशील विधानसभाओं की सीमा बांग्लादेश से सटी हुई है। सच यह भी है कि यह मानव तस्करी अर्थात् ह्यूमन ट्रेफिकिंग के धंधे का गढ़ बना हु...
ममता राज में नहीं रखवाली, कदम-कदम पर अत्याचार के ‘संदेशखाली’

ममता राज में नहीं रखवाली, कदम-कदम पर अत्याचार के ‘संदेशखाली’

अवर्गीकृत
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी देश, 'संदेशखाली' से सकते में है। दुख है कि संविधान की सबसे ज्यादा दुहाई देनेवाली ममता बनर्जी के राज में यह हालत हैं कि एक नहीं आज कई ''संदेशखाली'' पैदा हो गए हैं, जहां महिलाओं की इज्जत तार-तार हो रही है। हिंसा का तांडव कहीं भी हो सकता है और तुष्टीकरण की राजनीति के चलते बहुसंख्यक हिन्दू समाज कभी भी मौत के घाट उतार दिया जाता है। लव जिहाद, लैंड जिहाद और विदेशी घुसपैठ तो जैसे यहां रोजमर्रा की बात हो चुकी है। फिर भी देखो, कितनी बेशर्मी है ! हद है, ममता दीदी उलटा सभी कमियों के लिए भाजपा और संघ परिवार को जिम्मेदार ठहरा रही हैं और बिना किसी ठोस साक्ष्य के वह सब बोल रही हैं जो उनके नैरेटिव में फिट बैठता है। आज यहां ''संदेशखाली'' नहीं जल रहा है । बल्कि इस राज्य के 23 जिलों में से 16 जिले कहीं न कहीं कम-अधिक हिंसा के शिकार हैं। वह तो अच्छा हुआ, पांच जनवरी को प्रवर्तन निदेशा...