Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: Sanatan

सामाजिक सद्भाव के अग्रदूत हैं संत रविदास

सामाजिक सद्भाव के अग्रदूत हैं संत रविदास

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर संत-संस्कृति और सनातन के लिए संत रविदास जयंती खास है, क्योंकि इस दिन ही संयुक्त रूप से दो पर्व एक साथ मनाए जा रहे हैं। पहली माघ पूर्णिमा और दूसरी रविदास जयंती। दोनों पर्व एक-दूसरे पूरक माने जाते हैं। समाज सुधारक संत रविदास के दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लोग लेते हैं। माघ पूर्णिमा को ध्यान, स्नान, दान के लिए खास मानते हैं। आज के ही दिन अखंड भारत के महान संत रविदास का अवतरण भी हुआ था। वह स्वामी रामानंद के शिष्य और कबीरदास के गुरु भाई हैं। संत शिरोमणि रविदास भक्तिकाल के अग्रिम पंक्ति के कवि हैं। उन्हें महानतम मानुष की उपाधि भी प्राप्त थी। उनके परिवर्तनकारी उपदेशों ने समाज का भरपूर मार्गदर्शन किया। संत रविदास ने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन किया। वह बिना भेदभाव किए आपसी सद्भाव पर जोर देते रहे। संत रविदास क...
अयोध्या से सनातन का भव्य सूर्योदय

अयोध्या से सनातन का भव्य सूर्योदय

अवर्गीकृत
- मृत्युंजय दीक्षित पांच सौ वर्ष के सतत संघर्ष और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विकृत व दूषित मनोवृत्ति की राजनीति के कारण सर्दी, गर्मी व बरसात में भी फटे टेंट में सब प्रकार के कष्ट झेलने वाले राम लला अब अपने दिव्य एवं भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने जा रहे हैं । जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा की तिथि (22 जनवरी 2024) निकट आ रही है भारत के पूर्वी से पश्चिमी और उत्तर से दक्षिणी छोर तक समस्त सनातनी रामभक्तों का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। सभी प्रभु श्रीरामलला के आगमन के आनन्दोत्सव में डूबना चाह रहे हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी विगत अयोध्या यात्रा में रामभक्तों के मन में भी धैर्य का भाव जगाना पड़ा । उन्होंने 30 दिसंबर को अयोध्या की भूमि से सम्पूर्ण भारत को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए 500 वर्षों से भी अधिक समय से प्रतीक्षा क...
सनातन हिन्दू संस्कृति : गाय के गोबर से आकाश में उड़ते रॉकेट

सनातन हिन्दू संस्कृति : गाय के गोबर से आकाश में उड़ते रॉकेट

अवर्गीकृत
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत की ऋषि और ज्ञान परम्परा में गाय का सदा से महत्व बताया जाता रहा है, ऋग्वेदकालीन समाज से लेकर सनातन हिन्दू धर्म में आज का आधुनिक समाज ही क्यों न हो, गाय को एक माता के रूप में पूज रहा है। गाय के बारे में अनेक मंत्र, श्लोक भी मिल जाते हैं जोकि उसके प्रत्येक तत्व (दूध, घी, दही, मक्खन, मूत्र, गोबर) तक को पवित्र मानकर उसके विविध प्रकार से मनुष्य जीवन में व्यवहार करने की आज्ञा देते हैं। किंतु इस विचार के विपरीत भी कुछ जन हैं जिन्हें गाय सदैव से अन्य पशुओं के समान ही नजर आती रही है और उसकी कोई विशेषता उन्हें दिखाई नहीं देती बल्कि जो उसके लिए श्रद्धा भाव रखते हैं, ऐसे लोगों को ये जन मूर्ख, जड़वत और घोर अंधकारवादी नजर आते हैं। अभी हमने देखा भी कि एक संसद सदस्य ने कैसे गाय के प्रति श्रद्धा रखनेवालों का खुले में मजाक बनाया ! चलिए, गाय और उसके प्रति सम्मान भाव रखनेवालों स...
सनातन के संवाहक योगी, चुनाव में जीत के वाहक

सनातन के संवाहक योगी, चुनाव में जीत के वाहक

अवर्गीकृत
- मृत्युंजय दीक्षित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब कुशल नेतृत्वकर्ता, समाज, सनातन धर्म और अखंड भारत संवाहक और चुनाव में जीत के वाहक (सारथी) बन गए हैं। सनातन धर्म और अखंड भारत को लेकर योगी के बयानों की चर्चा अब भारतीय मीडिया में ही नहीं अपितु विदेशों में भी हो रही है। सनातन धर्म पर उनकी स्पष्टवादिता से भारत की संपूर्ण सेक्युलर जमात में खलबली है। तमिलनाडु के द्रमुक नेता उदय निधि द्वारा सनातन धर्म का उन्मूलन करने वाले शर्मनाक बयान के बाद से योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आज उत्तर प्रदेश के हिंदू आस्था के सभी केंद्रों, प्रतीकों का विकास व सम्मान हो रहा है। अयोध्या, मथुरा, काशी के साथ ही अन्य छोटे धार्मिक महत्व के स्थलों का सुंदरीकरण किया जा रहा है। इसके कारण सनातन समाज में प्रसन्नता की लहर है। ठीक इसके उलट कांग्रेस के नेतृत्व मे...
बड़े-बड़े औरंगजेब आए और चले गए लेकिन सनातन को मिटा नहीं सकेः धामी

बड़े-बड़े औरंगजेब आए और चले गए लेकिन सनातन को मिटा नहीं सकेः धामी

देश, मध्य प्रदेश
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा- कांग्रेस के ठगबंधन से सावधान रहें भोपाल (Bhopal)। उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का जो ठगबंधन (Thugbandhan) है, उससे सावधान रहने की जरूरत है। ठगबंधन में शामिल कई नेता सनातन धर्म (Sanatan Dharma) पर हमले कर रहे हैं। वे सनातन को बीमारी बताकर उसे खत्म करने की बात करते हैं। सनातन को खत्म करने के लिए बड़े-बड़े औरंगजेब आए और चले गए, लेकिन सनातन को मिटा नहीं सके। मुख्यमंत्री धामी मंगलवार को मध्य प्रदेश के प्रवास के दौरान सागर जिले के खुरई में भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ठगबंधन के ज्यादातर नेता भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त रहे हैं, इसलिए उन्हें ‘भारत’ शब्द से चिढ़ है। सभा को मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और...
सनातन है जीवन का आमंत्रण

सनातन है जीवन का आमंत्रण

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र यह भारत का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि ‘सनातन’ और ‘धर्म’ जैसे अत्यंत व्यापक आशय वाले सदाशायी विचारों को लेकर अर्थ का अनर्थ करने वाली चर्चाएँ चल रही हैं। इन अवधारणाओं का अवमूल्यन हो रहा है। पहले बिना जाने बूझे इन्हें ‘विज्ञान विरोधी’ कहा गया था और उसे आडम्बर और ढोंग की श्रेणी में रख व्यर्थ मान लिया गया। भौतिक और आध्यात्मिक की दो श्रेणियाँ बनाई गई। इसके साथ यथार्थ और कल्पित का भेद किया गया। शरीर और आत्मा के रिश्ते को विच्छिन्न कर दिया गया। हो होता है उसका एक ही स्वरूप है। वह सिर्फ़ वस्तु है । फलतः सब कुछ को वस्तु की श्रेणी में रखा गया । अब राजनीति की सहूलियत देखते हुए उसमें अनेक दूसरे दोष देखे जा रहे हैं। ‘सनातन धर्म’ को लेकर उसे उसके मूल भाव से काट कर उस पर तोहमत जड़ कर उसकी छवि धूमिल करने की कोशिश हो रही है। इस तरह की कोशिश स्वस्थ और परिपक्व मानसिकता की जगह संकुचित मनोवृत्...
सनातन की सांस्कृतिक छाया में जी-20 सम्मेलन

सनातन की सांस्कृतिक छाया में जी-20 सम्मेलन

अवर्गीकृत
- प्रमोद भार्गव राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन इस बार सनातन संस्कृति की छाया में होगा। इसी भाव को दृष्टिगत रखते हुए शिखर सम्मेलन स्थल पर भगवान शिव की 28 फीट ऊंची ‘नटराज‘ प्रतिमा को प्रतीक रूप में स्थापित किया गया है। इस प्रतिमा में शिव के तीन प्रतीक-रूप परिलक्षित हैं। ये उनकी सृजन यानी कल्याण और संहार अर्थात विनाश की ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक हैं। अष्टधातु की यह प्रतिमा प्रगति मैदान में 'भारत मंडपम्' के द्वार पर लगाई गई है। इस प्रतिमा की आत्मा में सार्वभौमिक स्तर पर सर्व-कल्याण का संदेश अंतर्निहित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी शाश्वत दर्शन से भारतीय संस्कृति के दो सनातन शब्द लेकर 'वसुधैव कुटुंबकम्' के विचार को सम्मेलन शुरू होने के पूर्व प्रचारित करते हुए कहा है कि 'पूरी दुनिया एक परिवार है।' यह ऐसा सर्वव्यापी और सर्वकालिक दृष्टिकोण है, जो हमें एक सार्वभौमिक परिव...