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सबके लिए एक-जैसा कानून क्यों नहीं ?

सबके लिए एक-जैसा कानून क्यों नहीं ?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भाजपा कई वर्षों से लगातार वादा कर रही है कि वह सारे देश में सबके लिए निजी कानून एक-जैसा बनाएगी। वह समान नागरिक संहिता लागू करने की बात अपने चुनावी घोषणा पत्रों में बराबर करती रही है। निजी मामलों में समान कानून का अर्थ यही है कि शादी, तलाक, उत्तराधिकार, दहेज आदि के कानून सभी मजहबों, जातियों और क्षेत्रों में एक-जैसे हों। भारत की दिक्कत यह है कि हमारे यहां अलग-अलग मजहब में निजी-कानून अलग-अलग तो हैं ही, जातियों और क्षेत्रों में अलग-अलग से भी ज्यादा परस्पर विरोधी परंपराएं बनी हुई हैं। जैसे हिंदू कोड बिल के अनुसार हिंदुओं में एक पत्नी विवाह को कानूनी माना जाता है लेकिन शरीयत के मुताबिक एक से ज्यादा बीवियां रखने की छूट है। भारत के कुछ उत्तरी हिस्से में एक औरत के कई पति हो सकते थे। भारत के दक्षिणी प्रांतों में मामा-भानजी की शादी भी प्रचलित रही है। आदिवासी क्षेत्रों में बहु ...