चुनाव के दौरान रंगभेद की राजनीति
- सुरेश हिंदुस्थानी
लोकसभा चुनाव के दौरान राजनेताओं के बयान सुनकर ऐसा लगने लगता है कि ये अपनी हदों को पार कर करने लगे हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा के बयान की मीमांसा की जा रही है। इसका तात्पर्य यही है कि इस नेता ने भारत में भेद पैदा करने के प्रयास किए, जो कभी सफल नहीं होने चाहिए। भारत में जिस प्रकार से सामाजिक विघटन की राजनीति की जा रही है, उससे समाज की शक्ति का लगातार पतन ही हुआ है। कभी तुष्टिकरण तो कभी वोटबैंक की राजनीति के बहाने सामाजिक एकता की राह में अवरोध पैदा करने के प्रयास किये गए, जिसके कारण समाज के कई हिस्से अलग-अलग दुकान खोल कर बैठ गए और इसकी आज की राजनीति ने इसे मुंह मांगा इनाम भी दिया। जिसके कारण भारतीय समाज के बीच जो विविधता की एकता को दर्शाने वाली परंपरा रही, उसकी जड़ों में मट्ठा डालने का अनवरत प्रयास किया गया।
यह सभी जानते हैं कि जिस देश का समाज कम...