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हमें त्याग और जीने की प्रेरणा देता है भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

हमें त्याग और जीने की प्रेरणा देता है भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) का सम्पूण जीवन हमें त्याग और जीने की प्रेरणा देता है। उनका जीवन आदर्श से भरा हुआ है। कठिन से कठिन समय में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) के जीवन से प्रेरणा लेकर नई ऊर्जा प्राप्त होती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार देर शाम भोपाल (Bhopal) के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में श्रीकृष्ण पाथेय कार्यक्रम (Sri Krishna Patheya Program) को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े अनेक प्रसंग हैं। उन्होंने मानव अवतार में समाज के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए। उनके प्रसंगों से हमें समाज कल्याण की शिक्षा मिलती है। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बनाई गई नई शिक्षा नीति : 2020 में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े पाठ्यक्रमों को भी सम्मिलित किया गया है। मुख्यमंत्री ...
श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति के लिए संघर्ष और बलिदान का लंबा इतिहास, 161 वर्ष चली कानूनी लड़ाई

श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति के लिए संघर्ष और बलिदान का लंबा इतिहास, 161 वर्ष चली कानूनी लड़ाई

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- रमेश शर्मा अयोध्या में रामजन्म स्थान मुक्ति के लिये सशस्त्र संघर्ष और बलिदान का लंबा इतिहास है। इतनी लंबी अवधि तक चलने वाली कानूनी लड़ाई का उदाहरण भी दुनिया में दूसरा नहीं है। कोई पांच सौ वर्षों के कुल संघर्ष में लगभग एक सौ साठ साल कानूनी लड़ाई के हैं। रामजन्म स्थान पर पक्के निर्माण के लिये पहली बार 1858 में प्रशासन को आवेदन दिया गया था और अदालत में पहला मुकदमा 1885 में दायर हुआ था। यह सारे विवरण लखनऊ और फैजाबाद के गजेटियर में मौजूद हैं। बाबरकाल में रामजन्म स्थान मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनाये जाने के बाद अकबरकाल में हिन्दुओं को एक चबूतरा बनाकर भजन करने की अनुमति मिल गई थी। वह चबूतरा औरंगजेब काल में नष्ट कर दिया गया, किंतु अवध के नवाब सदाअत अली के समय चबूतरा पुनः बहाल हो गया था। समय के साथ भारत की सभी स्थानीय सत्ताएं अंग्रेजों के अधीन हो गई थीं। तब 1858 में अंग्रेज कलेक्टर के समक्...
17 अगस्त 1909: महान क्राँतिकारी मदन लाल ढींगरा का बलिदान

17 अगस्त 1909: महान क्राँतिकारी मदन लाल ढींगरा का बलिदान

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- रमेश शर्मा स्वत्व और स्वाभिमान रक्षा के लिये क्राँतिकारियों ने केवल भारत की धरती पर ही अंग्रेज अधिकारियों को गोली मारकर मौत की नींद नहीं सुलाया अपितु लंदन में भी क्रूर अंग्रेजों के सीने में गोलियां उतारी। क्राँतिकारी मदन लाल ढींगरा ऐसे ही क्राँतिकारी थे जिन्होंने लंदन में भारतीयों का अपमान करने वाले अधिकारी वायली को पाँच गोलियाँ मार कर ढेर कर दिया था। सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मदनलाल धींगरा का जन्म 18 सितंबर 1883 को पंजाब प्राँत के अमृतसर नगर में हुआ था। परिवार की पृष्ठभूमि सम्पन्न और उच्च शिक्षित थी। पिता दित्तामल जी सिविल सर्जन थे और आर्यसमाज से जुड़े थे। पर स्थानीय अंग्रेज अधिकारियों के भी विश्वस्त माने जाते थे। जबकि माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों में रची-बसी थीं। वे आर्यसमाज के प्रवचन आयोजनों में नियमित श्रोता थीं। इस प्रकार मदनलाल ढींगरा को बचपन से ही अंग्रेज और भारतीय ...
आजादी हमें सहजता से नहीं, हजारों लोगों के बलिदान से मिली है: शिवराज

आजादी हमें सहजता से नहीं, हजारों लोगों के बलिदान से मिली है: शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- "आजादी का महापर्व कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री चौहान भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि भारत (India) को आजादी सहजता (freedom not easily) से नहीं, हजारों लोगों के त्याग, तपस्या और बलिदान (Sacrifice, penance and sacrifice thousands people) से मिली है। आजादी दिलाने वाले क्रांतिकारियों की भूमिका को कभी नहीं भुलाया जा सकता। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के क्रांतिकारियों ने भी आजादी की लडाई में बढ़ -चढ़कर हिस्सा लिया था। मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार शाम को स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर रविन्द्र भवन में अमृत महोत्सव अंतर्गत संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित "आजादी का महापर्व'' कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे...
वीरांगना दुर्गावती के बलिदान को हमेशा याद करेगा जमाना!

वीरांगना दुर्गावती के बलिदान को हमेशा याद करेगा जमाना!

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- डॉ. रमेश ठाकुर गुजरे समय की महान वीरांगना ‘महारानी दुर्गावती’ के बलिदान को आज (24 जून) याद करने का दिन है। उनके अदम्य साहस को कोई नहीं भूल सकता। भूलना चाहिए भी नहीं और आने वाली पीढ़ी को भी बताते रहना चाहिए। उनके साहसी कहानी हमेशा जिंदा रहे, इसलिए सरकार ने उनके नाम पर डाक टिकट जारी है और जबलपुर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर ‘रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय’ किया गया है। इसके अलावा कई संग्रहालय भी उनके नाम पर रखे गए हैं। मध्य प्रदेश का मंडला शासकीय महाविद्यालय भी अब रानी दुर्गावती के नाम से जाना जाता है। कई जिलों में उनकी प्रतिमाएं भी लगाई गई हैं और कई शासकीय इमारतों के नाम भी उन्हीं पर रखने का निर्णय हुआ है। हुकूमतों के ऐसे निर्णय वास्तव में सर्वमान्य और सराहनीय होते हैं। क्योंकि ऐसा करके आने वाली पीढ़ियों के ज्ञान में भी बढ़ोतरी होती है। ताकि उनको पता चले कि देश और समाज की रक्षा के लिए किन-किन ...
गुड फ्राइडे: यीशु के बलिदान और शिक्षाओं को याद करने का दिन

गुड फ्राइडे: यीशु के बलिदान और शिक्षाओं को याद करने का दिन

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- योगेश कुमार गोयल ‘‘हे ईश्वर! इन्हें क्षमा करें, ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।’’ यह प्रार्थना थी यीशु (ईसा मसीह) की उन हत्यारों के लिए, जिन्होंने भयावह अमानवीय यातनाएं देते हुए उनके प्राण ले लिए। यीशु के सिर पर कांटों का ताज रखा गया, उन्हें सूली को कंधों पर उठाकर ले जाने को विवश किया गया और गोल गोथा नामक स्थान पर ले जाकर दो अन्य अपराधियों के साथ बेरहमी से कीलों से ठोकते हुए क्रॉस पर लटका दिया गया। यीशु ने उत्पीड़न और यातनाएं सहते हुए मानवता के लिए अपने प्राण त्याग दिए और दया-क्षमा का अपना संदेश अमर कर दिया। पृथ्वी पर बढ़ रहे पापों के लिए बलिदान देकर ईसा ने निःस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। सूली पर प्राण त्यागने से पहले यीशु ने कहा था, ‘‘हे ईश्वर! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूं।’’ यीशु ने मानवता की भलाई के लिए बलिदान दिया। उनके बलिदान, उनकी...
कभी नहीं भूल सकता लाला लाजपत राय का बलिदान

कभी नहीं भूल सकता लाला लाजपत राय का बलिदान

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- शिवकुमार शर्मा किसी भी व्यक्ति के कार्यों का समापन भी उसके संसार से विदा लेने के साथ ही हो जाता है, परंतु उसके द्वारा समाज के लिए किए गए त्याग, समर्पण, बलिदान और सामाजिक योगदान उसे अमर बनाते हैं। भारत की आजादी की जंग में अंग्रेज सरकार से जूझने वाले सेनानियों में लाल, बाल, पाल का नाम अग्रगण्य है। यह बताना प्रासंगिक होगा कि लाला लाजपत राय का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि एवं बिपिन चंद्र पाल का जन्म अविभाजित भारत के हबीबगंज सदर उप जिला अंतर्गत हुआ जो अब बांग्लादेश में है। इस प्रकार लाल, बाल, पाल तीनों नाम एक साथ होने पर किन्हीं तीन व्यक्तियों के एक साथ होने मात्र की जानकारी ही नहीं देते अपितु तत्कालीन अखंड भारत का बोध कराते हैं। इन तीन विभूतियों में से एक लाला लाजपत राय ने 18 जनवरी 1865 में पंजाब में (अवि...
पंजाब के सांसद मान के हैरान करते बयान!

पंजाब के सांसद मान के हैरान करते बयान!

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- ऋतुपर्ण दवे अगर हम अपने आदर्शों को आतंकवादी कहेंगे तो फिर राष्ट्रवादी कौन होगा। यह सवाल इन दिनों देश में बड़ी गंभीरता से लोगों को परेशान और हतप्रभ कर रहा है। माना कि ऐसे सवालों की जद में राजनीति होती है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के लिए प्राणों की आहुति देने वालों उसमें भी खासकर देशभक्ति की अनूठी मिशाल पेश करने वालों पर स्वतंत्रता या इससे जुड़े आंदोलनों या कोशिशों के इतने लंबे अरसे बाद केवल सियासत चमकाने के लिए सवाल उठाना न केवल हैरान और परेशान करता है बल्कि भावनाओं को आहत भी करता है। लगता नहीं कि ऐसे सवालों को अब और खासकर तब जब देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी में पूरे उत्साह जोश और जोर-शोर से जुटा है उठाना किसी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकता है। पंजाब की संगरूर सीट से नए नवेले सांसद सिमरनजीत सिंह मान का भगत सिंह के बलिदान पर सवाल उठाना एक तो बकवास और दूसर...