सोशल मीडिया को असभ्यता का अड्डा बनने से रोकना होगा!
- दीपक कुमार त्यागी
भारतीय संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की पूर्ण आज़ादी प्रदान करता है, लेकिन कानून के दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसके बहुत सारे अपवाद भी मौजूद हैं। आप अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर किसी भी दूसरे व्यक्ति की अवमानना नहीं कर सकते हैं, किसी भी दूसरे व्यक्ति के मान-सम्मान को ठेस नहीं पहुंचा सकते हैं, समाज में धार्मिक व जातिगत आधार पर किसी भी प्रकार की दुर्भावना व नफ़रत नहीं फैला सकते हैं। वैसे भी अभिव्यक्ति की आज़ादी का यह मतलब नहीं होता है कि आप देश में सर्वोच्च पदों पर आसीन लोगों के बारे में सोशल मीडिया के बेहद सशक्त प्लेटफार्म पर सार्वजनिक रूप से असंसदीय व असभ्य हैशटैग तक चलवाने का असभ्यता की पराकाष्ठा वाला कृत्य करो।
यहां आपको मैं याद दिला दूं कि जिस तरह से सोशल मीडिया के सशक्त माध्यम के दुरुपयोग का नमूना 24 जुलाई 2022 को भारतीय राजनीति के संदर्भ में पूरी द...