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सड़क हादसे और उनसे होने वाली मौत को कम करने का ‘4 ई फार्मूला’

सड़क हादसे और उनसे होने वाली मौत को कम करने का ‘4 ई फार्मूला’

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा एक ओर दुनिया के देशों में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौत के आंकड़ों में कमी आने लगी है। वहीं लाख प्रयासों के बावजूद हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों के आंकड़ों में लगातार बढ़ोतरी ही हो रही है। हालांकि सरकार इसके लिए गंभीर है और नित नए प्रयास व कदम उठाये जा रहे हैं पर परिणाम अभी तक उत्साहजनक नहीं मिल पा रहे हैं। पिछले दिनों देश में चार ई कंसेप्ट पर चर्चा भी आरंभ हुई है पर उसका परिणाम अभी भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। वैश्विक आंकड़ों पर नजर ड़ाली जाये तो 2010 से 2021 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के कारण मौत के आंकड़ों में 5 प्रतिशत की कमी आई है। ठीक इसके विपरीत हमारे देश में दुर्घटनाओं के कारण मौत का आंकड़ा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। देश में प्रति घंटा 53 दुर्घटनाएं और 19 मौत हो रही है। सबसे चिंतनीय तो यह है कि 60 प्रतिशत मौत 18 से 35 वर्ष के लोगो...
भारत में कैसे कम हो पाएंगे सड़क हादसे

भारत में कैसे कम हो पाएंगे सड़क हादसे

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- रमेश सर्राफ धमोरा आज कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता है जिस दिन देश के किसी ना किसी भाग में सड़क हादसा न हुआ हो और उनमें कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़े। विकास की प्रतीक मानी जाने वाली सड़कें विनाश का पर्याय बनती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में सड़क हादसों में मारे गए 10 लोगों में से कम से कम एक भारत से होता है। भारत में सड़क हादसों के आंकड़े बताते हैं कि देश में वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.55 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़ा औसतन 426 लोग प्रतिदिन या हर घंटे 18 लोगों का है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल देशभर में 4.03 लाख सड़क दुर्घटनाओं में मौतों के अलावा 3.71 लाख लोग घायल भी हुए थे। देश में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट के मामले 2020 म...
रोड सेफ्टी एक्शन प्लान के मायने

रोड सेफ्टी एक्शन प्लान के मायने

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को लेकर लगता है अब सरकार गंभीर हो गई है। इसके लिए केंद्र सरकार ने इसी 13 जनवरी को नए रोड सेफ्टी एक्शन प्लान को लागू कर दिया है। इसके तहत देश के मौजूदा हाइवे, मरम्मताधीन हाइवे और नए बनने वाले हाइवे को एक्सीडेंट फ्री बनाने के लिए जवाबदेही को तय किया गया है। इसका मतलब यह है कि इससे जुड़े सभी अधिकारी, कंपनियों और ठेकेदारों की भी जिम्मेदारी तय की गई है कि वे रोड बनाते समय आवश्यक मानकों का ध्यान रखने के साथ ही इस तरह से निर्माण तकनीक अपनाएं ताकि डिजाइन से लेकर निर्माण तक रोड एक्सीडेंट फ्री हो सके। दरअसल देश में सड़क हादसे साल-दर-साल बढ़ते ही जा रहे हैं। खास बात यह कि अब दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या की तुलना में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। यानी की मरने वालों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। हालांकि दुर्घटना रहित यात्र...