अमृतकाल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति
- धर्मेन्द्र प्रधान
ज्ञान शक्ति है। भारत की समृद्ध ज्ञान क्षमता वेदों और उपनिषदों में स्पष्ट है। यह वैदिक ग्रंथ सदियों से ज्ञान के विशाल स्रोत के रूप में कार्य कर रहे हैं। नालंदा और तक्षशिला जैसे हमारे प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालय हमारी धरोहर हैं। यह अकाट्य सत्य है कि भारत अतीत में अंतरराष्ट्रीय ज्ञान का केंद्र रहा है। समय के साथ, भारत की ज्ञान शक्ति और संपदा ने मुगल, मंगोल, ब्रिटिश, डच और पुर्तगालियों सहित बहुत लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा, जिन्होंने इतिहास की विभिन्न अवधियों में भारत पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत के ज्ञान संपदा की भी अत्यधिक हानि हुई। लेकिन यह सर्वविदित और स्वीकृत तथ्य है कि आक्रमणकारी हमारी भूमि को लूट सकते थे और हमारे विश्वविद्यालयों को नष्ट कर सकते थे, लेकिन वे हमारी भूमि के गुरुओं और योगियों से सदैव पराजित हुए।
दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान ब्रिटेन ने द...