Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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दिल्ली विवि में तदर्थवाद पर भारी स्थायी नियुक्ति का संकल्प

दिल्ली विवि में तदर्थवाद पर भारी स्थायी नियुक्ति का संकल्प

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- डॉ. सीमा सिंह एक साथ, एक लक्ष्य और एक जुनून लेकर जब देशभर के लोग मैदान में उतरे, तभी स्वतंत्रता मिली। विश्वविद्यालयों ने इस दौरान देश की चेतना को जागृत किया। विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने युवा पीढ़ी में नई चेतना और विचार का संचार किया। 'कोई चरखा चलाता-वो भी आजादी के लिए, कोई विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करता- वह भी आजादी के लिए, कोई काव्य पाठ करता- वह भी आजादी के लिए। कोई किताब या अखबार में लिखता- वो भी आजादी के लिए। कोई अखबार के पर्चे बांटता था तो वह भी आजादी के लिए। यह बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत@2047 के लॉन्चिंग पर कहीं। जाहिर है प्रधानमंत्री समझते हैं कि युवा शक्ति साथ हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं। इसी युवा शक्ति को संवारने के लिए उन्होंने 2014 से अब तक कई प्रयास किए। वो समझ रहे हैं कि कालखंड कोई भी हो, युवा शक्ति के सहारे मुश्किल राहें आसान हो जाती हैं। छोटी-छ...
विशेष: नेत्रदान का संकल्प करें, मृत्यु के बाद मृत्युंजय बनें

विशेष: नेत्रदान का संकल्प करें, मृत्यु के बाद मृत्युंजय बनें

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- डॉ. अविनाश चन्द्र अग्निहोत्री राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा एक अभियान है, जो प्रत्येक वर्ष 25 अगस्त से 08 सितम्बर तक 15 दिनों के लिए शासकीय व अशासकीय संस्थाओं द्वारा मनाया जाता है। दृष्टिहीनता के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में यह समस्त भारत में आयोजित किया जाता है। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा 1985 में शुरू हुआ था। वास्तव में नेत्रदान पखवाड़े का दायित्व स्वास्थ्य मंत्रालय तथा केंद्र सरकार के कंधों पर रहता है। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अशासकीय सेवा भावी संस्थाएं भी अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करती हैं। इसका उद्देश्य अंधत्व निवारण के लिए नेत्रदान के महान कार्य को प्रोत्साहित करना है। साथ ही लोगों को मृत्यु उपरांत नेत्रदान के लिए प्रेरित करना है। देश 38वां नेत्रदान पखवाड़ा मना रहा है। माधव नेत्रपेढी की स्थापना 1995 में हुई। तभी से माधव नेत्...
प्रधानमंत्री का संकल्प, सिकल सेल एनीमिया का होगा अंत

प्रधानमंत्री का संकल्प, सिकल सेल एनीमिया का होगा अंत

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- मनसुख मांडविया भारत विविधताओं का देश है और विविधताओं में एकता हमारी पहचान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन विविधताओं को संजो रखने के लिए एक भारत श्रेष्ठ भारत का मंत्र दिया है। हम एक ऐसे भारत की कल्पना को आगे बढ़ा रहे हैं, जहां पर एक-एक भारतीय के गुणवत्तायुक्त जीवन की चिंता की जाती है। समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक देश की आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुंचा पाएं, इसके लिए भारत सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में, लगभग 706 विभिन्न जनजातियां हैं, जो कुल जनसंख्या का 8.6% हैं। हमारी जनजातीय आबादी हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है-" भारत का अतीत, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समुदाय के बिना कभी भी पूरा नहीं होगा।" भारत सरकार जनजातीय नैतिक मूल्य प्रणालियों, परम्पराओं, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और जनजातीय ...
शताब्दी वर्ष का संघ संकल्प

शताब्दी वर्ष का संघ संकल्प

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सकारात्मक भाव भूमि पर हुई थी। इसमें नकारात्मक चिंतन के लिए कोई जगह नहीं है। हिन्दू समाज को संगठित करने का ध्येय था। संघ की संरचना में शाखाएं सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं। यहीं से सामाजिक संगठन और निःस्वार्थ सेवा का संस्कार मिलता है। इसमें मातृभूमि की प्रार्थना की जाती है-नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि। यह भाव राष्ट्र को सर्वोच्च मानने की प्रेरणा देता है। समाज के प्रति सकारात्मक विचार जागृत होता है। स्वयंसेवकों के समाज सेवा कार्य इसी भावना से संचालित होते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में प्रवेश करने से पहले चाहता है कि वह देश के सभी मंडलों तक शाखाओं का विस्तार कर दे। इसके लिए हरियाणा में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में विस्तार से चर्चा हुई। मंडल स्तर पर शाखाओं का विस्तार महत्वपूर्ण है। संघ का...
भारत के मूल में मानवाधिकार की अवधारणा

भारत के मूल में मानवाधिकार की अवधारणा

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- रमेश सर्राफ धमोरा कुछ अधिकार ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को जन्मजात मिलते हैं। उन अधिकारों का व्यक्ति के आयु, प्रजातीय मूल, निवास-स्थान, भाषा, धर्म पर कोई असर नहीं पड़ता। इतिहास गवाह है की भारत ने कभी भी संस्कृति, धर्म या अन्य कारकों के आधार पर दूसरों को अपने अधीन करने की कोशिश नहीं की है। भारत एक ऐसा देश है जिसके मूल में मानवाधिकार की अवधारणा है। भारत के लोग मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं और उनकी रक्षा करने का संकल्प भी लेते हैं। भारत विश्व स्तर पर आज भी मानवाधिकार का समर्थन करता रहा है। मानव अधिकार वे मूल अधिकार हैं, जो इस धरती पर प्रत्येक व्यक्ति के पास हैं। मानवाधिकार मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता हैं। मानवाधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति, राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, काम और शिक्षा का अधिकार और बहुत कुछ शामिल हैं। बिना किसी भेदभाव के हर कोई इन अधिकार...
दशहराः दस अवगुणों से दूर रहने के संकल्प लेने का पर्व

दशहराः दस अवगुणों से दूर रहने के संकल्प लेने का पर्व

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- योगेश कुमार गोयल देश में प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल दशमी को ‘विजयादशमी’ को पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इसे दशहरा भी कहा जाता है। दशहरा दो शब्दों दश तथा हरा से मिलकर बना है। दश का अर्थ है 10 तथा हरा का अर्थ ले जाना। इस प्रकार दशहरे का मूल अर्थ है 10 अवगुणों या बुराइयों को ले जाना। यानी इस अवसर पर अपने भीतर के दस अवगुणों को खत्म करने का संकल्प लेना। दरअसल हर इंसान के भीतर रावण रूपी अनेक बुराइयां मौजूद होती हैं। सभी पर एक बार में विजय पाना संभव भी नहीं है। इसलिए दशहरे पर ऐसी ही कुछ बुराइयों का नाश करने का संकल्प लेकर इस पर्व की सार्थकता सुनिश्चित की जा सकती है। दशहरा समस्त भारत में भगवान श्रीराम द्वारा लंकापति रावण के वध के रूप में अर्थात बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में तथा आदि शक्ति दुर्गा द्वारा महाबलशाली राक्षसों महिषासुर व चण्ड-मुण्ड का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है।...

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस और अखंड भारत का संकल्प

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- डॉ. रामकिशोर उपाध्याय अब भारत में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इससे पहले भी कुछ लोग इसे 'अखंड भारत संकल्प दिवस' के रूप में स्मरण करते आए हैं। कुछ इस पर मौन रहते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसके विरोध में वक्तव्य देते रहते हैं। विभाजन की विभीषिका और अखंड भारत के संकल्प पर चर्चा करने से पहले कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की उस बैठक के एक दृश्य को स्मरण कर लेते हैं जिसमें कांग्रेस ने बंटवारे को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया था। इस बैठक में डॉ. राममनोहर लोहिया भी उपस्थित थे। लोहिया के शब्दों में 'इसके पहले कि गांधीजी अपनी बात पूरी कर पाते, श्री नेहरू ने तनिक आवेश में आकर बीच में उन्हें टोका और कहा कि उनको वे पूरी जानकारी बराबर देते रहे हैं। महात्मा गांधी के दुबारा दुहराने पर कि उन्हें विभाजन की योजना के बारे में जानकारी नहीं थी, श्री नेहरू ने अपनी पहले कही बा...

संकल्प से सिद्धि के बेमिसाल आठ साल

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री संकल्प से सिद्धि की दृष्टि से मोदी सरकार के आठ साल बेमिसाल रहे हैं। यह सरकार अपने संकल्प के अनुरूप गरीबों के प्रति समर्पित रही है। अर्थिक स्वावलंबन का अभियान चलाया गया। गरीबों के जीवनस्तर को ऊपर उठाने के प्रयास किए गए। मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की गई। पद्म सम्मानों का अभूतपूर्व अध्याय शुरू हुआ। नरेन्द्र मोदी को दो बार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चयन का अवसर मिला। दोनों बार उन्होंने समाज के वंचित वर्ग को सम्मानित किया। पहले रामनाथ कोविंद और वनवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचाया। रामनाथ कोविंद के सम्मान में आयोजित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रात्रि भोज में इन आठ सालों की झलक दिखाई दी। भोज में मौजूद पद्म पुरस्कार विजेताओं, आदिवासी समुदाय के नेताओं और अन्य लोगों का प्रधानमंत्री ने स्वागत किया। ऐसे रात्रिभोज...