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उमा भारती ने की ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग, प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

उमा भारती ने की ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग, प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। केन्द्र सरकार द्वारा मंगलवार को संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण संबंधी विधेयक पेश किया। इसके बाद इस विधेयक का विरोध भी शुरू हो गया है। भाजपा की वरिष्ठ नेत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस विधेयक के प्रावधानों से असंतुष्टि जताते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) महिलाओं के आरक्षण की मांग की है। उमा भारती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि महिला आरक्षण बिल में ओबीसी महिलाओं को विशेष स्थान दिया जाए। इस बिल में ओबीसी महिलाओं को स्थान नहीं दिया गया है। ऐसे में वह इस बिल का खुलकर विरोध करेंगी। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मंगलवार को पत्रकारवार्ता कर महिला आरक्षण बिल का विरोध करते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का आंदोलन चलाएंगी। उन्होंने कहा कि देवेगौड़ा सरकार के समय महिला आरक्षण का बिल पेश किया ग...
मजहबी अस्मिता अंततः अलगाववाद है

मजहबी अस्मिता अंततः अलगाववाद है

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित कर्नाटक सरकार ने पंथ मजहब आधारित आरक्षण निरस्त कर दिया है। विषय न्यायायिक विचार में हैं। भारत की संविधान सभा ने अल्पसंख्यक अधिकारों मूल अधिकारों सम्बंधी समिति का गठन किया था। इसके सभापति सरदार पटेल बनाए गए थे। पटेल समिति ने आरक्षण सम्बंधी विषय पर गंभीर विचार-विमर्श किया। संविधान सभा में सरदार पटेल ने 25 मई, 1949 को समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की। पटेल समिति के प्रतिवेदन पर (25 और 26 मई 1949) गंभीर बहस हुई। संविधान सभा के सदस्य नजीरुद्दीन अहमद ने कहा, 'मैं समझता हूं कि किसी प्रकार के रक्षण स्वस्थ राजनीतिक विकास के प्रतिकूल हैं। उनसे एक प्रकार की हीन भावना प्रकट होती है। श्रीमान जी रक्षण ऐसा रक्षा उपाय है जिससे वह वस्तु जिसकी रक्षा की जाती है, वह नष्ट हो जाती है। जहां तक अनुसूचित जातियों का सम्बंध है, हमें कोई शिकायत नहीं है।' लेकिन जेडएच लारी ने मजहब आधारित मुस्लिम आरक्...
आरक्षणः प्रधानमंत्री बधाई के पात्र हैं

आरक्षणः प्रधानमंत्री बधाई के पात्र हैं

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कौन स्वागत नहीं करेगा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण का आधार सिर्फ गरीबी होगी। यह 10 प्रतिशत आरक्षण अतिरिक्त है। यानी पहले से चले आ रहे 50 प्रतिशत आरक्षण में कोई कटौती नहीं की गई है। फिर भी पांच में से दो जजों ने इस आरक्षण के विरुद्ध फैसला दिया है और तमिलनाडु की सरकार ने भी इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देना संविधान का उल्लंघन करना है। संविधान की किसी धारा में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निश्चित नहीं की गई है। 1992 का सुप्रीम कोर्ट में आया इंदिरा साहनी प्रकरण बेहद महत्वपूर्ण है। उसी समय नरसिंहराव सरकार ने गरीबी के आधार पर लोगों को आरक्षण देने की घोषणा की थी। उसी घोषणा को 2019 में भाजपा सरकार ने संविधान का अंग बना दिया। अब कांग्रेस और भाजपा दोनों इसका श्रेय लूटने की प्रतिस्पर्धा म...

नौकरियों में आरक्षण खत्म हो

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सुप्रीम कोर्ट में आजकल आरक्षण पर बहस चल रही है। उसमें मुख्य मुद्दा यह है कि आर्थिक आधार पर लोगों को नौकरियों और शिक्षा-संस्थानों में आरक्षण दिया जाए या नहीं? 2019 में संसद ने संविधान में 103 वां संशोधन करके यह कानून बनाया था कि गरीबी की रेखा के नीचे जो लोग हैं, उन्हें 10 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाए। यह आरक्षण उन्हीं लोगों को मिलता है, जो अनुसूचित और पिछड़ों को मिलनेवाले आरक्षण भी शामिल नहीं हैं। यानी सामान्य श्रेणी या अनारक्षित जातियों को भी यह आरक्षण मिल सकता है। उसका मापदंड यह है कि उस गरीब परिवार की आमदनी 8 लाख रुपये सालाना से ज्यादा न हो। यानी लगभग 65 हजार रुपये प्रति माह से ज्यादा न हो। एक परिवार में यदि चार लोग कमाते हों तो उनकी आमदनी 16-17 हजार से कम ही हो। ऐसा माना जाता है कि गरीबी रेखा के नीचे जो लोग हैं, उनकी संख्या 25 प्रतिशत के आसपास यानी लगभग 30 करोड़ है। ...